भागलपुर: बिहार में लगातार बाढ़ (Flood in Bihar) का कहर जारी है. बाढ़ से कई जगहों पर हादसे भी रहे हैं. लेकिन प्रशासन और पुलिस (Administration and Police) के लोगों के सामने नाविक ओवरलोड नाव (Overload Boat) चलाकर खतरे को आमंत्रण दे रहे हैं. ताजा मामला भागलपुर के सबौर प्रखंड का है. जहां गंगा की लहरों के बीच ओवरलोड नावों का परिचालन हो रहा है. तेज धारा के बीच नाव पर क्षमता से अधिक सवारी के साथ सामान भी लादे जा रहे हैं. छोटी नाव पर सौ से अधिक लोगों के साथ सामान और गाड़ियां भी लाद दी जा रही हैं. यह सारा खेल पुलिस पदाधिकारी के सामने हो रहा है. प्रशासन कार्रवाई के बजाय चुप्पी साधे है.
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हाल ही में 17 अगस्त को पीरपैंती प्रखंड के रानी दियारा में नाव डूबने से हादसा हुआ था. इसके बावजूद भी नाविक और प्रशासनिक अधिकारी बेपरवाह बने हैं. बाढ़ प्रभावित इलाके सबौर, नाथनगर, सुल्तानगंज, कहलगांव, पीरपैंती सहित नवगछिया अनुमंडल के हजारों की संख्या में गांव जलमग्न हैं. गंगा और कोसी नदी के पानी से गांवो के घिरे होने से नाव ही लोगों के लिए आवागमन का साधन है. बड़ी संख्या में लोग नाव के सहारे आ रहे हैं. इस दौरान चलने वाली सरकारी और गैर सरकारी नाव पर क्षमता से अधिक यात्री के साथ सामान और वाहन ढोया जा रहा है.
गौरतलब हो कि भागलपुर जिला प्रशासन द्वारा ओवरलोडिंग नाव रोकने के लिए चिन्हित घाटों पर मजिस्ट्रेट के साथ पुलिस पदाधिकारी और पुलिस बल की नियुक्ति की है. लेकिन पुलिस पदाधिकारी मूकदर्शक बने रहते हैं.
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नाविक महेंद्र मंडल ने बताया कि वे रोजाना सबौर ब्लॉक चौक से घोषपुर होते हुए खनकित्ता यात्रियों को लेकर आते-जाते है. ओवरलोड के बारे में पूछने पर चुप्पी साध ले रहे हैं. वहीं, मौके पर मौजूद सबौर थाना के पुलिस पदाधिकारी विजय प्रसाद ने कहा कि ओवरलोड नाव चल रही है, हादसा हो सकती है. मगर जब उनसे पूछा गया कि उसको रोकने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है तो उन्होंने चुप्पी साध ली.
बिहार सरकार के नौका नियमावली के अनुसार किसी भी परिस्थिति में यात्रियों के साथ नाव में पशु को नहीं चढ़ाना है. बिहार में 2011 में मॉडल बोट रूल को लागू किया गया. जो बंगाल नौ-घाट अधिनियम 1885 पर आधारित था. लेकिन जमीनी स्तर पर इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है.