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15 सालों में इस स्वास्थ्य केन्द्र का नहीं खुला ताला, मवेशियों का बना चारागाह

कहलगांव प्रखंड के रसलपुर पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है. आलम यह है कि पिछले 15 सालों से इन स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर से लेकर नर्स तक कोई भई दिखाई नहीं दिये. इस स्वास्थ्य केंद्रों का कभी ताला खुला ही नहीं.

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Published : Jun 19, 2019, 12:52 PM IST

स्वास्थ्य केंद्र

भागलपुर: जिले के कहलगांव प्रखंड के ग्रामीण आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है. सरकार स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चाहे जितने भी दावे कर लें लेकिन इस प्रखंड की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

दरअसल, इस प्रखंड के रसलपुर पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति काफी दयनीय है. आलम यह है कि पिछले 15 सालों से यहां के स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर से लेकर नर्स तक कोई भी दिखाई नहीं दिया है. इस स्वास्थ्य केंद्रों में लगे ताले आज तक कभी किसी ने नहीं खोला. बंद पड़े इस स्वास्थ्य केंद्र का परिसर मवेशियों का चारागाह बनता जा रहा है.

bhagalpur
स्वास्थ्य केंद्र

केवल टीकाकरण के लिए खुलती है ये केंद्र
वहीं अस्पताल की बदहाली को लेकर जब स्थानीय लोगों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह केंद्र केवल टीकाकरण के लिए ही खोला जाता है. अस्पताल में कोई उपक्रम तक देखने के को नहीं मिलते हैं. ऐसे में सरकार स्वास्थ्य केंद्र के जरिए ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात करती है. लेकिन ऐसा लगता है कि यहां के ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाया है.

bhagalpur
स्वास्थ्य केंद्र पर ताला
अस्पताल में ना कोई डॉक्टर ना कोई नर्स
ग्रामीण फूलो मंडल ने बताया कि यह स्वास्थ्य केंद्र 15 सालों से कभी खुला ही नहीं है. यहां ना तो कोई डॉक्टर या नर्स आते हैं. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर कहलगांव लेकर जाना पड़ता है.
bhagalpur
स्वास्थ्य केंद्र
दवाई भी उपलब्ध नहीं
वहीं एक महिला ने बताया कि जब से वह देख रही हैं तब से अस्पताल में इसी तरह स्थिति है. इस अस्पताल में ना दर्द की दवाई मिलती है ना कोई डॉक्टर मिलता है जो सलाह दे. वह बताती हैं कि गांव में कोई यदि बीमार पड़ जाता है तो उन्हें कहलगांव लेकर जाना पड़ता है. कई दफा ले जाने के क्रम में उनकी मौत भी हो जाती है.
15 सालों से बंद पड़ा है ये अस्पताल

एंबुलेंस की भी कोई सुविधा नहीं
ग्रामीण निरंजन कुमार मंडल बताते हैं कि उन्होंने अस्पताल की बदहाली पर कई बार अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी से शिकायत की है. लेकिन उसकी शिकायत व्यर्थ में चली गई है. अभी तक कोई भी सुविधा इस अस्पताल में मुहैया नहीं करायी गयी है. उन्होंने बताया कि यहां वाहन की भी अधिक सुविधा नहीं है. जिससे की रोगी को अस्पताल पहुंचाया जा सके.

जहां एक ओर पूरा बिहार चमकी और लू जैसी बीमारियों से जूझ रहा है. वहीं दूसरी ओर इस प्रखंड में प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल तक नहीं है. ऐसी स्थिति में लोगों को इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं है. कहां जाएंगे. ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के सभी दावें कितनी खोखली है.

भागलपुर: जिले के कहलगांव प्रखंड के ग्रामीण आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है. सरकार स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चाहे जितने भी दावे कर लें लेकिन इस प्रखंड की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

दरअसल, इस प्रखंड के रसलपुर पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति काफी दयनीय है. आलम यह है कि पिछले 15 सालों से यहां के स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर से लेकर नर्स तक कोई भी दिखाई नहीं दिया है. इस स्वास्थ्य केंद्रों में लगे ताले आज तक कभी किसी ने नहीं खोला. बंद पड़े इस स्वास्थ्य केंद्र का परिसर मवेशियों का चारागाह बनता जा रहा है.

bhagalpur
स्वास्थ्य केंद्र

केवल टीकाकरण के लिए खुलती है ये केंद्र
वहीं अस्पताल की बदहाली को लेकर जब स्थानीय लोगों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह केंद्र केवल टीकाकरण के लिए ही खोला जाता है. अस्पताल में कोई उपक्रम तक देखने के को नहीं मिलते हैं. ऐसे में सरकार स्वास्थ्य केंद्र के जरिए ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात करती है. लेकिन ऐसा लगता है कि यहां के ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाया है.

