भागलपुर: बिहार के भागलपुर में गंगा विलास क्रूज के पहुंचने के बाद सैलानियों ने कुल तीन प्राचीन धरोहरों को करीब से देखा. इन प्रसिद्ध स्थानों में अजगैबीनाथ, बटेश्वरनाथ और प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का नाम आता है. यह क्रूज भारतीय कारीगरों के द्वारा तैयार किया गया है. जो सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. गंगा विलास क्रूज के द्वारा धरोहरों और सामाजिक प्रगति को दिखाने के मकसद से इस इको टूरिज्म की शुरुआत की गई है.
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भागलपुर में गंगा विलास क्रूज: गंगा विलास क्रूज के भागलपुर पहुंचने के बाद सैलानियों ने सुल्तानगंज के पहाड़ी पर जहन्नू ऋषि का आश्रम और शीलापट्ट पर उकेरी मूर्तियों को देखा. इस क्रूज की शुरुआत देवभूमि काशी स्थित गंगा से शुरू कर भागलपुर के उत्तरवाहिनी गंगा, सुलतानगंज, अजगैबीनाथ धाम पर रुकी. जहां कई लोगों ने उन सैलानियों का भव्य स्वागत किया. वही गंगा किनारे सांस्कृतिक धरोहरों और सामाजिक प्रगति को सैलानियों ने देखा.
विक्रमशिला विश्वविद्यालय का किया भ्रमण: इन दोनों तीर्थस्थलों पर सैलानियों को दर्शन करने के बाद क्रूज आगे बढ़ी और कहलगांव के बटेश्वरस्थान गंगा घाट पहुंचा. जहां कई स्कूली बच्चों के साथ राजनैतिक दलों ने स्विट्जरलैंड और जर्मनी के कुल 31 सैलानियों का स्वागत किया. इन सैलानियों को कड़ी सुरक्षा के बीच यहां से प्राचीन धरोहर विक्रमशिला विश्वद्यालय लेकर जाया गया. वहां से ऐतिहासिक अवशेषों को देखकर सारे सैलानियों को अच्छा लगा, यहां से फिर उनलोगों को तिब्बत मन्दिर, मुख्य स्तूप, छात्रावास परिसर और खुदाई स्थलों से रूबरू करवाया गया. वहीं इनके साथ चल रहे गाइड सब्यसाची ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय के बारे में काफी बारीकियों को बताया. इसे देखकर सैलानियों को काफी उत्साह नजर आया. सैलानियों ने एक एक दृश्य को अपने कैमरे में कैद किया है. बताया जाता है कि अभी तक गंगा विलास क्रूज पूरे यात्रा में दो स्थानों पर रुकी है.
सैलानियों ने डॉल्फिन की देखी अठखेलियां: इस क्रूज में सवार स्विट्जरलैंड और जर्मनी से आए कई सैलानियों ने पहली बार डॉल्फिन को अठखेलिया करते देखा. उनलोगों का कहना था कि पहले तो विश्वास नहीं हुआ कि डॉल्फिन को अठखेलियां करते देख रहे हैं. इस दृश्य को देखकर कई सैलानियों के चेहरे खिल उठे. यात्रियों का कहना था कि इस यात्रा में सबसे सुखद पल डॉल्फिन को अठखेलियां करते हुए देखना रहा है.
सैलानियों को भाया रेशमी शहर: विदेशों से आए सैलानियों ने कहा कि हमलोग ने वाराणसी से चलने के बाद सबसे सुखद पल भागलपुर में बिताया है. यहां आकर अजगैविनाथ का पहाड़ और प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय को देखकर काफी खुश दिखे हैं. सारे सैलानियों का कहना है कि यहां आकर सभ्यता और संस्कृति को देखकर काफी अच्छा लगा.
"सैलानियों को यहां आकर बहुत अच्छा लगा है. इस क्रूज के जरिए स्वीटजरलैंड और जर्मनी के कुल 31 सैलानी है. उनलोगों का कहना है कि भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित हुए हैं".- सब्यसाची, अनुवादक गंगा विलास क्रूज
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