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828 करोड़ से तैयार हुआ बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना, किसानों को नहीं मिल रहा लाभ - जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा

भागलपुर के कहलगांव की बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना के उद्घाटन के तीन साल बाद भी किसानों को इसका लाभ नहीं मिला है. इस परियोजना की नींव 1977 में कहलगांव के विधायक और तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सदानंद सिंह ने रखी थी. पढ़ें पूरी खबर...

Bateshwar Ganga Pump Canal Project
बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना
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Published : Sep 3, 2021, 9:05 AM IST

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) के कहलगांव की बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना (Bateshwar Ganga Pump Canal Project) 45 वर्ष बीत जाने के बाद भी चालू नहीं हो पाई है. इस पंप नहर परियोजना की नींव 1977 में कहलगांव के विधायक और तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सदानंद सिंह ने रखी थी. उन्होंने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था.

यह भी पढ़ें- बिहार में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल, BAS के 87 अफसर इधर से उधर

फरवरी 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसका उद्घाटन किया था. उद्घाटन के बाद बिहार और झारखंड के हजारों किसानों को खुशी हुई थी कि अब उन्हें सिंचाई की सुविधा मिल जाएगी, लेकिन 3 साल बाद भी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. इस परियोजना को जनवरी 1977 में योजना आयोग ने मंजूरी दी थी. इसकी लागत 13.88 करोड़ रुपये आंकी गई थी. बाद में इजाफा होकर लागत 389.31 करोड़ हो गई.

देखें रिपोर्ट

2016 में जल संसाधन मंत्रालय की सलाहकार समिति ने 828.80 करोड़ रुपये पुनरीक्षित लागत की मंजूरी दी. इसमें बिहार सरकार को 636.95 करोड़ और बाकी 191.85 करोड़ झारखंड सरकार को खर्च करना है. इस नहर से बिहार के 22716 और झारखंड के 4887 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी. इसके साथ ही सिंचाई के लिए 148.70 आरडी नहर का निर्माण होना है. बीते 45 साल में बिहार के हिस्से के 55 आरडी नहर में से केवल 30 ही बने हैं. वहीं, झारखंड के 93 आरडी नहर का निर्माण अभी बाकी है.

बता दें कि कहलगांव के शेखपुरा गांव स्थित कोआ नहर और गंगा नदी के संगम के नजदीक सिंचाई परियोजना के तहत पंप हाउस नंबर 1 बनाया गया है. इसके डेढ़ किलोमीटर दूर शिवकुमारी पहाड़ी के नजदीक पंप हाउस नंबर 2 बनाया गया है. इन दोनों पंप हाउस से गंगा नदी के पानी को दो स्टेज पर 17 और 27 मीटर लिफ्ट कर मुख्य नहर और इससे निकली वितरण प्रणाली को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाना है. इसके लिए 36 एचपी के 6-6 और 450 एचपी के 6-6 मोटर लगाए गए हैं. इसके जरिए रोजाना 1000 क्यूसेक पानी नहर में छोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

20 सितंबर 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस परियोजना का उद्घाटन करने वाले थे. उद्घाटन की पूर्व संध्या पर ही गंगा पंप नहर का कैनाल उस समय ध्वस्त हो गया था जब जांच के लिए नहर में पानी छोड़ा गया था. कैनाल का लगभग 10 फीट हिस्सा टूट गया था, जिससे एनटीपीसी के आवासीय परिसर, श्यामपुर चौक, सत्कार चौक और मदेर चौक में 2 फुट तक पानी भर गया था. इसके बाद उद्घाटन टाल दिया गया था. बाद में मुख्यमंत्री ने 15 फरवरी 2018 को उद्घाटन किया था.

"बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना के मामले को लेकर हमने विभाग के सचिव, जिला अधिकारी और स्थानीय अधिकारियों के साथ चर्चा की है. परियोजना को लेकर जहां भी जमीन अधिग्रहण का मामला बचा हुआ है उसे इस महीने तक पूरा कर लेने के लिए कहा गया है. अक्टूबर में काम शुरू हो जाएगा."- संजय कुमार झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग

कहलगांव के विधायक पवन कुमार यादव ने मानसून सत्र के दौरान सदन में बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना का मामला उठाया था. इस परियोजना से बिहार के कहलगांव, सनहौला और पीरपैंती के 22716 और झारखंड के 4887 हेक्टेयर जमीन के सिंचाई का लक्ष्य है. झारखंड के गोड्डा जिले के मेहरमा और ठाकुरगंगती प्रखंड के किसानों को इससे लाभ मिलेगा. हालांकि बिहार के इसीपुर के आसपास जहां-तहां अभी भी काम चल रहा है. दर्जनों ब्रिज अभी अधूरे पड़े हैं. 1981 में ही किसानों को जमीन का मुआवजा मिल गया है.

