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Bhagalpur में कहर ढा रही कोसी, दर्जनों घर बहे, खुद ही अपना आशियाना उजाड़ रहे लोग

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Published : Aug 3, 2021, 9:06 PM IST

बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) में कोसी नदी कहर ढा रही है. भीषण कटाव के चलते चोरहर और मैरचा गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. दर्जनों घर नदी में समा गए हैं. लोग खुद भी अपने घर तोड़कर सामान निकाल रहे हैं.

Kosi river erosion
चोरहर में कोसी का कटाव

भागलपुर: कोसी नदी (Kosi River) को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है इसे भागलपुर (Bhagalpur) में मच रही तबाही से जाना जा सकता है. जिले के नवगछिया (Navagachia) अनुमंडल के चोरहर घाट गांव में कोसी कहर ढा रही है. भीषण कटाव के चलते एक के बाद एक घर कोसी में समा रहे हैं. कटाव की जद में आए लोग खुद ही अपने घर तोड़ रहे हैं. वे खिड़की, चौखट, ईंट और अन्य सामानों को निकाल रहे हैं ताकि इनका इस्तेमाल कर फिर से आशियाना बसाया जा सके.

यह भी पढ़ें- VIDEO: 3 नदियों के पानी से घिरा 'भखरी गांव' बना टापू, देखिए ये तस्वीरें..

कोसी नदी के भीषण कटाव की वजह से चोरहर के दर्जनों घर नदी में समा गए हैं, जबकि दर्जनों घर कटाव के मुहाने पर आ गए हैं. इससे लोगों में दहशत है. ग्रामीण कटाव को देखते हुए अपने मकान तोड़कर सामान निकाल रहे हैं. गांव में पलायन शुरू हो गया है. भुवनेश्वर पंडित, विजय पंडित, दिलीप पंडित, शंकर शर्मा, नरेश पंडित, प्रकाश पंडित आदि के घर कट कर कोसी में समा गए हैं. पीड़ित खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं.

देखें रिपोर्ट

नदी किनारे स्थित मध्य विद्यालय पर भी कटाव का खतरा मंडराने लगा है. यहां दर्जनों वैसे परिवार रह रहे हैं, जिनका घर कटकर नदी में समा गया है. लोगों की आशंका है कि जिस तेजी से कटाव हो रहा जल्द ही पूरा गांव कोसी में समा जाएगा. कोसी नदी का कहर पास के ही भवनपुरा पंचायत के मैरचा गांव में भी देखा जा रहा है. यहां के वरुण दास, बबलू दास सहित आधा दर्जन से अधिक लोगों के घर नदी में समा गए हैं.

कहारपुर में भी कोसी का कटाव थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां भी कोसी की तेज धारा गांव का अस्तित्व मिटाने को आतुर है. यहां लोग दहशत में हैं. लोग रातभर पहरेदारी कर रहे हैं. लोगों का आरोप है कि कटाव रोकने के नाम पर सरकार की ओर से खानापूर्ति की जा रही है. कटाव रोकने के लिए लाखों रुपए खर्च हुए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.

पीड़ित ग्रामीण नरसिंह शर्मा ने कहा, 'गांव में लोग बारी-बारी से रात को पहरेदारी करते हैं. हमेशा डर लगा रहता है कि पता नहीं कब घर कटकर नदी में समा जाएगा. रहने का कहीं जगह नहीं है. परिवार के लोग इधर-उधर भटक रहे हैं. कटाव के मुहाने पर आ चुके लोग अपने घर के सामान सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं. कई ऐसे घर कट कर नदी में समा गए, जिससे लोग अपना सामान तक नहीं निकाल पाए. जल संसाधन विभाग द्वारा कटाव रोकने के लिए जो काम किया जा रहा है उसका कोई फायदा नहीं हो रहा है. जितना कटना है वह कट ही रहा है. जिस स्कूल में हम लोग रह रहे हैं वह भी अब नदी के किनारे आ गया है. वह भी कट कर नदी में समा सकता है.'

