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परंपरागत खेती छोड़ किसान ने की फलों की खेती, अब होती है अच्छी कमाई

खेती के इस बदलाव को देखने के लिए बिहार और झारखंड के कई जिलों के किसान उनके खेत में आते हैं. उनसे इस नए और उन्नत तरीके की खेती की जानकारियां लेते हैं. गोपाल सिंह का कहना है कि कई योजनाएं हैं. जिनके जरिए सरकार किसानों की मदद कर सकती है.

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Published : Dec 25, 2020, 2:59 PM IST

Updated : Dec 25, 2020, 3:07 PM IST

भागलपुर: जिले के नवगछिया के एक किसान ने परंपरागत खेती से हटकर सेब, नारंगी, मौसमी और स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा दिया है. इससकी खेती कर उन्होंने न सिर्फ अपना जीवन बदला है बल्कि, दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की है. किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना को सफल करके दिखाया है. यही नहीं उन्होंने खेती का तरीका बदल अपनी आमदनी दोगुनी कर दूसरे किसानों को भी रास्ता दिखाया है.

देखें रिपोर्ट

किसान गोपाल ने की फलों की खेती
हम बात कर रहे हैं तेतरी प्रखंड के किसान गोपाल सिंह की. खेती की नई पहल उन्होंने 6 साल पहले शुरू की. सबसे पहले 15 एकड़ मे संतरा लगाया. इसके बाद उन्होने 10 एकड़ में मौसमी की खेती की, लेकिन इसके साथ-साथ समेकित खेती के रुप मे पपीता और केले को भी शामिल किया. फिर सेब की खेती और 4 एकड़ में अमरुद भी लगाया है. गोपाल बताते हैं कि हिमाचल से उन्होंने सेव के ऐसे पौधे मंगाए थे जो कम ठंड में भी पल और बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल सेब के कुछ फल आए थे और इस बार फरवरी तक ज्यादा मात्रा में फल आने की उम्मीद है.

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फलों की खेती

अच्छी आमदनी से हैं उत्साहित
गोपाल मौसमी और सिलीगुड़ी को बाजार में बेचते हैं, जबकि नारंगी भागलपुर के बाजार में ही बेचते हैं. उन्होंने पपीता और शरीफ भी लगाया है. वह बताते हैं कि सारे उत्पाद भागलपुर और आसपास के जिलों में बिक जाते हैं. उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

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ऑरेंज की खेती

फलों की खेती के लिए तकनीकी ज्ञान जरुरी
किसान गोपाल सिंह बताते हैं कि उन्होंने खेती के संबंध में नई जानकारियां गूगल सर्च इंजन से ली. किसानों के लिए उनका संदेश है कि खेती की नई जानकारियों के लिए कंप्यूटर और मोबाइल से सोशल प्लेटफार्म से तकनीकी ज्ञान जरुरी है. वह कहते हैं कि अब किसानों का गुजर बसर परंपरागत खेती केवल धान, गेहूं और मकई से होने वाला नहीं है. वह भी पहले केवल इन्हीं फसलों की खेती करते थे और उसमें सफल हुए. उन्होंने कहा कि फलों की खेती अब कहीं भी संभव है. इसलिए किसान और लकीर का फकीर नहीं रहे. नहीं तो उनका जीवन चलना भी मुश्किल होगा.

किसानों के लिए प्रेरणा बने गोपाल सिंह
खेती के इस बदलाव को देखने के लिए बिहार और झारखंड के कई जिलों के किसान उनके खेत में आते हैं. उनसे इस नए और उन्नत तरीके की खेती की जानकारियां लेते हैं. गोपाल सिंह का कहना है कि कई योजनाएं हैं जिनके जरिए सरकार किसानों को मदद कर सकती है. लेकिन उसमें सरकार को भी किसानों के साथ आगे आकर कदम से कदम मिलाकर चलना होगा तब आत्मनिर्भर भारत योजना सफल होगी.

भागलपुर: जिले के नवगछिया के एक किसान ने परंपरागत खेती से हटकर सेब, नारंगी, मौसमी और स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा दिया है. इससकी खेती कर उन्होंने न सिर्फ अपना जीवन बदला है बल्कि, दूसरे किसानों के लिए मिसाल पेश की है. किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना को सफल करके दिखाया है. यही नहीं उन्होंने खेती का तरीका बदल अपनी आमदनी दोगुनी कर दूसरे किसानों को भी रास्ता दिखाया है.

देखें रिपोर्ट

किसान गोपाल ने की फलों की खेती
हम बात कर रहे हैं तेतरी प्रखंड के किसान गोपाल सिंह की. खेती की नई पहल उन्होंने 6 साल पहले शुरू की. सबसे पहले 15 एकड़ मे संतरा लगाया. इसके बाद उन्होने 10 एकड़ में मौसमी की खेती की, लेकिन इसके साथ-साथ समेकित खेती के रुप मे पपीता और केले को भी शामिल किया. फिर सेब की खेती और 4 एकड़ में अमरुद भी लगाया है. गोपाल बताते हैं कि हिमाचल से उन्होंने सेव के ऐसे पौधे मंगाए थे जो कम ठंड में भी पल और बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल सेब के कुछ फल आए थे और इस बार फरवरी तक ज्यादा मात्रा में फल आने की उम्मीद है.

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फलों की खेती

अच्छी आमदनी से हैं उत्साहित
गोपाल मौसमी और सिलीगुड़ी को बाजार में बेचते हैं, जबकि नारंगी भागलपुर के बाजार में ही बेचते हैं. उन्होंने पपीता और शरीफ भी लगाया है. वह बताते हैं कि सारे उत्पाद भागलपुर और आसपास के जिलों में बिक जाते हैं. उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

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ऑरेंज की खेती

फलों की खेती के लिए तकनीकी ज्ञान जरुरी
किसान गोपाल सिंह बताते हैं कि उन्होंने खेती के संबंध में नई जानकारियां गूगल सर्च इंजन से ली. किसानों के लिए उनका संदेश है कि खेती की नई जानकारियों के लिए कंप्यूटर और मोबाइल से सोशल प्लेटफार्म से तकनीकी ज्ञान जरुरी है. वह कहते हैं कि अब किसानों का गुजर बसर परंपरागत खेती केवल धान, गेहूं और मकई से होने वाला नहीं है. वह भी पहले केवल इन्हीं फसलों की खेती करते थे और उसमें सफल हुए. उन्होंने कहा कि फलों की खेती अब कहीं भी संभव है. इसलिए किसान और लकीर का फकीर नहीं रहे. नहीं तो उनका जीवन चलना भी मुश्किल होगा.

किसानों के लिए प्रेरणा बने गोपाल सिंह
खेती के इस बदलाव को देखने के लिए बिहार और झारखंड के कई जिलों के किसान उनके खेत में आते हैं. उनसे इस नए और उन्नत तरीके की खेती की जानकारियां लेते हैं. गोपाल सिंह का कहना है कि कई योजनाएं हैं जिनके जरिए सरकार किसानों को मदद कर सकती है. लेकिन उसमें सरकार को भी किसानों के साथ आगे आकर कदम से कदम मिलाकर चलना होगा तब आत्मनिर्भर भारत योजना सफल होगी.

Last Updated : Dec 25, 2020, 3:07 PM IST
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