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साइकिल से उड़ीसा से यूपी जा रहे मजदूरों ने सुनाया दर्द, 'लोग हैंडपंप से पानी भी नहीं लेने दे रहे'

लॉकडाउन में अन्य राज्यों में फंसे कामगारों का घर आने का सिलसिला जारी है. पीरो के रास्ते उड़ीसा से यूपी जा रहे कामगारों ने अपना दर्द सुनाया. इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें भोजन कराया.

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Published : May 18, 2020, 7:40 PM IST

भोजपुर: लॉकडाउन के कारण विभिन्न प्रदेशों से कामगारों का लौटना जारी है. जिले के पीरो से होते हुये प्रवासी लगातार अपने घरों की तरफ जा रहे हैं. इसी क्रम में उड़ीसा से साइकिल से देवरिया और कुशीनगर जा रहे कामगारों ने अपना दर्द सुनाया.

मजदूरों ने कहा कि लोग बेरहम हो गए हैं. रास्ते में कई जगहों पर लोगों ने हैंडपंप से पानी लेने से मना कर दिया. किसी तरह भूखे प्यासे तीन दिनों में यहां तक पहुंचे हैं.

पीरो के लोहिया चौक पर पहुंचे कामगारों को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जलपान कराया और रास्ते के लिए खाने का सामान भी खरीद कर दिया. आर्थिक सहायत देने की पेशकश भी की, लेकिन मजदूरों ने लेने से मना कर दिया. इस दौरान मजदूरों ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि हमें अपना गांव प्यारा है. उससे अच्छा कुछ भी नहीं है. कोरोना महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है.

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घर जा रहे मजदूर

मजदूरों ने सुनाया दर्द
कुशीनगर जा रहे रामप्रवेश ने बताया कि काम बंद होने के कारण उनके पास पैसे आने बंद हो गये. घर से पैसे मंगा कर 7500 रुपये में साइकिल खरीदी और इसी से घर जा रहे हैं. अन्य कामगारों ने भी अपनी दास्तां सुनाई. उन्होंने कहा कि रास्ते से गुजरते समय हमने रुक कर हैंडपंप से पानी लेना चाहा, तो लोगों ने हमें रोक दिया. हमारी परेशानी कोई नहीं समझ रहा.

भोजपुर: लॉकडाउन के कारण विभिन्न प्रदेशों से कामगारों का लौटना जारी है. जिले के पीरो से होते हुये प्रवासी लगातार अपने घरों की तरफ जा रहे हैं. इसी क्रम में उड़ीसा से साइकिल से देवरिया और कुशीनगर जा रहे कामगारों ने अपना दर्द सुनाया.

मजदूरों ने कहा कि लोग बेरहम हो गए हैं. रास्ते में कई जगहों पर लोगों ने हैंडपंप से पानी लेने से मना कर दिया. किसी तरह भूखे प्यासे तीन दिनों में यहां तक पहुंचे हैं.

पीरो के लोहिया चौक पर पहुंचे कामगारों को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जलपान कराया और रास्ते के लिए खाने का सामान भी खरीद कर दिया. आर्थिक सहायत देने की पेशकश भी की, लेकिन मजदूरों ने लेने से मना कर दिया. इस दौरान मजदूरों ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि हमें अपना गांव प्यारा है. उससे अच्छा कुछ भी नहीं है. कोरोना महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है.

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घर जा रहे मजदूर

मजदूरों ने सुनाया दर्द
कुशीनगर जा रहे रामप्रवेश ने बताया कि काम बंद होने के कारण उनके पास पैसे आने बंद हो गये. घर से पैसे मंगा कर 7500 रुपये में साइकिल खरीदी और इसी से घर जा रहे हैं. अन्य कामगारों ने भी अपनी दास्तां सुनाई. उन्होंने कहा कि रास्ते से गुजरते समय हमने रुक कर हैंडपंप से पानी लेना चाहा, तो लोगों ने हमें रोक दिया. हमारी परेशानी कोई नहीं समझ रहा.

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