पटना/भागलपुरः मंगलवार को बिहार कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. जिसमें से एक फैसला वृद्ध माता-पिता की उपेक्षा और अनादर के मामले में लिया गया. इस फैसले में बिहार कैबिनेट ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम में संशोधन किया है.
5000 रुपये जुर्माना और 3 महीने की कैद
नई व्यवस्था में यह प्रावधान है कि यदि माता-पिता की उपेक्षा की जाती है तो 5000 रुपये जुर्माना और 3 महीने की कैद की सजा या दोनों हो सकती है. यह गैर जमानती भी होगी. राज्य सरकार ने यह कानून बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार की सिफारिश पर बनाया है. इस कानून में मामले की सुनवाई के लिए गठित अधिकरण के अध्यक्ष डीएम होंगे. इससे पहले जिला परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश होते थे.
कई लोगों ने कहा गलत है कानून
सरकार के इस फैसले को पटना के बुजुर्गों ने सराहा है. उनका कहना है कि इस कानून से वैसे बच्चों के दिल में डर होगा जो अपने मां-बाप का आदर नहीं करते या उन्हें छोड़ देते हैं. वहीं, कुछ लोगों ने इस कानून को गलत भी ठहराया है. उनका कहना है कि जबरदस्ती आप किसी से कुछ नहीं करवा सकते. सरकार को खुद ही बुजुर्गों के लिए कोई योजना बनानी चाहिए.
प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत
इस फैसले पर ईटीवी भारत ने भागलपुर के लोगों से बातचीत की. जहां भागलपुर के डॉक्टर शैलेंद्र कुमार ने इस कानून को कारगर ढंग से लागू करने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस कानून के आ जाने से वरिष्ठ नागरिकों के साथ जो समस्या हो रही थी उसका समाधान होगा. बस इसे कारगर रूप से सरकार लागू करने की कोशिश करे. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही मजबूत कानून है. गैर जमानती होने के कारण लोगों में डर का माहौल बनेगा.
मजबूत है यह कानून
फैसले का स्वागत करते हुए भागलपुर के लोगों ने कहा कि सरकार का यह फैसला बहुत ही अच्छा फैसला है. बस इसे प्रभावी ढंग से लागू करना होगा. इस कानून के आ जाने से बच्चों में डर का माहौल बनेगा. यह कानून बूढ़े माता-पिता के एक मजबूत हथियार साबित होगा. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि सभ्य समाज के लिए यह कानून कोई मायने नहीं रखता. असभ्य समाज के लिए यह कानून बहुत ही मजबूत कानून है. यह कानून सभी वर्गों के लिए लाया गया है.