भोजपुर: 'सुना अवघट यह घाट महाभयकारी, ऊपर से प्रबला आप नारी' राष्ट्रकवि दिनकर की इन पंक्तियों का मतलब है कि सुनसान घाट पर स्त्रियों का जाना वर्जित है. ऊपर से श्मशान जैसी जगह पर. नारी में करुणा भाव ज्यादा होता है और इन जगहों पर वह इसे रोक नहीं पाती. लेकिन ठीक इसके विपरित अपने पापा की लाडली बेटियों ने जब उन्हें कंधे पर उठा श्मशान के लिए चली तो देखने वालों की आंखें ही नम नहीं हुई, बल्कि सांसे भी थम गई.
बेटियों ने दी मुखाग्नि
ये बेटियां प्रख्यात चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. केबी सहाय की थी. जिन्होंने बेटे के कर्म को खुद कर साबित कर दिया कि बेटियां बेटों से कम नहीं. डॉ केबी सहाय का अंतिम संस्कार गुरुवार को आरा शहर के गांगी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया गया. इस दौरान चिकित्सक की दोनों बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया. बड़ी बेटी कजरी वर्मा और छोटी बेटी कविता देवकुलीयार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.
विधिवत हुआ अंतिम संस्कार
बेटियों द्वारा श्मशान में मुखाग्नि देते समय वहां का माहौल गमगीन हो गया. सभी के चेहरे पर घोर गम तो आंखे नम थी. लेकिन पापा की बेटियों ने दिल के जज्बात को चेहरे पर आने नहीं दिया. उन्होंने अंतिम संस्कार को विधिवत कर साबित कर दिया कि लड़कियां करुण भाव ही नहीं पत्थर सी हौंसले वाली भी होती है.
प्रतिभावान व्यक्ति थे डॉ केबी सहाय
डॉ केबी सहाय शहर के एक मशहूर चिकित्सक ही नहीं बल्कि एक अच्छे व्यंगकार, कवि, अभिनेता, समाजसेवी और एक अभिभावक थे. उनकी मौत की खबर ने सबको झकझोर दिया. ऐसा कोई तबका नहीं था जिन्होंने उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके घर का रुख न किया हो.
काफी संख्या में लोग रहे मौजूद
दाह संस्कार के मौके पर आरा विधायक डॉ. नवाज आलम उर्फ अनवर आलम, चिकित्सक डॉ. रामाधार शर्मा सहित अन्य चिकित्सक, लावारिस सेवा केंद्र के संस्थापक डीएन सिंह, भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह, भाकपा माले नेता दीना जी, समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.