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स्वास्थ्य केंद्र पर ताला
अस्पताल में ना कोई डॉक्टर ना कोई नर्स
ग्रामीण फूलो मंडल ने बताया कि यह स्वास्थ्य केंद्र 15 सालों से कभी खुला ही नहीं है. यहां ना तो कोई डॉक्टर या नर्स आते हैं. गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर कहलगांव लेकर जाना पड़ता है.
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स्वास्थ्य केंद्र
दवाई भी उपलब्ध नहीं
वहीं एक महिला ने बताया कि जब से वह देख रही हैं तब से अस्पताल में इसी तरह स्थिति है. इस अस्पताल में ना दर्द की दवाई मिलती है ना कोई डॉक्टर मिलता है जो सलाह दे. वह बताती हैं कि गांव में कोई यदि बीमार पड़ जाता है तो उन्हें कहलगांव लेकर जाना पड़ता है. कई दफा ले जाने के क्रम में उनकी मौत भी हो जाती है.
15 सालों से बंद पड़ा है ये अस्पताल

एंबुलेंस की भी कोई सुविधा नहीं
ग्रामीण निरंजन कुमार मंडल बताते हैं कि उन्होंने अस्पताल की बदहाली पर कई बार अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी से शिकायत की है. लेकिन उसकी शिकायत व्यर्थ में चली गई है. अभी तक कोई भी सुविधा इस अस्पताल में मुहैया नहीं करायी गयी है. उन्होंने बताया कि यहां वाहन की भी अधिक सुविधा नहीं है. जिससे की रोगी को अस्पताल पहुंचाया जा सके.

जहां एक ओर पूरा बिहार चमकी और लू जैसी बीमारियों से जूझ रहा है. वहीं दूसरी ओर इस प्रखंड में प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल तक नहीं है. ऐसी स्थिति में लोगों को इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं है. कहां जाएंगे. ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के सभी दावें कितनी खोखली है.

Intro:भागलपुर जिले के कहलगांव प्रखंड के ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है । इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के चाहे जितने भी दावे किए जाये जमीनी सच्चाई कुछ अलग ही दिखाई दे रही है । हम बात कर रहे हैं कहलगांव प्रखंड के रसलपुर पंचायत के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कि जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है बदहाली की हाल यह है कि इन स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर से लेकर नर्स तक 15 सालों से दिखाई नहीं दिये , यहां का कभी ताला खुला ही नहीं , बंद पड़े इन स्वास्थ्य केंद्र परिसर मवेशियों का चारागाह बना रहता है । यह स्वास्थ्य केंद्र खुद डायलिसिस पर है ,इसकी स्थिति बदहाल है । इस केंद्र की जिम्मेदारी एएनएम पर है ,बदहाली की स्थिति यह है कि यहां की पूरी व्यवस्था को डायलिसिस की जरूरत है ।


Body:अस्पताल की बदहाली को लेकर ईटीवी भारत में स्थानीय लोगों से बातचीत किया ।जिसमें लोगों ने बताया कि यह केंद्र कभी कभी केवल टीकाकरण के लिए खुलता है ,टीका लगाने के बाद फिर चले जाते हैं , केंद्र का ताला नहीं खुलता है बरामदे पर ही टीका लगा दिया जाता है । ईटीवी भारत के रिपोर्टर नें अस्पताल का जायजा लिया तो अस्पताल में कोई भी उपकर्म देखने के लिए नहीं मिला । ऐसे में सरकार इस स्वास्थ्य केंद्र के बदौलत ग्रामीण आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात कर रही है । इस अस्पताल की हालत को देखकर लगता है कि ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है ।.केंद्र और राज्य सरकार लाख दावे कर ले लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही दिखाई दे रही है ।

ईटीवी से बातचीत में ग्रामीण फूलों मंडल ने बताया कि यह स्वास्थ्य केंद्र 15 वर्षों से कभी खुला ही नहीं है कोई डॉक्टर या नर्स नहीं आते हैं ।.गांव में यदि कोई बीमार पड़ जाते हैं गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर है कहलगांव लेकर जाना पड़ता है ।

वहीं एक महिला ने बताया कि जब से वह देख रही है तब से अस्पताल के इसी तरह स्थिति है ।.इस अस्पताल में ना दर्द की दवाई मिलती है ना कोई डॉक्टर मिलता है जो सलाह दे। वह बताती है कि गांव में कोई यदि बीमार पड़ जाता है तो उन्हें कहलगांव लेकर जाना पड़ता है कई दफा ले जाने के क्रम में उनकी मौत भी हो जाती है ।

निरंजन कुमार मंडल बताते हैं कि वह अस्पताल की बदहाली पर कई बार अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी से शिकायत भी किया लेकिन उसकी शिकायत व्यर्थ गई है ,अभी तक कोई भी सुविधा इस अस्पताल में मुहैया नहीं कराया गया है , 15 वर्षों से अस्पताल इसी हालत में पड़ी हुई है । उन्होंने बताया कि गांव के लोगों को इलाज के लिए यहां से करीब 4 से 10 किलोमीटर दूर है एकचारी या कहलगांव लेकर जाना पड़ता है । उन्होंने बताया कि यहां वाहन के भी अधिक सुविधा नहीं है जिससे कि रोगी को अस्पताल पहुंचाया जा सके जिस कारण यदि किसी रोगी का कंडीशन खराब हो तो उसे अस्पताल ले जाने के क्रम में ही उसकी मौत रास्ते में हो जाती है ।


ऐसे में ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है । राज्य और केंद्र की सरकार स्वास्थ्य को लेकर कई प्रकार की योजनाएं चला रही है ,लेकिन वह योजना ही क्या जिसमें इच्छाशक्ति की कमी हो ,यहां डॉक्टर नहीं आते हैं । बोर्ड में एएनएम की मोबाइल नंबर दर्ज है मगर उस नंबर पर फोन नहीं मिलता । बोर्ड की चमचमाहट से लगता है कि अस्पताल में डॉक्टर और नर्सों की चमक धमक होगी मगर चमक दमक मवेशियों की जुगालियों की थी ।


Conclusion:VISUAL
BYTE - फूलों मंडल ( ग्रामीण )
BYTE - काजल देवी ( ग्रामीण )
BYTE - निरंजन मंडल ( ग्रामीण )
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