कटाव पीड़ित अजय पंडित ने कहा, 'अब तक 30 से 35 घर कट कर कोसी में समा गए हैं. कटाव रोकने के लिए कोई ठोस उपाए नहीं किया जा रहा है. सरकार से मेरी मांग है कि हम लोगों को घर बनाने के लिए कहीं पर जमीन दिया जाए. करीब 25 से 30 परिवार ऐसे हैं जिनका घर कट कर नदी में समा गया है.' अपना घर तोड़कर सामान दूसरे जगह ले जा रहे दशरथ पंडित ने कहा, 'मेरे घर के दोनों तरफ के 20 घर नदी में समा गए हैं. मेरे घर का तीन कमरा कट कर नदी में चला गया है. अब बचा हुआ सामान दूसरे जगह ले जा रहा हूं.'

भागलपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा, 'कोसी नदी के तटबंध के अंदर कटाव हो रहा है. चोरहर और मैरचा गांव के कई घर कट गए हैं. बचाव कार्य के लिए एसडीओ को निर्देश दिया गया है. कहा गया है कि पीड़ित परिवार को आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश के अनुसार मदद दी जाए. नदी के तटबंध के अंदर के इलाके में कटाव हो रहा है. कटाव रोकने के लिए सभी उपाय अपनाए जा रहे हैं.'

"जिले में बाढ़ पूर्व पूरी तैयारी कर ली गई थी. इस बार कोसी की धारा को पायलट प्रोजेक्ट के तहत चैनल बनाकर सालों पूर्व बहने वाली धारा की ओर मोड़ा गया है. इससे पानी का दबाव काफी कम हुआ है. जहां भी जरूरत पड़ रही है वहां जल संसाधन विभाग के इंजीनियर कटाव निरोधी कार्य कर रहे हैं. भागलपुर के गंगा और कोसी नदी के कटाव वाले एरिया में बचाव सामग्री पहले ही रख लिया गया है. जहां जरूरत पड़ रही है और दबाव बन रहा है वहां बचाव के लिए कार्य किए जा रहे हैं."- सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी, भागलपुर

बता दें कि नवगछिया अनुमंडल में गंगा और कोसी दोनों का कहर जारी है. अब तक करीब 10 हजार परिवार विस्थापित हुए हैं. दर्जनों गांव में कटाव हो रहा है. इससे लोग सहमे हुए हैं. जल संसाधन विभाग द्वारा कटाव रोकने के लिए नदी किनारे बोरी में बालू भरकर रखा गया है. जेसीबी द्वारा तेजी से काम किया जा रहा है. रिंग में बोरी बांधकर नदी के किनारे डाला जा रहा है, लेकिन वह भी कट कर नदी में समा रहा है.

यह भी पढ़ें- VIDEO: देखिए कैसे उड़े थे डिप्टी कमांडेंट की कार के पड़खच्चे, आगे निकलने की कोशिश ने ली थी जान

भागलपुर: कोसी नदी (Kosi River) को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है इसे भागलपुर (Bhagalpur) में मच रही तबाही से जाना जा सकता है. जिले के नवगछिया (Navagachia) अनुमंडल के चोरहर घाट गांव में कोसी कहर ढा रही है. भीषण कटाव के चलते एक के बाद एक घर कोसी में समा रहे हैं. कटाव की जद में आए लोग खुद ही अपने घर तोड़ रहे हैं. वे खिड़की, चौखट, ईंट और अन्य सामानों को निकाल रहे हैं ताकि इनका इस्तेमाल कर फिर से आशियाना बसाया जा सके.

यह भी पढ़ें- VIDEO: 3 नदियों के पानी से घिरा 'भखरी गांव' बना टापू, देखिए ये तस्वीरें..

कोसी नदी के भीषण कटाव की वजह से चोरहर के दर्जनों घर नदी में समा गए हैं, जबकि दर्जनों घर कटाव के मुहाने पर आ गए हैं. इससे लोगों में दहशत है. ग्रामीण कटाव को देखते हुए अपने मकान तोड़कर सामान निकाल रहे हैं. गांव में पलायन शुरू हो गया है. भुवनेश्वर पंडित, विजय पंडित, दिलीप पंडित, शंकर शर्मा, नरेश पंडित, प्रकाश पंडित आदि के घर कट कर कोसी में समा गए हैं. पीड़ित खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं.

देखें रिपोर्ट

नदी किनारे स्थित मध्य विद्यालय पर भी कटाव का खतरा मंडराने लगा है. यहां दर्जनों वैसे परिवार रह रहे हैं, जिनका घर कटकर नदी में समा गया है. लोगों की आशंका है कि जिस तेजी से कटाव हो रहा जल्द ही पूरा गांव कोसी में समा जाएगा. कोसी नदी का कहर पास के ही भवनपुरा पंचायत के मैरचा गांव में भी देखा जा रहा है. यहां के वरुण दास, बबलू दास सहित आधा दर्जन से अधिक लोगों के घर नदी में समा गए हैं.

