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भोजपुर: आजादी की लड़ाई में अहम रोल निभाने वाला यह गांव आज है उपेक्षा का शिकार

आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गड़हनी प्रखंड़ के तीनघरवा टोले की सूरत नहीं बदली है. आज भी यह गांव विकास की एक किरण पाने के लिए तरस रहा है.

पुल और पुलिया बनाते स्थानीय ग्रामीण
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Published : Sep 1, 2019, 9:09 PM IST

भोजपुर: जिले के गड़हनी से सटे एक छोटा सा गांव तीनघरवा टोला बसा है. इस गांव का आजादी की लड़ाई में अतुलनीय योगदान रहा है. फिर भी सरकार और जनप्रतिनिधियों ने यहां कोई विकास का काम नहीं किया है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गड़हनी प्रखंड के तीनघरवा टोले की सूरत नहीं बदली है. आज भी यह गांव विकास की एक किरण पाने के लिए तरस रहा है.

पुलिया बनाते स्थानीय ग्रामीण

गांव में आजतक नहीं पहुंची सड़क
तीनघरवा टोला गड़हनी पंचायत के वार्ड संख्या एक में स्थित है. गड़हनी बाजार से सटे होने के बावजूद भी आजतक शहर के किसी सड़क से नहीं जुड़ पाया है. आज भी यहां पहुंचने के लिए न तो कोई सड़क है न ही रास्ते में पड़ने वाली बनास नदी और बरसाती नदी में पुल और पुलिया. गर्मी के दिनों में नदी का जलस्तर काफी नीचे रहने की वजह से आवागमन प्रभावित नहीं होता है. परन्तु बरसात के शुरू होते ही बनास नदी और बरसाती नदी के पानी से भरी होती है. जिसको पार करना मौत को बुलावा देने के समान है. बरसात में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर बाजार पहुंचते हैं. पुल-पुलिया नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद हो जाती है.

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पुल और पुलिया बनाते स्थानीय ग्रामीण

विकास से कोसों दूर है यह गांव
गड़हनी निवासी अविनाश राव ने कहा कि आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने यहां की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष पंचायत के मुखिया ने मनरेगा के तहत मिट्टी भराई का कार्य शुरू किया था. लेकिन किसी मामले में जेल जाने के बाद काम रुका तो आज तक रुका ही रह गया. सरकार की *सात-निश्चय योजना* के तहत वार्ड नंबर एक में काम शुरू तो हुआ जरुर लेकिन उसमें भी तीनघरवा टोला को कोसों दूर रखा गया है.

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स्थानीय ग्रामीण

आजादी की लड़ाई में थी गांव की अहम भूमिका
तीन तरफ नदी से घिरा यह गांव बरसात में टापू बन जाता है. जहां कोई आसानी से नहीं पहुंच सकता है. आजादी की लड़ाई के वक्त यह गांव स्वतंत्रता सेनानियों के लिए वरदान साबित हुआ करता था. स्वतंत्रता सेनानी इस गांव का भरपूर फायदा उठाते थे. प्रखंड के तमाम स्वत्रंत्रता सेनानी गांव-गांव जाकर अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए लोगों का अलख जगाते थे. ग्रामीणों को अग्रेजों के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित करते थे. इसकी भनक जैसे ही अग्रेजों को लगती और वो उन्हें ढूंढते इसके पहले वे गड़हनी के तीनघरवा टोला आकर छुप जाते थे. जहां अंग्रेज चाहकर भी नहीं पहुच पाते थे.

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पुलिया का निर्माण करते स्थानीय ग्रामीण

जदयू विद्यायक प्रभुनाथ राम का गांव है नजदीक
अगिआंव विधानसभा के वर्तमान क्षेत्रीय विद्यायक से यहां के ग्रामीणों को काफी उम्मदें थी. तीन वर्ष बीतने के बाद अब लोगों के मन में घोर निराशा और हताशा नजर आती है. क्योंकि विद्यायक का गांव देवढ़ी तीन घरवा टोला से महज 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो यहां की समस्याओं से वे पूर्ण रूप से वाकिफ हैं. अपने कार्यकाल पूरा होने तक यहां सड़क और पुल का निर्माण करा पाते हैं या गांव के लोगों को यह बदहाली का दंश झेलने की आदत बनाये रखनी होगी.

