भागलपुर: अंग प्रदेश में चल रहे विषहरी मेले को बुधवार को विसर्जन के साथ समाप्त कर दिया गया. श्रद्धालु विषहरी की विसर्जन यात्रा में सम्मिलित होने के लिए काफी दूर-दूर से आये हुए थे. देर शाम से विषहरी की विसर्जन यात्रा शुरू की गई. जगह-जगह पर पुलिस की ओर से चाक चौबंद व्यवस्था की गई थी. जिससे कि कोई भी असामाजिक तत्व पूजा में किसी तरह का व्यवधान न डालें. इसके लिए सभी चौक चौराहों पर भी पुलिस बल की तैनाती की गई थी.
विषहरी प्रतिमा का विसर्जन
बता दें कि इस प्राचीन परंपरा से एक झलक महिला सशक्तिकरण की भी मिलती है. किस तरह से पुरुष प्रधान समाज में विषहरी ने अपनी पूजा लोकगाथा के हिसाब से चांद सौदागर से मजबूरन करवाई थी. साथ ही सर्पदंश से पति की मौत होने के बाद सती बिहुला ने अपने पति के प्राण अपने सतीत्व की वजह से वापस करवाए थे. जिसकी चर्चा बिहुला विषहरी की गाथा में है. अंग प्रदेश की एक और पहचान मंजूषा चित्रकला को भी लेकर है. इस पूरे अंग प्रदेश की महिलाओं के लिए गौरव की बात है कि इस पूजा के माध्यम से चंपा नगर स्थित मनसा मंदिर की मान्यताएं प्राचीन काल से अब तक चली आ रही हैं.
बिहुला विषहरी की पूरी कहानी
बिहुला विसहरी की पूरी कहानी इसी चंपानगर से जुडी हुई है. मायके में आयोजित विहुला विषहरी पूजा समारोह में सुबह से डलिया और प्रसाद चढ़ाने के लिए भीड़ का जन सैलाब उमड़ पड़ता था. लेकिन इस बार विसर्जन यात्रा में सालों पुरानी परंपरा टूटती दिखी. देर रात विर्षजन यात्रा शुरू हुई. जिसमे काफी कम लोग ही मौजूद रहे. विर्षजन यात्रा में प्रतिमा के साथ-साथ मंजुषा चल रहे थे और महिलाएं विदाई गीत गा रही थी. इस दौरान स्थानीय शहनाई भी विदाई स्वर में गूंज रही थी. यात्रा को शहर में घूमते हुए चंपा नदी में प्रतिमा विसर्जन के साथ विहुला को विदाई दी गई.