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Bhagalpur Flood: नए इलाकों में तेजी से घुस रहा पानी, सड़कों पर कार की जगह चल रही नाव

गंगा, चंपा और जमुनिया नदी में उफान के चलते भागलपुर में बाढ़ का प्रकोप बढ़ गया है. पानी रोज नए इलाकों में फैल रहा है. जिन सड़कों पर पहले कारें चलती थीं. इन दिनों उनपर नाव चल रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

flood in bhagalpur
भागलपुर में बाढ़
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Published : Aug 15, 2021, 10:48 PM IST

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) में गंगा नदी (Ganga River) खतरे के निशान से करीब 3 मीटर ऊपर बह रही है. इसके साथ ही चंपा और जमुनिया नदी उफान पर है. इसके चलते भागलपुर के शहरी क्षेत्र में बाढ़ (Bhagalpur Flood) का पानी प्रवेश कर गया है. साहिबगंज, मोहनपुर, नील कोठी, रहमतुल्लाहपुर, बाबूपुर, मदनीनगर, लालूचक, बुद्धू चक, बाईस बिग्गी चंपानगर, मानिक सरकार, बुढ़ानाथ मोहल्ला, आदमपुर सहित अन्य मोहल्लों के लगभग 5 हजार घर प्रभावित हो गए हैं.

यह भी पढ़ें- बाढ़ के पानी में डूबा था पंचायत भवन, लोगों ने नाव पर किया झंडोत्तोलन

मोहल्ले की सड़कें पानी में डूब गई हैं. सड़कों पर कार की जगह नावों ने ली हैं. घरों के अंदर 7 से 10 फीट तक पानी है. गंगा नदी के किनारे स्थित घरों में पहला फ्लोर पूरी तरह डूब गया है. यहां के लोग अपने सामान दूसरों के घरों में शिफ्ट कर रहे हैं. हजारों की संख्या में लोग घरों में कैद हो गए हैं. शहर के नए मोहल्लों में बाढ़ का पानी फैल रहा है. इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है. लोगों को शौचालय से लेकर पीने के पानी की समस्या होने लगी है.

देखें रिपोर्ट

2016 के बाद पहली बार भागलपुर शहर में ऐसी बाढ़ आई है. बाढ़ का पानी तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के प्रशासनिक भवन के ग्राउंड फ्लोर में भर गया है. प्रोफेसर कॉलोनी कैंपस में मुश्किलें बढ़ गई हैं. बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय कर्मी सरकारी आवास छोड़कर दूसरे स्थान पर चले गए हैं. वहीं, पीजी पुरुष हॉस्टल तक भी बाढ़ का पानी घुस गया है. प्रतिकुलपति अपने आवास को छोड़कर एक निजी होटल में शिफ्ट हो गए हैं.

नाविक और मछुआरा मुनीलाल मंडल ने कहा, 'गंगा का जलस्तर 2016 के जलस्तर को पार कर गया है. इसलिए बाढ़ का पानी शहरी इलाकों में फैला है. इसी तरह से यदि जलस्तर बढ़ता रहा तो इस बार सभी रिकॉर्ड टूट जाएंगे. अभी भी दियारा इलाके में लोग अपने घर के छप्पर पर रह रहे हैं. कुछ लोग सरकारी राहत शिविर में चले आए हैं. अभी भी वहां काफी लोग रह रहे हैं. घर से सामान चोरी होने के डर से लोग राहत कैम्प में नहीं जा रहे हैं. वहां घरों में 10 से 12 फीट पानी है.'

"मेरे घर का पहला तल्ला पूरी तरह से पानी में डूब गया है. अब दूसरे तल्ले पर भी पानी आने लगा है. घर के सामान को छत पर लेकर जाना पड़ेगा. अभी ऑनलाइन खाना और जरूरी सामान मंगा रहा हूं. घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है. डिलीवरी ब्वॉय नाव से आकर सामान पहुंचा रहे हैं. 2016 के बाद पहली बार यह स्थिति हुई है. 4 साल में पानी का स्तर इतना नहीं बढ़ा था. नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है."- सच्चिदानंद सिंह, बाढ़ पीड़ित, गोलाघाट मोहल्ला, भागलपुर

बता दें कि शहर के 1,2 ,3 ,4 ,9, 10 ,18, 21, 22 और 25 नंबर वार्ड के करीब 40 फीसदी घर बाढ़ की चपेट में हैं. अब तक ना जिला प्रशासन और ना नगर निगम प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को मदद दी गई है. शहरी क्षेत्र के लोग भी अब राहत की मांग करने लगे हैं. ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट में रखी गाड़ियां पानी में डूबने लगीं हैं. वही, नाथनगर और सबौर क्षेत्र के अधिकतर दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी कहर ढा रहा है. पूरा गांव जलमग्न है. गांव के कुछ लोग राहत शिविर में रहने चले गए हैं तो कुछ लोग अभी भी घर के छप्पर पर रह रहे हैं.

यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री जी... सिस्टमवे लीक है! कैसे होगी इतनी 'कड़ी परीक्षा'?

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) में गंगा नदी (Ganga River) खतरे के निशान से करीब 3 मीटर ऊपर बह रही है. इसके साथ ही चंपा और जमुनिया नदी उफान पर है. इसके चलते भागलपुर के शहरी क्षेत्र में बाढ़ (Bhagalpur Flood) का पानी प्रवेश कर गया है. साहिबगंज, मोहनपुर, नील कोठी, रहमतुल्लाहपुर, बाबूपुर, मदनीनगर, लालूचक, बुद्धू चक, बाईस बिग्गी चंपानगर, मानिक सरकार, बुढ़ानाथ मोहल्ला, आदमपुर सहित अन्य मोहल्लों के लगभग 5 हजार घर प्रभावित हो गए हैं.

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मोहल्ले की सड़कें पानी में डूब गई हैं. सड़कों पर कार की जगह नावों ने ली हैं. घरों के अंदर 7 से 10 फीट तक पानी है. गंगा नदी के किनारे स्थित घरों में पहला फ्लोर पूरी तरह डूब गया है. यहां के लोग अपने सामान दूसरों के घरों में शिफ्ट कर रहे हैं. हजारों की संख्या में लोग घरों में कैद हो गए हैं. शहर के नए मोहल्लों में बाढ़ का पानी फैल रहा है. इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है. लोगों को शौचालय से लेकर पीने के पानी की समस्या होने लगी है.

देखें रिपोर्ट

2016 के बाद पहली बार भागलपुर शहर में ऐसी बाढ़ आई है. बाढ़ का पानी तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के प्रशासनिक भवन के ग्राउंड फ्लोर में भर गया है. प्रोफेसर कॉलोनी कैंपस में मुश्किलें बढ़ गई हैं. बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय कर्मी सरकारी आवास छोड़कर दूसरे स्थान पर चले गए हैं. वहीं, पीजी पुरुष हॉस्टल तक भी बाढ़ का पानी घुस गया है. प्रतिकुलपति अपने आवास को छोड़कर एक निजी होटल में शिफ्ट हो गए हैं.

नाविक और मछुआरा मुनीलाल मंडल ने कहा, 'गंगा का जलस्तर 2016 के जलस्तर को पार कर गया है. इसलिए बाढ़ का पानी शहरी इलाकों में फैला है. इसी तरह से यदि जलस्तर बढ़ता रहा तो इस बार सभी रिकॉर्ड टूट जाएंगे. अभी भी दियारा इलाके में लोग अपने घर के छप्पर पर रह रहे हैं. कुछ लोग सरकारी राहत शिविर में चले आए हैं. अभी भी वहां काफी लोग रह रहे हैं. घर से सामान चोरी होने के डर से लोग राहत कैम्प में नहीं जा रहे हैं. वहां घरों में 10 से 12 फीट पानी है.'

"मेरे घर का पहला तल्ला पूरी तरह से पानी में डूब गया है. अब दूसरे तल्ले पर भी पानी आने लगा है. घर के सामान को छत पर लेकर जाना पड़ेगा. अभी ऑनलाइन खाना और जरूरी सामान मंगा रहा हूं. घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है. डिलीवरी ब्वॉय नाव से आकर सामान पहुंचा रहे हैं. 2016 के बाद पहली बार यह स्थिति हुई है. 4 साल में पानी का स्तर इतना नहीं बढ़ा था. नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही है."- सच्चिदानंद सिंह, बाढ़ पीड़ित, गोलाघाट मोहल्ला, भागलपुर

बता दें कि शहर के 1,2 ,3 ,4 ,9, 10 ,18, 21, 22 और 25 नंबर वार्ड के करीब 40 फीसदी घर बाढ़ की चपेट में हैं. अब तक ना जिला प्रशासन और ना नगर निगम प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को मदद दी गई है. शहरी क्षेत्र के लोग भी अब राहत की मांग करने लगे हैं. ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट में रखी गाड़ियां पानी में डूबने लगीं हैं. वही, नाथनगर और सबौर क्षेत्र के अधिकतर दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी कहर ढा रहा है. पूरा गांव जलमग्न है. गांव के कुछ लोग राहत शिविर में रहने चले गए हैं तो कुछ लोग अभी भी घर के छप्पर पर रह रहे हैं.

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