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भोजपुर: बेटा बन बेटियों ने निभाया फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि

भोजपुर के प्रख्यात चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ के.बी सहाय का अंतिम संस्कार गुरुवार को आरा शहर के गांगी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया गया. उनकी दोनों बेटियों ने समाज की चिंता नहीं करते हुए अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और अपना फर्ज निभाया.

बेटा बन बेटियों ने निभाया फर्ज
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Published : Oct 13, 2019, 12:00 AM IST

भोजपुर: 'सुना अवघट यह घाट महाभयकारी, ऊपर से प्रबला आप नारी' राष्ट्रकवि दिनकर की इन पंक्तियों का मतलब है कि सुनसान घाट पर स्त्रियों का जाना वर्जित है. ऊपर से श्मशान जैसी जगह पर. नारी में करुणा भाव ज्यादा होता है और इन जगहों पर वह इसे रोक नहीं पाती. लेकिन ठीक इसके विपरित अपने पापा की लाडली बेटियों ने जब उन्हें कंधे पर उठा श्मशान के लिए चली तो देखने वालों की आंखें ही नम नहीं हुई, बल्कि सांसे भी थम गई.

बेटियों ने दी मुखाग्नि
ये बेटियां प्रख्यात चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. केबी सहाय की थी. जिन्होंने बेटे के कर्म को खुद कर साबित कर दिया कि बेटियां बेटों से कम नहीं. डॉ केबी सहाय का अंतिम संस्कार गुरुवार को आरा शहर के गांगी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया गया. इस दौरान चिकित्सक की दोनों बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया. बड़ी बेटी कजरी वर्मा और छोटी बेटी कविता देवकुलीयार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.

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मुखाग्नि देती बेटियां

विधिवत हुआ अंतिम संस्कार
बेटियों द्वारा श्मशान में मुखाग्नि देते समय वहां का माहौल गमगीन हो गया. सभी के चेहरे पर घोर गम तो आंखे नम थी. लेकिन पापा की बेटियों ने दिल के जज्बात को चेहरे पर आने नहीं दिया. उन्होंने अंतिम संस्कार को विधिवत कर साबित कर दिया कि लड़कियां करुण भाव ही नहीं पत्थर सी हौंसले वाली भी होती है.

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शोकाकुल परिजन

प्रतिभावान व्यक्ति थे डॉ केबी सहाय
डॉ केबी सहाय शहर के एक मशहूर चिकित्सक ही नहीं बल्कि एक अच्छे व्यंगकार, कवि, अभिनेता, समाजसेवी और एक अभिभावक थे. उनकी मौत की खबर ने सबको झकझोर दिया. ऐसा कोई तबका नहीं था जिन्होंने उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके घर का रुख न किया हो.

बेटा बन बेटियों ने निभाया फर्ज

काफी संख्या में लोग रहे मौजूद
दाह संस्कार के मौके पर आरा विधायक डॉ. नवाज आलम उर्फ अनवर आलम, चिकित्सक डॉ. रामाधार शर्मा सहित अन्य चिकित्सक, लावारिस सेवा केंद्र के संस्थापक डीएन सिंह, भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह, भाकपा माले नेता दीना जी, समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.

भोजपुर: 'सुना अवघट यह घाट महाभयकारी, ऊपर से प्रबला आप नारी' राष्ट्रकवि दिनकर की इन पंक्तियों का मतलब है कि सुनसान घाट पर स्त्रियों का जाना वर्जित है. ऊपर से श्मशान जैसी जगह पर. नारी में करुणा भाव ज्यादा होता है और इन जगहों पर वह इसे रोक नहीं पाती. लेकिन ठीक इसके विपरित अपने पापा की लाडली बेटियों ने जब उन्हें कंधे पर उठा श्मशान के लिए चली तो देखने वालों की आंखें ही नम नहीं हुई, बल्कि सांसे भी थम गई.

बेटियों ने दी मुखाग्नि
ये बेटियां प्रख्यात चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. केबी सहाय की थी. जिन्होंने बेटे के कर्म को खुद कर साबित कर दिया कि बेटियां बेटों से कम नहीं. डॉ केबी सहाय का अंतिम संस्कार गुरुवार को आरा शहर के गांगी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया गया. इस दौरान चिकित्सक की दोनों बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया. बड़ी बेटी कजरी वर्मा और छोटी बेटी कविता देवकुलीयार ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.

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मुखाग्नि देती बेटियां

विधिवत हुआ अंतिम संस्कार
बेटियों द्वारा श्मशान में मुखाग्नि देते समय वहां का माहौल गमगीन हो गया. सभी के चेहरे पर घोर गम तो आंखे नम थी. लेकिन पापा की बेटियों ने दिल के जज्बात को चेहरे पर आने नहीं दिया. उन्होंने अंतिम संस्कार को विधिवत कर साबित कर दिया कि लड़कियां करुण भाव ही नहीं पत्थर सी हौंसले वाली भी होती है.