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पुल बनाते स्थानीय ग्रामीण

लोक शिकायत निवारण केंद्र में पहुंच चुका है मामला
गड़हनी निवासी युवा नेता अविनाश राव ने तीन घरवा टोला को बरसात से पूर्व सड़क का निर्माण और नदी पर पुल निर्माण के लिए फरवरी 2018 में ही लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी आरा से मांग की थी. जिसकी जांच के मांग को जायज बताते हुए पत्रांक/दिनांक 329, 7/4/2018 को ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल जगदीशपुर को जल्द से जल्द संर्पकता प्रदान करने का प्रस्ताव भेजा गया था. किंतु एक साल बीत जाने के बाद भी कार्य शुरू नहीं हो पाया है.

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स्थानीय ग्रामीण

भोजपुर: जिले के गड़हनी से सटे एक छोटा सा गांव तीनघरवा टोला बसा है. इस गांव का आजादी की लड़ाई में अतुलनीय योगदान रहा है. फिर भी सरकार और जनप्रतिनिधियों ने यहां कोई विकास का काम नहीं किया है. आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गड़हनी प्रखंड के तीनघरवा टोले की सूरत नहीं बदली है. आज भी यह गांव विकास की एक किरण पाने के लिए तरस रहा है.

पुलिया बनाते स्थानीय ग्रामीण

गांव में आजतक नहीं पहुंची सड़क
तीनघरवा टोला गड़हनी पंचायत के वार्ड संख्या एक में स्थित है. गड़हनी बाजार से सटे होने के बावजूद भी आजतक शहर के किसी सड़क से नहीं जुड़ पाया है. आज भी यहां पहुंचने के लिए न तो कोई सड़क है न ही रास्ते में पड़ने वाली बनास नदी और बरसाती नदी में पुल और पुलिया. गर्मी के दिनों में नदी का जलस्तर काफी नीचे रहने की वजह से आवागमन प्रभावित नहीं होता है. परन्तु बरसात के शुरू होते ही बनास नदी और बरसाती नदी के पानी से भरी होती है. जिसको पार करना मौत को बुलावा देने के समान है. बरसात में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर बाजार पहुंचते हैं. पुल-पुलिया नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद हो जाती है.

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पुल और पुलिया बनाते स्थानीय ग्रामीण

विकास से कोसों दूर है यह गांव
गड़हनी निवासी अविनाश राव ने कहा कि आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने यहां की समस्या पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष पंचायत के मुखिया ने मनरेगा के तहत मिट्टी भराई का कार्य शुरू किया था. लेकिन किसी मामले में जेल जाने के बाद काम रुका तो आज तक रुका ही रह गया. सरकार की *सात-निश्चय योजना* के तहत वार्ड नंबर एक में काम शुरू तो हुआ जरुर लेकिन उसमें भी तीनघरवा टोला को कोसों दूर रखा गया है.

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स्थानीय ग्रामीण

आजादी की लड़ाई में थी गांव की अहम भूमिका
तीन तरफ नदी से घिरा यह गांव बरसात में टापू बन जाता है. जहां कोई आसानी से नहीं पहुंच सकता है. आजादी की लड़ाई के वक्त यह गांव स्वतंत्रता सेनानियों के लिए वरदान साबित हुआ करता था. स्वतंत्रता सेनानी इस गांव का भरपूर फायदा उठाते थे. प्रखंड के तमाम स्वत्रंत्रता सेनानी गांव-गांव जाकर अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए लोगों का अलख जगाते थे. ग्रामीणों को अग्रेजों के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित करते थे. इसकी भनक जैसे ही अग्रेजों को लगती और वो उन्हें ढूंढते इसके पहले वे गड़हनी के तीनघरवा टोला आकर छुप जाते थे. जहां अंग्रेज चाहकर भी नहीं पहुच पाते थे.

