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भोजपुरः आज भी इस गांव में खाट पर लादकर अस्पताल जाते हैं मरीज, नहीं है पक्की सड़क

ग्रामीणों का कहना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में प्रतिनिधियों को वोट बहिष्कार करके सबक सिखाएंगे. बता दें कि यह कच्ची सड़क आज तक अपने पक्कीकरण की राह देख रही है.

सड़क
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Published : Jul 21, 2020, 1:46 PM IST

भोजपुरः बिहार की सुशासन की सरकार गांवों में विकास के खूब दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. जिला भोजपूर का एक गांव है सलेमपूर इस गांव में आज तक एक पक्की सड़क नहीं बन सकी. स्थिति ये है कि बरसात के दिनों में गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाए, तो मरीज को खटिये पर लेकर घुटने भर कीचड़ में घुसकर मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है.

सरकार की नाकामी का नमूना
भोजपुर के सलेमपुर दक्षिण टोला से पश्चिम टोला तक करीब 3 किलोमीटर सड़क आज तक नहीं बनी है.सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में गांव के लोगों को उठानी पड़ती है. सड़क नहीं होने के कारण करीब 400 घर इससे प्रभावित हैं. हजारों की आबादी वाले इस गांव में सड़क का ना बनना सरकार की नाकामी का नमूना है.

गांव की सड़क का हाल
गांव की सड़क का हाल

सरकार तक नहीं पहुंच पा रही आवाज
स्थानीय लोग बताते हैं कि उनका नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र कोइलवर है. जो करीब 18 किलोमीटर दूर पड़ता है. वहीं, सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में लोग मरीज को खाट पर लेटा कर ले जाते हैं. कई बार तो रास्ते में ही मरीज की मौत हो जाती है. जिले के विकास पुरूष सांसद आरके सिंह, संदेश विधायक अरुण यादव और जलपुरा पंचायत के मुखिया कसिमुद्दीन अंसारी समेत बिहार की सुशासन सरकार के कानों तक शायद इनकी आवाज नहीं पहुंच पा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः रोते हुए बोली मजदूर की बेटी- कमाने के लिए दिल्ली गए थे पापा, दूसरे ही दिन आई मौत की खबर

अधिकारियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे लोग
वहीं, जब इस संबंध में स्थानीय मुखिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके पास कोई फंड नहीं है. इसलिए ये सड़क नहीं बनाई जा सकती. स्थानीय लोग प्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं.

इस रोड के कारण इनसे होकर गुजरने वाले कई गांवों के ग्रामीण इस विधानसभा चुनाव में प्रतिनिधियों को वोट बहिष्कार करके सबक सिखाएंगे. बरहाल यह सड़क अपने निर्माण की राह देख रही है.

भोजपुरः बिहार की सुशासन की सरकार गांवों में विकास के खूब दावे करती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. जिला भोजपूर का एक गांव है सलेमपूर इस गांव में आज तक एक पक्की सड़क नहीं बन सकी. स्थिति ये है कि बरसात के दिनों में गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाए, तो मरीज को खटिये पर लेकर घुटने भर कीचड़ में घुसकर मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है.

सरकार की नाकामी का नमूना
भोजपुर के सलेमपुर दक्षिण टोला से पश्चिम टोला तक करीब 3 किलोमीटर सड़क आज तक नहीं बनी है.सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में गांव के लोगों को उठानी पड़ती है. सड़क नहीं होने के कारण करीब 400 घर इससे प्रभावित हैं. हजारों की आबादी वाले इस गांव में सड़क का ना बनना सरकार की नाकामी का नमूना है.

गांव की सड़क का हाल
गांव की सड़क का हाल

सरकार तक नहीं पहुंच पा रही आवाज
स्थानीय लोग बताते हैं कि उनका नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र कोइलवर है. जो करीब 18 किलोमीटर दूर पड़ता है. वहीं, सड़क नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में लोग मरीज को खाट पर लेटा कर ले जाते हैं. कई बार तो रास्ते में ही मरीज की मौत हो जाती है. जिले के विकास पुरूष सांसद आरके सिंह, संदेश विधायक अरुण यादव और जलपुरा पंचायत के मुखिया कसिमुद्दीन अंसारी समेत बिहार की सुशासन सरकार के कानों तक शायद इनकी आवाज नहीं पहुंच पा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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अधिकारियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे लोग
वहीं, जब इस संबंध में स्थानीय मुखिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल उनके पास कोई फंड नहीं है. इसलिए ये सड़क नहीं बनाई जा सकती. स्थानीय लोग प्रतिनिधि से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं.

इस रोड के कारण इनसे होकर गुजरने वाले कई गांवों के ग्रामीण इस विधानसभा चुनाव में प्रतिनिधियों को वोट बहिष्कार करके सबक सिखाएंगे. बरहाल यह सड़क अपने निर्माण की राह देख रही है.

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