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भोजपुर: दीपावली को लेकर बाजारों में भीड़, पटाखा दुकानों पर सन्नाटा - दीवाली पर कोरोना का प्रभाव

कोरोनाकाल में पर्व-त्योहारों की रंगत फीकी हो गई है. संक्रमण के कारण कुछ लोग जहां घरों में कैद हैं, वहीं कुछ लोग जमकर खरीदारी करते नजर आ रहे हैं.

भोजपुर
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Published : Nov 13, 2020, 7:59 PM IST

भोजपुर: बिहार में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न होने के बाद पर्व-त्योहारों को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है. जिले के बाजारों में भारी संख्या में लोग इनदिनों खरीदारी करते नजर आ रहे हैं. पर्व को लेकर बाजार काफी समय पहले ही सज गए थे. लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच रहे थे. अब कुछ रौनक देखने को मिल रही है.

मिट्टी की दीयों का बाजार अब भी मंदा है. पीएम मोदी के आह्वान के बाद कुम्हारों को उम्मीद थी कि उनका सामान बिकेगा लेकिन ज्यादा बिक्री नहीं हो रही है. लोग अभी भी चाइनीज लाइटों में ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. वहीं इस बार पटाखों का बाजार भी फीका है. लोग आतिशबाजी से दूरी कर रहे हैं.

देर शाम दिखी चहल-पहल
दीपावली की पूर्व संध्या पर बाजारों में देर शाम तक काफी चहल-पहल देखी गई. बता दें कि दीवाली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या नगरी लौटे थे, तब उनकी प्रजा ने महलों की सफाई की और दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. तब से ही दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ हर साल धूमधाम से मनाया जाता है.

भोजपुर: बिहार में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न होने के बाद पर्व-त्योहारों को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है. जिले के बाजारों में भारी संख्या में लोग इनदिनों खरीदारी करते नजर आ रहे हैं. पर्व को लेकर बाजार काफी समय पहले ही सज गए थे. लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच रहे थे. अब कुछ रौनक देखने को मिल रही है.

मिट्टी की दीयों का बाजार अब भी मंदा है. पीएम मोदी के आह्वान के बाद कुम्हारों को उम्मीद थी कि उनका सामान बिकेगा लेकिन ज्यादा बिक्री नहीं हो रही है. लोग अभी भी चाइनीज लाइटों में ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. वहीं इस बार पटाखों का बाजार भी फीका है. लोग आतिशबाजी से दूरी कर रहे हैं.

देर शाम दिखी चहल-पहल
दीपावली की पूर्व संध्या पर बाजारों में देर शाम तक काफी चहल-पहल देखी गई. बता दें कि दीवाली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या नगरी लौटे थे, तब उनकी प्रजा ने महलों की सफाई की और दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. तब से ही दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ हर साल धूमधाम से मनाया जाता है.

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