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Bhagalpur: डायरिया से एक परिवार के 3 बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग ने की खानापूर्ति - भागलपुर में डायरिया से मौत

भागलपुर के सनहौला प्रखंड के भंडारीडीह गांव के महादलित टोला में डायरिया (Diarrhea) से एक ही परिवार के तीन बच्चों की मौत हो गई. इस गांव के 20-25 बच्चे बीमार हैं.

Three children of a family died due to diarrhea
डायरिया से मौत
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Published : Aug 5, 2021, 11:02 PM IST

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के सनहौला प्रखंड में सोमवार को एक ही परिवार के तीन बच्चों की डायरिया (Diarrhea) से मौत होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की नींद नहीं खुली है. आरआर पंचायत के भंडारीडीह गांव के महादलित टोला में विजय रिखसियान के परिवार के 3 बच्चों की मौत हो गई थी. तीनों को उल्टी दस्त होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां एक-एक कर उनकी मौत हो गई थी.

यह भी पढ़ें- आस्था या अंधविश्वास : डायरिया से 3 बच्चों की मौत, गांव वाले करने लगे पूजा-पाठ

मरने वालों में विजय का 8 साल का बेटा सूरज कुमार, 10 साल का बेटा चंदन कुमार और भांजी नेहा कुमारी शामिल है. बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने इसकी सूचना गांव के मुखिया और स्वास्थ्य विभाग की आशाकर्मी को दी. घटना के 2 दिन बाद स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम और आशाकर्मी को भेजकर खानापूर्ति कर दिया. एएनएम और आशाकर्मी ने कुछ परिवार के बीच दवा वितरण किया और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया. इसके बाद सभी लौट गए.

देखें रिपोर्ट

गांव में 61 घर हैं. यहां के 20-25 बच्चे बीमार हैं. आशाकर्मी या एएनएम द्वारा डायरिया से बचाव को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई. जागरूकता के अभाव में गांव के लोग इलाज नहीं करा पा रहे हैं, जिससे मौत हो रही है. गांव के बीचो-बीच तालाब है, जिसकी 50 साल से सफाई नहीं हुई है. तालाब से काफी बदबू आती है. तालाब में मरे हुए जानवर फेंक दिए गए हैं. इसके कारण आसपास के घरों में बीमारी फैल रही है.

पीड़िता सुलेखा देवी ने बताया कि घटना वाले दिन मैं बाहर गई थी. मेरे दोनों पोते और एक नतनी घर में खेल रहे थे. शाम को वापस लौटी तो तीनों बच्चे बेहोश थे. तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां एक-एक कर तीनों की मौत हो गई. बच्चों को पेट दर्द और उल्टी दस्त हुआ था. पहले से तीनों बच्चों को कोई बीमारी नहीं थी.

"मैंने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी थी. घटना के दो-तीन दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां आई और कुछ घरों में ओआरएस और कुछ दवा बांटा गया. गांव के बीचो-बीच मुसहरी तालाब है. इसकी सफाई 50 साल से नहीं हुई है. बारिश के दिनों में तालाब में पानी बढ़ जाता है और आसपास के घरों में घुस जाता है. तालाब का पानी काफी बदबू करता है. तालाब का निकास नहीं है. इसलिए डायरिया फैल रहा है."- उपेंद्र कुमार सिंह, ग्रामीण

"तालाब की सफाई को लेकर जब किसी को कहते हैं तो वे डांटने लगते हैं. कोई बात नहीं सुनता. हम लोग कमाने खाने वाले व्यक्ति हैं. हम लोगों की बात को कोई तवज्जो नहीं दिया जाता है. 3 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची. जब बीमारी दोबारा बढ़ गई और गांव के कई घरों में बच्चे बीमार होने लगे तब स्वास्थ्य विभाग की टीम आई."- बिरजू मुसहर

बता दें कि महादलित टोले में पिछले कई दिनों से डायरिया का प्रकोप है. कई बीमार बच्चे का इलाज चल रहा है. इससे गांव में अफरा-तफरी का माहौल है. हर साल सनहौला प्रखंड में डायरिया का प्रकोप बारिश के दिनों में बढ़ जाता है. पिछले साल भी डायरिया से 6 लोगों की मौत हुई थी. इस साल अब तक 3 बच्चे की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता को लेकर किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं चलाया जाता है. डायरिया के बचाव की जानकारी नहीं होने के कारण लोग अंधविश्वास में फंस जाते हैं, जिससे बीमार की मौत हो रही है.

