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भागलपुर: नाथनगर में बिसपंथी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व संपन्न

प्रवचनकर्ता ने अपने संबोधन में कहा कि लोगों को अपने जीवन में ईमानदार रहना चाहिए. ईमानदारी समृद्धता लाती है और बेईमानी दरद्रिता को आमंत्रित करता है. मानव किसी का आगे-पीछे करके आगे नहीं बढ़ सकाता.

दशलक्षण महापर्व हुआ संपन्न
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Published : Sep 13, 2019, 8:40 AM IST

भागलपुर: जिले के नाथनगर कबीरपुर में स्थित श्री चम्पापुर बिसपंथी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ. इस दौरान सिद्धक्षेत्र में अवस्थित जल मंदिर से भगवान वासुपूज्य की विशाल श्वेत पाषाण की खड़गासन प्रतिमा पर श्रद्धालुओं ने 1 हजार 8 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया.

प्रवचन में आए हुए  श्रद्धालु
प्रवचन में आए हुए श्रद्धालु

पूरे देश से आए हुए थे श्रद्धालु
महापर्व के अंतिम दिन पूरे देश से आये श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव का समापन समारोह ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए पूरी आस्था, निष्ठा और हर्षोल्लास के साथ मनाया. केसरिया और पिताम्बरी वस्त्रों में सजे श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य के मानस्तम्भ की परिक्रमा और नमोकार मंत्र का जाप करते दिखे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पूरी निष्ठा और भक्तिभाव से भगवान वासुपूज्य के समक्ष निर्वाण लड्डू अर्पित कर विश्वशांति की मंगलकामना की.

पुजा करते श्रद्धालु
पुजा करते श्रद्धालु

'दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व'
इस महोत्सव में प्रवचन देने के लिए महाराष्ट्र से आए हुए पंडित आलोक शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है. उन्होंने कहा कि दशलक्षण के चिंतन और पालन से मानव मन शुद्ध होता है. सद्गुणों का पालन करते हुए अपने आप को वासना से बचाना ब्रह्मचर्य है.

'ईमानदारी समृद्धता लाती है'
प्रवचनकर्ता ने अपने संबोधन में कहा कि लोगों को अपने जीवन में ईमानदार रहना चाहिए. ईमानदारी समृद्धता लाती है और बेईमानी दरद्रिता को आमंत्रित करता है. मानव किसी का आगे-पीछे करके आगे नहीं बढ़ सकाता. व्यक्ति की सोच उसे आगे बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि आप किसी को तकलीफ देकर अपनी खुशी की उम्मीद न करें.

भागलपुर में दशलक्षण महापर्व हुआ संपन्न

'अच्छाईयां सीखी जाती हैं'
वहीं, राजस्थान से आए हुए प्रवचनकर्ता पंडित नमन शास्त्री ने कहा कि अच्छाईयां सीखी जाती है, खरीदी नहीं जा सकती. इसलिए श्रद्धालु 'भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौ सदा' का अभ्यास करते रहे. उन्होंने कहा कि आपकी उदारता आपकी बड़ी सोच का प्रतिफल है. हमें अपने एक-एक पल का सदुपयोग कर समाज एवं राष्ट्र को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. इस मौके पर मौके पर गोपाल जैन, विजय रारा, पद्म पाटनी, जय कुमार काला, निर्मल कुरमावाला, अशोक पाटनी, मंत्री सुनील जैन, पदम जैन, सुमंत कुमार सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों से भक्तगण उपस्थित थे.

भागलपुर: जिले के नाथनगर कबीरपुर में स्थित श्री चम्पापुर बिसपंथी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ. इस दौरान सिद्धक्षेत्र में अवस्थित जल मंदिर से भगवान वासुपूज्य की विशाल श्वेत पाषाण की खड़गासन प्रतिमा पर श्रद्धालुओं ने 1 हजार 8 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया.

प्रवचन में आए हुए  श्रद्धालु
प्रवचन में आए हुए श्रद्धालु

पूरे देश से आए हुए थे श्रद्धालु
महापर्व के अंतिम दिन पूरे देश से आये श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव का समापन समारोह ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए पूरी आस्था, निष्ठा और हर्षोल्लास के साथ मनाया. केसरिया और पिताम्बरी वस्त्रों में सजे श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य के मानस्तम्भ की परिक्रमा और नमोकार मंत्र का जाप करते दिखे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पूरी निष्ठा और भक्तिभाव से भगवान वासुपूज्य के समक्ष निर्वाण लड्डू अर्पित कर विश्वशांति की मंगलकामना की.

पुजा करते श्रद्धालु
पुजा करते श्रद्धालु

'दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व'
इस महोत्सव में प्रवचन देने के लिए महाराष्ट्र से आए हुए पंडित आलोक शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है. उन्होंने कहा कि दशलक्षण के चिंतन और पालन से मानव मन शुद्ध होता है. सद्गुणों का पालन करते हुए अपने आप को वासना से बचाना ब्रह्मचर्य है.

