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भागलपुर: कलश स्थापना के साथ विषहरी पूजा शुरू, गीतों से गुंजायमान हुआ मंदिर प्रांगण - भागलपुर में विषहरी पूजा

भागलपुर में कलश स्थापना के साथ विषहरी पूजा शुरू हो गया है. इस दौरान गीतों से मंदिर का प्रांगण गुंजायमान होता रहा. 18 अगस्त को कलश और मंजूषा का विसर्जन किया जाएगा.

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कलश स्थापना के साथ शुरू होगा विषहरी पूजा
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Published : Aug 16, 2020, 7:01 PM IST

भागलपुर: अंग प्रदेश का लोक पर्व मनसा विषहरी पूजा बारी कलश स्थापना के साथ शुरू होगा. तीन दिवसीय विषहरी पूजा रविवार मध्य रात्रि में सिंह नक्षत्र के प्रवेश के बाद से शुरू हो जाएगा. जिसको लेकर रविवार को दिनभर अलग-अलग मंदिर से कलश शोभायात्रा निकाली गई. बरारी गंगा घाट से कलश में गंगाजल भरकर मंदिर में ले जाया गया.

17 अगस्त को विवाह
मेड़ पतियों ने कुम्हार के घर से विधिवत पूजा-अराधना के साथ संध्या पूजा कर मंदिरों में रखा गया. इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से मां विषहरी की प्रतिमा स्थापित नहीं की जा रही है. लेकिन परंपरा के अनुसार बाला लखेंद्र और बिहुला की प्रतिमा स्थापित कर 17 अगस्त को उनका विवाह संपन्न कराया जाएगा.

गीतों से मंदिर प्रांगण गुंजायमान
इस दौरान मंदिर परिसर के आसपास ही बारात निकाली जाएगी. कलश स्थापना के दौरान मां विषहरी की गाथा पर आधारित गीतों से मंदिर प्रांगण गुंजायमान होता रहा. शहर के महाशय ड्योड़ी, नाथनगर, परबत्ती, उर्दू बाजार, जरलाही, गुरहट्टा चौक, ईश्वर नगर, हबीबपुर, ईशाकचक, भीखनपुर गुमटी नंबर 1,2, छोटी खंजरपुर, बड़ी खंजरपुर, बरारी, नया बाजार, दीपनगर औऱ लालूचक सहित सैकड़ों जगहों पर पूजा-अर्चना शुरू हो गई.

18 अगस्त को विसर्जन
कलश यात्रा के दौरान श्रद्धालु कोरोना को लेकर जागरूक भी थे. सभी लोग कलश यात्रा के दौरान मास्क लगाकर चल रहे थे. 17 अगस्त की सुबह पहली डलिया ( कुंवारी डलिया) चढ़ाने की परंपरा है. लेकिन इस बार श्रद्धालु खुद से डलिया नहीं चढ़ाएंगे. वह मेड़ पतियों को डलिया देंगे. फिर मेड़ पति मां विषहरी को डलिया चढ़ा कर वापस श्रद्धालु को देगें. 18 अगस्त को दूसरी डलिया चढ़ेगी. संध्या में बारी कलश और मंजूषा का विसर्जन होगा.

भागलपुर: अंग प्रदेश का लोक पर्व मनसा विषहरी पूजा बारी कलश स्थापना के साथ शुरू होगा. तीन दिवसीय विषहरी पूजा रविवार मध्य रात्रि में सिंह नक्षत्र के प्रवेश के बाद से शुरू हो जाएगा. जिसको लेकर रविवार को दिनभर अलग-अलग मंदिर से कलश शोभायात्रा निकाली गई. बरारी गंगा घाट से कलश में गंगाजल भरकर मंदिर में ले जाया गया.

17 अगस्त को विवाह
मेड़ पतियों ने कुम्हार के घर से विधिवत पूजा-अराधना के साथ संध्या पूजा कर मंदिरों में रखा गया. इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से मां विषहरी की प्रतिमा स्थापित नहीं की जा रही है. लेकिन परंपरा के अनुसार बाला लखेंद्र और बिहुला की प्रतिमा स्थापित कर 17 अगस्त को उनका विवाह संपन्न कराया जाएगा.

गीतों से मंदिर प्रांगण गुंजायमान
इस दौरान मंदिर परिसर के आसपास ही बारात निकाली जाएगी. कलश स्थापना के दौरान मां विषहरी की गाथा पर आधारित गीतों से मंदिर प्रांगण गुंजायमान होता रहा. शहर के महाशय ड्योड़ी, नाथनगर, परबत्ती, उर्दू बाजार, जरलाही, गुरहट्टा चौक, ईश्वर नगर, हबीबपुर, ईशाकचक, भीखनपुर गुमटी नंबर 1,2, छोटी खंजरपुर, बड़ी खंजरपुर, बरारी, नया बाजार, दीपनगर औऱ लालूचक सहित सैकड़ों जगहों पर पूजा-अर्चना शुरू हो गई.

18 अगस्त को विसर्जन
कलश यात्रा के दौरान श्रद्धालु कोरोना को लेकर जागरूक भी थे. सभी लोग कलश यात्रा के दौरान मास्क लगाकर चल रहे थे. 17 अगस्त की सुबह पहली डलिया ( कुंवारी डलिया) चढ़ाने की परंपरा है. लेकिन इस बार श्रद्धालु खुद से डलिया नहीं चढ़ाएंगे. वह मेड़ पतियों को डलिया देंगे. फिर मेड़ पति मां विषहरी को डलिया चढ़ा कर वापस श्रद्धालु को देगें. 18 अगस्त को दूसरी डलिया चढ़ेगी. संध्या में बारी कलश और मंजूषा का विसर्जन होगा.

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