यह भी पढ़ें- नीतीश के विधायक की शर्मनाक हरकत: तेजस एक्सप्रेस में बनियान-अंडरवियर में घूमते रहे गोपाल मंडल, टोकने पर की गाली-गलौज

भागलपुर: बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) के कहलगांव की बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना (Bateshwar Ganga Pump Canal Project) 45 वर्ष बीत जाने के बाद भी चालू नहीं हो पाई है. इस पंप नहर परियोजना की नींव 1977 में कहलगांव के विधायक और तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सदानंद सिंह ने रखी थी. उन्होंने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था.

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फरवरी 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसका उद्घाटन किया था. उद्घाटन के बाद बिहार और झारखंड के हजारों किसानों को खुशी हुई थी कि अब उन्हें सिंचाई की सुविधा मिल जाएगी, लेकिन 3 साल बाद भी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. इस परियोजना को जनवरी 1977 में योजना आयोग ने मंजूरी दी थी. इसकी लागत 13.88 करोड़ रुपये आंकी गई थी. बाद में इजाफा होकर लागत 389.31 करोड़ हो गई.

देखें रिपोर्ट

2016 में जल संसाधन मंत्रालय की सलाहकार समिति ने 828.80 करोड़ रुपये पुनरीक्षित लागत की मंजूरी दी. इसमें बिहार सरकार को 636.95 करोड़ और बाकी 191.85 करोड़ झारखंड सरकार को खर्च करना है. इस नहर से बिहार के 22716 और झारखंड के 4887 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी. इसके साथ ही सिंचाई के लिए 148.70 आरडी नहर का निर्माण होना है. बीते 45 साल में बिहार के हिस्से के 55 आरडी नहर में से केवल 30 ही बने हैं. वहीं, झारखंड के 93 आरडी नहर का निर्माण अभी बाकी है.

बता दें कि कहलगांव के शेखपुरा गांव स्थित कोआ नहर और गंगा नदी के संगम के नजदीक सिंचाई परियोजना के तहत पंप हाउस नंबर 1 बनाया गया है. इसके डेढ़ किलोमीटर दूर शिवकुमारी पहाड़ी के नजदीक पंप हाउस नंबर 2 बनाया गया है. इन दोनों पंप हाउस से गंगा नदी के पानी को दो स्टेज पर 17 और 27 मीटर लिफ्ट कर मुख्य नहर और इससे निकली वितरण प्रणाली को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाना है. इसके लिए 36 एचपी के 6-6 और 450 एचपी के 6-6 मोटर लगाए गए हैं. इसके जरिए रोजाना 1000 क्यूसेक पानी नहर में छोड़ने का लक्ष्य रखा गया है.

20 सितंबर 2017 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस परियोजना का उद्घाटन करने वाले थे. उद्घाटन की पूर्व संध्या पर ही गंगा पंप नहर का कैनाल उस समय ध्वस्त हो गया था जब जांच के लिए नहर में पानी छोड़ा गया था. कैनाल का लगभग 10 फीट हिस्सा टूट गया था, जिससे एनटीपीसी के आवासीय परिसर, श्यामपुर चौक, सत्कार चौक और मदेर चौक में 2 फुट तक पानी भर गया था. इसके बाद उद्घाटन टाल दिया गया था. बाद में मुख्यमंत्री ने 15 फरवरी 2018 को उद्घाटन किया था.

"बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना के मामले को लेकर हमने विभाग के सचिव, जिला अधिकारी और स्थानीय अधिकारियों के साथ चर्चा की है. परियोजना को लेकर जहां भी जमीन अधिग्रहण का मामला बचा हुआ है उसे इस महीने तक पूरा कर लेने के लिए कहा गया है. अक्टूबर में काम शुरू हो जाएगा."- संजय कुमार झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग

कहलगांव के विधायक पवन कुमार यादव ने मानसून सत्र के दौरान सदन में बटेश्वर गंगा पंप नहर परियोजना का मामला उठाया था. इस परियोजना से बिहार के कहलगांव, सनहौला और पीरपैंती के 22716 और झारखंड के 4887 हेक्टेयर जमीन के सिंचाई का लक्ष्य है. झारखंड के गोड्डा जिले के मेहरमा और ठाकुरगंगती प्रखंड के किसानों को इससे लाभ मिलेगा. हालांकि बिहार के इसीपुर के आसपास जहां-तहां अभी भी काम चल रहा है. दर्जनों ब्रिज अभी अधूरे पड़े हैं. 1981 में ही किसानों को जमीन का मुआवजा मिल गया है.

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