कहारपुर में भी कोसी का कटाव थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां भी कोसी की तेज धारा गांव का अस्तित्व मिटाने को आतुर है. यहां लोग दहशत में हैं. लोग रातभर पहरेदारी कर रहे हैं. लोगों का आरोप है कि कटाव रोकने के नाम पर सरकार की ओर से खानापूर्ति की जा रही है. कटाव रोकने के लिए लाखों रुपए खर्च हुए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.

पीड़ित ग्रामीण नरसिंह शर्मा ने कहा, 'गांव में लोग बारी-बारी से रात को पहरेदारी करते हैं. हमेशा डर लगा रहता है कि पता नहीं कब घर कटकर नदी में समा जाएगा. रहने का कहीं जगह नहीं है. परिवार के लोग इधर-उधर भटक रहे हैं. कटाव के मुहाने पर आ चुके लोग अपने घर के सामान सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं. कई ऐसे घर कट कर नदी में समा गए, जिससे लोग अपना सामान तक नहीं निकाल पाए. जल संसाधन विभाग द्वारा कटाव रोकने के लिए जो काम किया जा रहा है उसका कोई फायदा नहीं हो रहा है. जितना कटना है वह कट ही रहा है. जिस स्कूल में हम लोग रह रहे हैं वह भी अब नदी के किनारे आ गया है. वह भी कट कर नदी में समा सकता है.'

कटाव पीड़ित अजय पंडित ने कहा, 'अब तक 30 से 35 घर कट कर कोसी में समा गए हैं. कटाव रोकने के लिए कोई ठोस उपाए नहीं किया जा रहा है. सरकार से मेरी मांग है कि हम लोगों को घर बनाने के लिए कहीं पर जमीन दिया जाए. करीब 25 से 30 परिवार ऐसे हैं जिनका घर कट कर नदी में समा गया है.' अपना घर तोड़कर सामान दूसरे जगह ले जा रहे दशरथ पंडित ने कहा, 'मेरे घर के दोनों तरफ के 20 घर नदी में समा गए हैं. मेरे घर का तीन कमरा कट कर नदी में चला गया है. अब बचा हुआ सामान दूसरे जगह ले जा रहा हूं.'

भागलपुर के जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा, 'कोसी नदी के तटबंध के अंदर कटाव हो रहा है. चोरहर और मैरचा गांव के कई घर कट गए हैं. बचाव कार्य के लिए एसडीओ को निर्देश दिया गया है. कहा गया है कि पीड़ित परिवार को आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश के अनुसार मदद दी जाए. नदी के तटबंध के अंदर के इलाके में कटाव हो रहा है. कटाव रोकने के लिए सभी उपाय अपनाए जा रहे हैं.'

"जिले में बाढ़ पूर्व पूरी तैयारी कर ली गई थी. इस बार कोसी की धारा को पायलट प्रोजेक्ट के तहत चैनल बनाकर सालों पूर्व बहने वाली धारा की ओर मोड़ा गया है. इससे पानी का दबाव काफी कम हुआ है. जहां भी जरूरत पड़ रही है वहां जल संसाधन विभाग के इंजीनियर कटाव निरोधी कार्य कर रहे हैं. भागलपुर के गंगा और कोसी नदी के कटाव वाले एरिया में बचाव सामग्री पहले ही रख लिया गया है. जहां जरूरत पड़ रही है और दबाव बन रहा है वहां बचाव के लिए कार्य किए जा रहे हैं."- सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी, भागलपुर

बता दें कि नवगछिया अनुमंडल में गंगा और कोसी दोनों का कहर जारी है. अब तक करीब 10 हजार परिवार विस्थापित हुए हैं. दर्जनों गांव में कटाव हो रहा है. इससे लोग सहमे हुए हैं. जल संसाधन विभाग द्वारा कटाव रोकने के लिए नदी किनारे बोरी में बालू भरकर रखा गया है. जेसीबी द्वारा तेजी से काम किया जा रहा है. रिंग में बोरी बांधकर नदी के किनारे डाला जा रहा है, लेकिन वह भी कट कर नदी में समा रहा है.

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