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एक महीने से बाढ़ के पानी से घिरा है पूरा गांव, सरकारी मदद नहीं मिलने से आक्रोश

मदरौनी गांव चारो तरफ बाढ़ के पानी से घिरा है. एक महीने बीत जाने के बाद भी अब तक सरकारी मदद नहीं पहुंच सकी है. सरकार की उदासीनता से ग्रामीणों में रोष है. कटाव के कारण हर साल बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार अनदेखी कर रही है.

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Published : Jul 30, 2020, 2:17 PM IST

Updated : Aug 19, 2020, 8:42 PM IST

भागलपुर(नवगछिया): नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड अंतर्गत मदरौनी गांव पिछले एक महीने से बाढ़ का दंश झेल रहा है. वहीं, गांव में लोग दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं. मदरौनी गांव के हजारों घर बाढ़ के पानी में पूरी तरह जल मग्न हो गया है. बाढ़ के हालात में भी गांव में अब तक सरकारी नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी है. वहीं, पछले साल आई बाढ़ में चलाई गई नाव का पैसा नाविकों को अब तक नहीं मिला है. इस वजह से नाविकों ने नाव का परिचालन करने से मना कर दिया है.

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गांव में फैला बाढ़ का पानी

बाढ़ में जलमग्न हुए गांव का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता नाव से पहुंचे. जहां, रिपोर्टिंग के दौरान टीम की नाव ही पलट गई. नाव पर साथ चल रहे मुखिया अजीत सिंह ने बीडीओ पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि नाविको को परिचालन के बदले पिछले दो वर्षों के पैसा का भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अधिकारी पैसा देने के बजाए बहाना बनाकर टाल देते हैं. पैसा देने के समय अलग-अलग मानकों का हवाला देकर पैसे को रोके देते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

प्रखंड के अधिकारियों पर लग रहे आरोप

मुखिया ने प्रखंड के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावितों को ना ही फंड देते हैं और ना ही कोई ठोस कदम उठाते हैं. बाढ़ पीड़ितों को प्लास्टिक भी नहीं दिया गया है. बेबस ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कोई भी खोजखबर नहीं ले रहा है. बाढ़ के समय आकस्मिक घटनाएं होने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, गर्भवती महिलाओं के प्रसव के समय मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बता दें कि मदरौनी गांव का तीन टोला पूरी तरह जलमग्न हो गया है. बाढ़ के चपेट में आने से एक हजार घर प्रभावित है. सरकार की उदासीनता के सवाल पर ग्रामीण भड़क गए. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अनदेखा कर रही है लेकिन वोट मांगने के समय हाथ जोड़ने आ जाते हैं.

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गांव में प्रवेश करने के दौरान पलटी नाव

बाढ़ के कारण संक्रमण फैलने का खतरा
कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टर साफ-सफाई रखने की सलाह देते हैं, लेकिन बाढ़ के पानी में सांप-कीड़ा के घर में घुसने का डर रहता है. वहीं, मेडिकल कैंप की भी व्यवस्था नहीं है. गांव में बाढ़ के दौरान कोई भी मेडिकल टीम या मेडिकल कैंप सरकार की तरफ से नहीं भेजी गई है. अगर कोई अचानक बीमार पड़ जाए तो वह भगवान भरोसे रहता है. ग्रामीणों और मुखिया प्रतिनिधि ने कहा कि मदरौनी तथा आसपास के गांव में हर साल बाढ़ का पानी में प्रवेश कर जाता है. इसके स्थाई निदान के लिए सरकार से रिंग बांध का निर्माण करवाने की मांग की है.

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पानी से घिरा गांव

भागलपुर(नवगछिया): नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड अंतर्गत मदरौनी गांव पिछले एक महीने से बाढ़ का दंश झेल रहा है. वहीं, गांव में लोग दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं. मदरौनी गांव के हजारों घर बाढ़ के पानी में पूरी तरह जल मग्न हो गया है. बाढ़ के हालात में भी गांव में अब तक सरकारी नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी है. वहीं, पछले साल आई बाढ़ में चलाई गई नाव का पैसा नाविकों को अब तक नहीं मिला है. इस वजह से नाविकों ने नाव का परिचालन करने से मना कर दिया है.

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गांव में फैला बाढ़ का पानी

बाढ़ में जलमग्न हुए गांव का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता नाव से पहुंचे. जहां, रिपोर्टिंग के दौरान टीम की नाव ही पलट गई. नाव पर साथ चल रहे मुखिया अजीत सिंह ने बीडीओ पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि नाविको को परिचालन के बदले पिछले दो वर्षों के पैसा का भुगतान नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अधिकारी पैसा देने के बजाए बहाना बनाकर टाल देते हैं. पैसा देने के समय अलग-अलग मानकों का हवाला देकर पैसे को रोके देते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

प्रखंड के अधिकारियों पर लग रहे आरोप

मुखिया ने प्रखंड के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि बाढ़ प्रभावितों को ना ही फंड देते हैं और ना ही कोई ठोस कदम उठाते हैं. बाढ़ पीड़ितों को प्लास्टिक भी नहीं दिया गया है. बेबस ग्रामीणों का कहना है कि उनकी कोई भी खोजखबर नहीं ले रहा है. बाढ़ के समय आकस्मिक घटनाएं होने की संभावना बढ़ जाती है. वहीं, गर्भवती महिलाओं के प्रसव के समय मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बता दें कि मदरौनी गांव का तीन टोला पूरी तरह जलमग्न हो गया है. बाढ़ के चपेट में आने से एक हजार घर प्रभावित है. सरकार की उदासीनता के सवाल पर ग्रामीण भड़क गए. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अनदेखा कर रही है लेकिन वोट मांगने के समय हाथ जोड़ने आ जाते हैं.

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गांव में प्रवेश करने के दौरान पलटी नाव

बाढ़ के कारण संक्रमण फैलने का खतरा
कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टर साफ-सफाई रखने की सलाह देते हैं, लेकिन बाढ़ के पानी में सांप-कीड़ा के घर में घुसने का डर रहता है. वहीं, मेडिकल कैंप की भी व्यवस्था नहीं है. गांव में बाढ़ के दौरान कोई भी मेडिकल टीम या मेडिकल कैंप सरकार की तरफ से नहीं भेजी गई है. अगर कोई अचानक बीमार पड़ जाए तो वह भगवान भरोसे रहता है. ग्रामीणों और मुखिया प्रतिनिधि ने कहा कि मदरौनी तथा आसपास के गांव में हर साल बाढ़ का पानी में प्रवेश कर जाता है. इसके स्थाई निदान के लिए सरकार से रिंग बांध का निर्माण करवाने की मांग की है.

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पानी से घिरा गांव
Last Updated : Aug 19, 2020, 8:42 PM IST
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