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पुलिया का निर्माण करते स्थानीय ग्रामीण

जदयू विद्यायक प्रभुनाथ राम का गांव है नजदीक
अगिआंव विधानसभा के वर्तमान क्षेत्रीय विद्यायक से यहां के ग्रामीणों को काफी उम्मदें थी. तीन वर्ष बीतने के बाद अब लोगों के मन में घोर निराशा और हताशा नजर आती है. क्योंकि विद्यायक का गांव देवढ़ी तीन घरवा टोला से महज 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो यहां की समस्याओं से वे पूर्ण रूप से वाकिफ हैं. अपने कार्यकाल पूरा होने तक यहां सड़क और पुल का निर्माण करा पाते हैं या गांव के लोगों को यह बदहाली का दंश झेलने की आदत बनाये रखनी होगी.

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पुल बनाते स्थानीय ग्रामीण

लोक शिकायत निवारण केंद्र में पहुंच चुका है मामला
गड़हनी निवासी युवा नेता अविनाश राव ने तीन घरवा टोला को बरसात से पूर्व सड़क का निर्माण और नदी पर पुल निर्माण के लिए फरवरी 2018 में ही लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी आरा से मांग की थी. जिसकी जांच के मांग को जायज बताते हुए पत्रांक/दिनांक 329, 7/4/2018 को ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल जगदीशपुर को जल्द से जल्द संर्पकता प्रदान करने का प्रस्ताव भेजा गया था. किंतु एक साल बीत जाने के बाद भी कार्य शुरू नहीं हो पाया है.

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Intro:भोजपुर जिले के गड़हनी से सटे बसा है एक छोटा सा गांव तीनघरवा टोला. आजादी की लड़ाई में इस गांव का अतुलनीय योगदान रहा है. फिर भी सरकार व जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा का शिकार बना रहा. किसी ने नही दिया टोले के विकास पर ध्यान.Body:आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गड़हनी प्रखंड़ के तीनघरवा टोले की सूरत नहीं बदली. आज भी यह गांव विकास की एक किरण पाने के लिए तरस रहा. गड़हनी पंचायत के वार्ड संख्या एक में स्थित यह टोला, गड़हनी बाज़ार से सटे होने के बावजूद भी आजतक किसी सड़क से नहीं जुड़ पाया है. आज भी किस्मत का रोना रो रहा है. आलम यह है कि आज भी यहाँ पहुँचने के लिए न तो कोई सड़क है न ही रास्ते में पड़ने वाली बनास नदी व बरसती नदी में पुल व पुलिया. गर्मी के दिनों में नदी का जलस्तर काफी नीचे रहने की वजह से आवागमन प्रभावित नहीं होता परन्तु बरसात के शुरू होते ही बनास नदी व बर्षाति नदी के पानी से लबालब होती है जिसको पार करना मौत को बुलावा देने समान है. बरसात में लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर बाजार पहुंचते हैं. पुल-पुलिया नहीं हो पाने की स्थिति में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बंद हो जाती है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (जिसमें नदी पार के बच्चों को विद्यालय तक हरहाल में विद्यालय तक लाने के साधन का प्रावधान है) यहां बच्चों को भर बर्षात शिक्षा से महरुम करता है. बर्षात के महीने में कोई बीमार हो जाये तो उसको अस्पताल पहुँचाने में वही पुरानी व्यवस्था खटिया का सहारा लेकर किसी तरह अस्पताल पहुंचाया जाता है. गड़हनी निवासी अविनाश राव की माने तो तीनघरवा टोला की आज तक किसी जनप्रतिनिधि ने सुधि ध्यान नहीं ली, चाहे वह वार्ड सदस्य, मुखिया,विद्यायक हो या सांसद. किसी ने भी आवागमन के लिए अपनी निधि का एक अधेली भी बदहाली को झेल रहे इस गांव पर खर्च करने की ओर ध्यान दिया. इतना ही नहीं, आगे उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष पंचायत के मुखिया ने मनरेगा के तहत मिट्टी भराई कार्य शुरू किया था लेकिन किसी मामले में जेल जाने के बाद काम रुका तो आज तक रुका ही रह गया. सरकार की बहुमत्वकांक्षी *सात-निश्चय योजना* के तहत वार्ड नंबर एक में काम शुरू तो हुआ जरुर लेकिन उसमें भी तीनघरवा टोला को कोषों दूर रखा गया है.