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शोकाकुल परिजन

प्रतिभावान व्यक्ति थे डॉ केबी सहाय
डॉ केबी सहाय शहर के एक मशहूर चिकित्सक ही नहीं बल्कि एक अच्छे व्यंगकार, कवि, अभिनेता, समाजसेवी और एक अभिभावक थे. उनकी मौत की खबर ने सबको झकझोर दिया. ऐसा कोई तबका नहीं था जिन्होंने उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके घर का रुख न किया हो.

बेटा बन बेटियों ने निभाया फर्ज

काफी संख्या में लोग रहे मौजूद
दाह संस्कार के मौके पर आरा विधायक डॉ. नवाज आलम उर्फ अनवर आलम, चिकित्सक डॉ. रामाधार शर्मा सहित अन्य चिकित्सक, लावारिस सेवा केंद्र के संस्थापक डीएन सिंह, भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह, भाकपा माले नेता दीना जी, समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.

Intro:बेटा बन बेटियों ने निभाया फर्ज, पापा को दी मुखाग्नि

पंचतत्व में विलीन हुए प्रख्यात चिकित्सक डॉ. केबी सहाय

बेटियों ने दिया पापा को कंधा तो गमगीन हुआ माहौल हुआ

भोजपुर/आरा
"सुना अवघट यह घाट महाभयकारी, ऊपर से प्रबला आप नारी...." प्रयुक्त पंक्तियां राष्ट्रकवि दिनकर ने रश्मि-रथी में कुंती के लिए उस वक्त प्रयुक्त किया था जब वह संध्या बेला में कर्ण से कुछ मांगने गयी थी. मतलब साफ है कि सुनसान घाट पर स्त्रियों का जाना वर्जित है ऊपर से श्मशान जैसे जगह पर. चुकि नारी में करुणा भाव ज्यादा होती है और वह इन जगहों पर अपने करुणा को रोक नही पाती हैं. लेकिन ठीक इसके विपरित अपने ह्रदय को पत्थर सा कठोर कर अपने पापा की लाडली बेटियों ने जब उन्हें कंधे पर उठा श्मशान के लिए दामन थामा तो देखने वालों की आंखे ही नम नही हुई बल्कि सबकी सांसे थम गयी. ये बेटियाँ प्रख्यात चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. के बी सहाय की थी. जिन्होंने बेटे के कर्म को खुद कर साबित कर दिया कि बेटियाँ बेटों से कम नही.Body:प्रख्यात चर्म चिकित्सक डॉ के बी सहाय का अंतिम संस्कार गुरुवार को आरा शहर के गांगी नदी स्थित मुक्तिधाम पर किया हुआ. इस दौरान चिकित्सक की दोनों बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया. बड़ी पुत्री कजरी वर्मा उर्फ गुड़िया तथा छोटी पुत्री कविता देवकुलीयार उर्फ तितली ने अपने पिता को मुखाग्नि दी. बेटियों द्वारा श्मशान में मुखाग्नि देते समय वहां का माहौल गमगीन हो गया. सभी के चेहरे पर घोर गम तो आंखे नम थी. लेकिन पापा की बेटियों की हिम्मत देखिये उन्होंने अपने दिल के जज्बात को चेहरे पर आने नही दिया और अंतिम संस्कार को विधिवत कर साबित कर दिया कि लड़कियां करुण भाव ही नही पत्थर सी हौसले वाली भी होती है. डॉ के बी सहाय शहर के एक मशहूर चिकत्सक ही नही बल्कि एक अच्छे व्यंगकार, कवि, अभिनेता, समाजसेवी और शहर के एक अभिभावक थे. तभी तो उनके मौत की खबर ने सबको झकझोर दिया.ऐसा कोई तबका, दल, व समाज नही जिन्होंने उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके घर का रुख न किया हो. बस पूरे भोजपुर में एक ही चर्चा है कि शहर का अभिभावक चला गया.Conclusion:दाहसंस्कार के मौके पर आरा विधायक डॉ. नवाज आलम उर्फ अनवर आलम, चिकित्सक डॉ. रामाधार शर्मा, डॉ. विजयलक्ष्मी शर्मा, डॉ. केएन सिन्हा, डॉ. विकास सिंह, डॉ. प्रतीक, डॉ. राजीव, डॉ. अशोक कुमार सिन्हा, डॉ. एसके रूंगटा, डॉ. दिनेश प्रसाद सिन्हा, डॉ. दीपक कुमार, कावेरी मोहन, लावारिस सेवा केंद्र के संस्थापक डीएन सिंह, भाजपा नेता धीरेंद्र सिंह, भाकपा माले नेता दीना जी, मीडिया कर्मी डब्लू कुमार, हरिश्चंद्र मुखिया समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.

बाइट :- चिकित्सक की छोटी बेटी
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