'ईमानदारी समृद्धता लाती है'
प्रवचनकर्ता ने अपने संबोधन में कहा कि लोगों को अपने जीवन में ईमानदार रहना चाहिए. ईमानदारी समृद्धता लाती है और बेईमानी दरद्रिता को आमंत्रित करता है. मानव किसी का आगे-पीछे करके आगे नहीं बढ़ सकाता. व्यक्ति की सोच उसे आगे बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि आप किसी को तकलीफ देकर अपनी खुशी की उम्मीद न करें.

भागलपुर में दशलक्षण महापर्व हुआ संपन्न

'अच्छाईयां सीखी जाती हैं'
वहीं, राजस्थान से आए हुए प्रवचनकर्ता पंडित नमन शास्त्री ने कहा कि अच्छाईयां सीखी जाती है, खरीदी नहीं जा सकती. इसलिए श्रद्धालु 'भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौ सदा' का अभ्यास करते रहे. उन्होंने कहा कि आपकी उदारता आपकी बड़ी सोच का प्रतिफल है. हमें अपने एक-एक पल का सदुपयोग कर समाज एवं राष्ट्र को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. इस मौके पर मौके पर गोपाल जैन, विजय रारा, पद्म पाटनी, जय कुमार काला, निर्मल कुरमावाला, अशोक पाटनी, मंत्री सुनील जैन, पदम जैन, सुमंत कुमार सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों से भक्तगण उपस्थित थे.

Intro:भागलपुर:- नाथनगर कबीरपुर स्थित श्री चम्पापुर बिसपंथी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व भक्तिमय वातावरण में गुरुवार को संपन्न हो गया। महापर्व के अंतिम दिन पूरे देश से आये श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव सह दशलक्षण महापर्व का समापन समारोह सह उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूरी आस्था निष्ठा एवं परम्परागत उल्लास के साथ मनाया गया। सिद्धक्षेत्र अवस्थित जल मंदिर में भगवान वासुपूज्य की विशाल श्वेत पाषाण की खड़गासन प्रतिमा का श्रद्धालुओं ने 1008 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया। इसके बाद पूरी निष्ठा एवं भक्तिभाव से भगवान वासुपूज्य के समक्ष निर्वाण लाडू अर्पित कर विश्वशांति की कामना की। केसरिया व पीताम्बरी परिधनों में सजे श्रद्धालु भगवान वासुपूज्य के मानस्तम्भ की परिक्रमा एवं नमोकार मंत्र का जाप करते दिखे। 


दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व


महाराष्ट्र से प्रवचन करने पधारे पंडित आलोक शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है। दशलक्षण के चिंतन और पालन से मानव शुद्ध होता है। सद्गुणों अपने को वासना से बचाना ब्रह्मचर्य है। ईमानदारी समृद्धता लाती है, बेईमानी दरद्रिता। सरदविचार विवेक की कुंजी है। किसी को पीछे करके नहीं सबको आगे करके आगे बढ़ने की सोच व्यक्ति को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि धर्म कहता है कि किसी को तकलीफ देकर मुझसे अपनी खुशी की उम्मीद मत करना। सभी प्राणियों में केवल इंसान ही पैसा कमाता है और कितनी अजीब बात है कि कोई अन्य प्राणी कभी भूखा नहीं मरता और इंसान का कभी पेट नहीं भरता। अच्छाईयां सीखी जाती है, खरीदी नहीं जा सकती। समारोह में उपस्थित श्रद्धालु "भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौ सदा.." का अभ्यास करते रहे। वहीं राजस्थान से पधारे पंडित नमन शास्त्री ने कहा कि उदारता आपकी बड़ी सोच का प्रतिफल है। हमें अपने एक-एक पल का सदुपयोग कर समाज एवं राष्ट्र को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। एक लम्बे कालखंड के उपरांत जब श्रद्धालुओं को उपदेश देते भगवान वासुपूज्य के कर्म की पूर्णता में छह माह शेष रह गये तो उन्होंने योग धारण किया और चार आधाती कर्म निज्जरा को प्राप्त हुए। मौके पर गोपाल जैन, विजय रारा, पद्म पाटनी, जय कुमार काला, निर्मल कुरमावाला, अशोक पाटनी, मंत्री सुनील जैन, पदम जैन, सुमंत कुमार सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों से भक्त उपस्थित थे। Body:प्रतिमा का श्रद्धालुओं ने 1008 कलशों से किया महामस्तकाभिषेक Conclusion:तदुपरांत भाद्र पक्ष शुक्ल चतुर्दशी को 94 मुनिवरों समेत निर्वाण को प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि देवों, मनुष्यों सबों ने मिलकर पृथ्वी और आकाश तक को महोत्सव के रंग में रंग दिया। साथ ही कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में भी कलाशाभिषेक, मंगल आरती, दशलक्षण विधान के साथ महापर्व का समापन हो गया।
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