*ग्रामीणों का आरोप*
ग्रामीणों की माने तो यादव बहुल्य टोला होने का खामियाजा भुगत रहा है यह तीन घरवा टोला. भूतपूर्व आरक्षी निरीक्षक राम तालिका सिंह ने बताया कि यादव का नाम आते ही लोग राजद से जोड़ कर देखना शुरू कर देते हैं. यह भी बताते चलें कि इस क्षेत्र मेंं लगातर बीस वर्षों से जदयू व भाजपा के विद्यायक,सांसद लगातर जीतते आ रहे हैं परन्तु सड़क व पुल निर्माण न कराना कहीं न कहीं जनप्रतिनिधियों की ओछी मानसिकता और विकास के प्रति गैरजिम्मेदारी का परिचायक है.

*आजादी की लड़ाई में थी गांव की अहम भूमिका*

तीन तरफ नदी से घिरा यह गांव बरसात में टापू बन जाता है,जहाँ कोई आसानी से नहीं पहुँच सकता. आजादी की लड़ाई के वक्त यह गांव स्वतंत्रता सेनानियों के लिए वरदान साबित हुआ करता था. स्वतंत्रता सेनानी इस गांव का भरपूर फायदा उठाते थे. प्रखंड के तमाम स्वत्रंत्रता सेनानी गांव-गांव जाकर अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए लोगों का अलख जगाते थे, उन्हें अग्रेजों के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित करते थे. इसकी भनक जैसे ही अग्रेजों को लगती और वो उन्हें ढूंढते इसके पहले वे गड़हनी के तीनघरवा टोला छुप जाते,जहां अंग्रेज चाहकर भी पहुँच नहीं पाते. उस समय के लिए वरदान साबित होने वाला यह टोला आज बना अभिशाप.

*जदयू विद्यायक प्रभुनाथ राम का गांव है नज़दीक*

अगिआंव विधानसभा के वर्तमान क्षेत्रीय विद्यायक से यहाँ के ग्रामीणों को काफी उमीदें थी. तीन वर्ष बीतने के बाद अब लोगों के मन में घोर निराशा और हताशा नजर आती है क्योंकि विद्यायक का गांव देवढ़ी तीन घरवा टोला से महज 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. जो यहाँ की समस्याओं से वे पूर्ण रूप से वाकिफ हैं. अब देखना यह है कि अपने कार्यकाल पूरा होने तक यहां सड़क व पुल का निर्माण करा पाते हैं या गांव के लोगों को यह बदहाली का दंश झेलने की आदत बनाये रखनी होगी.

*लोक शिकायत निवारण केंद्र आरा में भी पहुँच चुका है मामला*

गड़हनी निवासी युवा नेता अविनाश राव ने तीन घरवा टोला को बरसात से पूर्व सड़क का निर्माण व नदी पर पुल निर्माण के लिए फरवरी 2018 में ही लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी आरा से मांग की थी जिसकी जाँच के मांग को जायज बताते हुए पत्रांक/दिनांक 329, 7/4/2018 को ग्रामीण कार्य विभाग,कार्य प्रमंडल जगदीशपुर को जल्द से जल्द संर्पकता प्रदान करने का प्रस्ताव भेजा गया था,किंतु एक साल बीत जाने के बाद भी कार्य शुरू नहीं हो पाया.Conclusion:नाराजगी जाहिर करते हुए अविनाश राव ने कहा कि इतनी कोशिश करने के बावजूद कार्य का न होना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा करता है. अब तो जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ शासन-प्रसाशन से भी विश्वास उठ चुका है. सफलता मिले ना मिले,अलग बात है, हम कोशिश ही ना करें, ये गलत बात है. पंक्तियों को को मजबूत करते हुए उन्होंने आत्मविश्वास के साथ कहा कि हम हिम्मत नहीं हारे हैं. इस बदहाली से गांव वासियों को निजात दिलाने हेतु एवं इस मामले से रुबरु कराने के लिए बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से बहुत ही जल्द मिलेंगे.
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