भागलपुर : रेशमी शहर के नाम से मशहूर स्मार्ट सिटी भागलपुर के बुनकरों की हालत लंबे समय से लागू लॉकडाउन की वजह से भुखमरी के कगार पर आ गई है. आलम ये है कि बुनकरों और उनके परिवारों को 2 जून की रोटी का इंतजाम करना भी काफी मुश्किल हो रहा है. जबसे कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार होना शुरू हुआ. उसी समय से बुनकरों की हालत काफी दयनीय हो गई है. वहीं बुनकरों तक सरकार द्वारा अब तक कोई सहायता नहीं पहुंच पाई है.
लाखों बुनकर बिना काम के काफी मुश्किल से जिंदगी गुजार रहे हैं. सरकार द्वारा अब तक कोई राहत सामग्री नहीं मिल पाई है. सरकार से सहायता के तौर पर कुछ भी अभी तक नहीं मिला है. हालांकि सरकार ने बुनकरों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की थी, जिसमें प्रमुख रुप से बुनकर शेड और बुनकर क्रेडिट कार्ड जैसी योजनाएं प्रमुख थीं. हालांकि, इन योजनाओं से बहुत ज्यादा बुनकरों का कल्याण नहीं हो पाया.
काफी समय से काम-धंधा बंद
भागलपुर शहर में लगभग 50 हजार के करीब लोग बुनकारी का काम करते हैं. ऐसे परिवारों की स्थिति लॉकडाउन के कुछ माह पहले से ही काफी बदतर हो गई है. युवा बुनकर साद ने बताया कि 21 मार्च से पूरी तरह से काम-धंधा बंद हो गया है. मजदूरों को पैसा देने भर भी हमारे कारखाने में काम नहीं है. साथ ही महाजन अभी पैसा नहीं दे रहे हैं. इसलिए काफी समय से कारखाने बंद पड़े हुए हैं.
बुनकरों को नहीं मिल पा रही सुविधाएं
वहीं अर्थशास्त्री प्रोफेसर राघवेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि भागलपुर में रेशम उद्योग को बढ़ावा देकर सरकार जिस आत्मनिर्भरता की बात तो करती है. लेकिन फिलहाल सरकार की कोई भी सहायता अब तक बुनकरों को नहीं मिल पाई है. जिसकी वजह से उनकी हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.