भागलपुर: जिले के नाथनगर कबीरपुर में स्थित श्री चम्पापुर बिसपंथी दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ. इस दौरान सिद्धक्षेत्र में अवस्थित जल मंदिर से भगवान वासुपूज्य की विशाल श्वेत पाषाण की खड़गासन प्रतिमा पर श्रद्धालुओं ने 1 हजार 8 कलशों से महामस्तकाभिषेक किया.
पूरे देश से आए हुए थे श्रद्धालु
महापर्व के अंतिम दिन पूरे देश से आये श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव का समापन समारोह ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए पूरी आस्था, निष्ठा और हर्षोल्लास के साथ मनाया. केसरिया और पिताम्बरी वस्त्रों में सजे श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य के मानस्तम्भ की परिक्रमा और नमोकार मंत्र का जाप करते दिखे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पूरी निष्ठा और भक्तिभाव से भगवान वासुपूज्य के समक्ष निर्वाण लड्डू अर्पित कर विश्वशांति की मंगलकामना की.
'दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व'
इस महोत्सव में प्रवचन देने के लिए महाराष्ट्र से आए हुए पंडित आलोक शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है. उन्होंने कहा कि दशलक्षण के चिंतन और पालन से मानव मन शुद्ध होता है. सद्गुणों का पालन करते हुए अपने आप को वासना से बचाना ब्रह्मचर्य है.
'ईमानदारी समृद्धता लाती है'
प्रवचनकर्ता ने अपने संबोधन में कहा कि लोगों को अपने जीवन में ईमानदार रहना चाहिए. ईमानदारी समृद्धता लाती है और बेईमानी दरद्रिता को आमंत्रित करता है. मानव किसी का आगे-पीछे करके आगे नहीं बढ़ सकाता. व्यक्ति की सोच उसे आगे बढ़ाता है. उन्होंने कहा कि आप किसी को तकलीफ देकर अपनी खुशी की उम्मीद न करें.
'अच्छाईयां सीखी जाती हैं'
वहीं, राजस्थान से आए हुए प्रवचनकर्ता पंडित नमन शास्त्री ने कहा कि अच्छाईयां सीखी जाती है, खरीदी नहीं जा सकती. इसलिए श्रद्धालु 'भव आताप निवार, दशलक्षण पूजौ सदा' का अभ्यास करते रहे. उन्होंने कहा कि आपकी उदारता आपकी बड़ी सोच का प्रतिफल है. हमें अपने एक-एक पल का सदुपयोग कर समाज एवं राष्ट्र को उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. इस मौके पर मौके पर गोपाल जैन, विजय रारा, पद्म पाटनी, जय कुमार काला, निर्मल कुरमावाला, अशोक पाटनी, मंत्री सुनील जैन, पदम जैन, सुमंत कुमार सहित राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बंगाल, तमिलनाडु आदि राज्यों से भक्तगण उपस्थित थे.