आरा: भारत के महान गणितज्ञ (Great Mathematician of India) और आरा के लाल डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह (Dr. Vashistha Narayan Singh) को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान (Padma Shri Award) मिलने से परिजन संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं. भारत सरकार से भारत रत्न पुरस्कार से उन्हें सम्मानित करने की परिजनों ने मांग की है. परिजनों का कहना है कि जीते जी मिलना चाहिए था पद्मश्री का सम्मान. देश के महान गणितज्ञ को मरणोपरांत भारत रत्न से सरकार को सम्मानित करना चाहिए.
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भारत के महान गणितज्ञ और आरा की मिट्टी में जन्में दिवंगत डॉ0 वशिष्ठ नारायण सिंह को मरणोपरांत पद्मश्री सम्मान मिलने के बाद पैतृक गांव आरा के बसंतपुर में रह रहे उनके घरवालों के बीच नाराजगी है. प्रसिद्ध गणितज्ञ के घरवाले उनके सम्मान में भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस सम्मान को पाकर उनके घरवालों में थोड़ी बहुत खुशी जरूर देखने को मिली है.
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दिवंगत गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई, भतीजे और तमाम घर के सदस्य उन्हें पद्म श्री सम्मान मिलने से खुश तो हैं लेकिन उनकी सरकार से मांग है कि डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाय. परिजन इस सम्मान को पाने के बाद 14 नवंबर 2019 को उनके देहांत के बाद जो राज्य सरकार के द्वारा घोषित अन्य योजनाओं के पूरा होने का इंतजार भी कर रहे हैं.
डॉ0 वशिष्ठ नारायण सिंह के परिवार वालों द्वारा उनके याद को ताजा कर देने वाली स्मृतियोंं को अभी तक सहेज कर रखा गया है. उनकी वह किताब और उनके लिखे हुए सूत्र आज भी गणितज्ञ को ढूंढ़ती नजर आ रही है.
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बताते चलें कि डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह महान गणितज्ञ थे. उन्होंने नासा में भी काम किया था. उनकी मेधा की विश्वपटल पर ख्याति मिलने की एक बड़ी प्रसिद्ध और रोचक कहानी है. कहते हैं कि NASA ने अपोलो की लॉचिंग के समय 31 कंप्यूटर एक बार कुछ समय के लिए बंद हो गये. तब डॉ. वशिष्ठ भी उसी टीम में थे.
उन्होंने अपना कैलकुलेशन जारी रखा. जब कंप्यूटर ठीक हुए तो उनका और कम्प्यूटर का कैलकुलेशन एक था. इस घटना ने नासा के वैज्ञानिकों को भी अचंभित कर दिया. डॉ. सिंह के बारे में प्रसिद्ध है कि उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी.
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