यह भी पढ़ें- नालंदा नरसंहार: पीड़ित के परिजनों से मिलकर बोले मंत्री श्रवण कुमार- 'जो दोषी होगा वो बचेगा नहीं'

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) जिले के सनहौला प्रखंड में सोमवार को एक ही परिवार के तीन बच्चों की डायरिया (Diarrhea) से मौत होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की नींद नहीं खुली है. आरआर पंचायत के भंडारीडीह गांव के महादलित टोला में विजय रिखसियान के परिवार के 3 बच्चों की मौत हो गई थी. तीनों को उल्टी दस्त होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां एक-एक कर उनकी मौत हो गई थी.

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मरने वालों में विजय का 8 साल का बेटा सूरज कुमार, 10 साल का बेटा चंदन कुमार और भांजी नेहा कुमारी शामिल है. बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने इसकी सूचना गांव के मुखिया और स्वास्थ्य विभाग की आशाकर्मी को दी. घटना के 2 दिन बाद स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम और आशाकर्मी को भेजकर खानापूर्ति कर दिया. एएनएम और आशाकर्मी ने कुछ परिवार के बीच दवा वितरण किया और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया. इसके बाद सभी लौट गए.

देखें रिपोर्ट

गांव में 61 घर हैं. यहां के 20-25 बच्चे बीमार हैं. आशाकर्मी या एएनएम द्वारा डायरिया से बचाव को लेकर किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई. जागरूकता के अभाव में गांव के लोग इलाज नहीं करा पा रहे हैं, जिससे मौत हो रही है. गांव के बीचो-बीच तालाब है, जिसकी 50 साल से सफाई नहीं हुई है. तालाब से काफी बदबू आती है. तालाब में मरे हुए जानवर फेंक दिए गए हैं. इसके कारण आसपास के घरों में बीमारी फैल रही है.

पीड़िता सुलेखा देवी ने बताया कि घटना वाले दिन मैं बाहर गई थी. मेरे दोनों पोते और एक नतनी घर में खेल रहे थे. शाम को वापस लौटी तो तीनों बच्चे बेहोश थे. तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां एक-एक कर तीनों की मौत हो गई. बच्चों को पेट दर्द और उल्टी दस्त हुआ था. पहले से तीनों बच्चों को कोई बीमारी नहीं थी.

"मैंने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी थी. घटना के दो-तीन दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां आई और कुछ घरों में ओआरएस और कुछ दवा बांटा गया. गांव के बीचो-बीच मुसहरी तालाब है. इसकी सफाई 50 साल से नहीं हुई है. बारिश के दिनों में तालाब में पानी बढ़ जाता है और आसपास के घरों में घुस जाता है. तालाब का पानी काफी बदबू करता है. तालाब का निकास नहीं है. इसलिए डायरिया फैल रहा है."- उपेंद्र कुमार सिंह, ग्रामीण

"तालाब की सफाई को लेकर जब किसी को कहते हैं तो वे डांटने लगते हैं. कोई बात नहीं सुनता. हम लोग कमाने खाने वाले व्यक्ति हैं. हम लोगों की बात को कोई तवज्जो नहीं दिया जाता है. 3 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं पहुंची. जब बीमारी दोबारा बढ़ गई और गांव के कई घरों में बच्चे बीमार होने लगे तब स्वास्थ्य विभाग की टीम आई."- बिरजू मुसहर

बता दें कि महादलित टोले में पिछले कई दिनों से डायरिया का प्रकोप है. कई बीमार बच्चे का इलाज चल रहा है. इससे गांव में अफरा-तफरी का माहौल है. हर साल सनहौला प्रखंड में डायरिया का प्रकोप बारिश के दिनों में बढ़ जाता है. पिछले साल भी डायरिया से 6 लोगों की मौत हुई थी. इस साल अब तक 3 बच्चे की मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता को लेकर किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं चलाया जाता है. डायरिया के बचाव की जानकारी नहीं होने के कारण लोग अंधविश्वास में फंस जाते हैं, जिससे बीमार की मौत हो रही है.

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