ETV Bharat / state

भागलपुर: बड़ी बम काली की प्रतिमा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ - 501 बकड़ो की बलि

गांव के बगीचे के बीच पीपल के पेड़ के नीचे मां का स्थान स्थापित है. मां काली यहां पर पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं. हर साल इस स्थान पर 32 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई जाती है. इस शक्तिघाम की प्रसिद्धि आसपास के इलाके में फैली हुई है. सबसे खास बात यह है कि गांव के लोग ही माता काली की प्रतिमा का निर्माण करते है.

बम काली की प्रतिमा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
author img

By

Published : Oct 30, 2019, 5:54 AM IST

Updated : Oct 30, 2019, 7:39 AM IST

भागलपुर: जिले के नाथनगर अंतर्गत बहबलपुर में बम काली की 32 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. बताया जाता है कि मां काली की यह प्रतिमा पूर्वी बिहार की सबसे बड़ी प्रतिमा है. पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ मां शक्ति स्वरूपा की पूजा-आराधना के लिए उमड़ पड़ी.श्रद्धालु मां काली का दर्शन कर अभिभूत हुए. भक्तों ने महाआरती में भाग लेने के बाद मां की स्तुति-आराधना की.

400 सालों से जारी है बलि प्रथा
नाथनगर प्रखंड के रामपुर खुर्द पंचायत के बहवलपुर गांव में स्थापित मां काली की इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब 32 फुट से ज्यादा होती है. मां के दर्शन के लिए जिलेभर से हजारों की तादाद में भक्त यहां पहुंचते है. इस बाबात पूजा व्यवस्थापक सुनील सिंह का कहना है कि माता को इस स्थान पर रक्तिम बलि दी जाती है. श्रद्धालु बड़े पैमाने पर बलि चढ़ाने पहुंचते हैं, जिसमें 501 बलि ही मां को चढ़ायी जाती है. ऐसी मान्यता है की इस शक्तिपीठ में जो भी फरियादी मां के पास अपनी फरियाद लेकर आते हैं. वो कभी खाली हाथ नहीं लौटते. यहां पर लगभग 400 सालों से अनवरत रूप से बलि प्रथा जारी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

गांव के बगीचे के बीच पीपल के पेड़ के नीचे
गांव के बगीचे के बीच पीपल के पेड़ के नीचे मां का स्थान स्थापित है. मां काली यहां पर पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं. हर साल इस स्थान पर 32 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई जाती है. इस शक्तिघाम की प्रसिद्धि आसपास के इलाके में फैली हुई है. सबसे खास बात यह है कि गांव के लोग ही माता काली की प्रतिमा का निर्माण करते है.

प्रतिमा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
प्रतिमा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

बदल गया है इस बार का विसर्जन रूट
मां काली की विसर्जन शोभायात्रा देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. बताया जा रहा है कि इस बार विसर्जन शोभायात्रा का रूट बदल दिया गया है. क्षेत्र में रेलवे के इलेक्ट्रिफिकेशन होने की वजह से रूट को बदला गया है. इस बार विसर्जन शोभायात्रा बाईपास होते हुए चंपा नदी तक जाएगी.

बम काली, भागलपुर
बम काली, भागलपुर

400 साल पूर्व गांव के साधक के सपनें में आई थी मां काली
क्षेत्र के लोगों की मानें तो 400 साल पूर्व गांव के काली सिंह के सपने में मां काली आई थी. स्वप्न में मां काली नें अपने साधक को गांव के बगीचे में स्थापित कर पूजा करने का आदेश दिया. जिसके बाद भक्त काली सिंह नें मां के आदेशानुसार माता काली की पिंडी स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू किया. मां काली को प्रसन्न करने के लिए इस स्थान पर 501 बकड़ो की बलि दी जाती है. बलि के बाद बकड़े कि सिर को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है. मां के इस स्थान के बारे में इलाके के जानकार व्यास देव बताते है कि यहां कई बार मां की मंदिर बनाने का प्रयास किया गया. लेकिन गांव में कई बार अनहोनी घटना हो गई, जिसके बाद इस स्थान पर मां का मंदिर बनाने का प्रयास छोड़ दिया गया.

भागलपुर: जिले के नाथनगर अंतर्गत बहबलपुर में बम काली की 32 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. बताया जाता है कि मां काली की यह प्रतिमा पूर्वी बिहार की सबसे बड़ी प्रतिमा है. पट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ मां शक्ति स्वरूपा की पूजा-आराधना के लिए उमड़ पड़ी.श्रद्धालु मां काली का दर्शन कर अभिभूत हुए. भक्तों ने महाआरती में भाग लेने के बाद मां की स्तुति-आराधना की.

400 सालों से जारी है बलि प्रथा
नाथनगर प्रखंड के रामपुर खुर्द पंचायत के बहवलपुर गांव में स्थापित मां काली की इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब 32 फुट से ज्यादा होती है. मां के दर्शन के लिए जिलेभर से हजारों की तादाद में भक्त यहां पहुंचते है. इस बाबात पूजा व्यवस्थापक सुनील सिंह का कहना है कि माता को इस स्थान पर रक्तिम बलि दी जाती है. श्रद्धालु बड़े पैमाने पर बलि चढ़ाने पहुंचते हैं, जिसमें 501 बलि ही मां को चढ़ायी जाती है. ऐसी मान्यता है की इस शक्तिपीठ में जो भी फरियादी मां के पास अपनी फरियाद लेकर आते हैं. वो कभी खाली हाथ नहीं लौटते. यहां पर लगभग 400 सालों से अनवरत रूप से बलि प्रथा जारी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

गांव के बगीचे के बीच पीपल के पेड़ के नीचे
गांव के बगीचे के बीच पीपल के पेड़ के नीचे मां का स्थान स्थापित है. मां काली यहां पर पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं. हर साल इस स्थान पर 32 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई जाती है. इस शक्तिघाम की प्रसिद्धि आसपास के इलाके में फैली हुई है. सबसे खास बात यह है कि गांव के लोग ही माता काली की प्रतिमा का निर्माण करते है.

प्रतिमा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
प्रतिमा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

बदल गया है इस बार का विसर्जन रूट
मां काली की विसर्जन शोभायात्रा देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. बताया जा रहा है कि इस बार विसर्जन शोभायात्रा का रूट बदल दिया गया है. क्षेत्र में रेलवे के इलेक्ट्रिफिकेशन होने की वजह से रूट को बदला गया है. इस बार विसर्जन शोभायात्रा बाईपास होते हुए चंपा नदी तक जाएगी.

बम काली, भागलपुर
बम काली, भागलपुर

400 साल पूर्व गांव के साधक के सपनें में आई थी मां काली
क्षेत्र के लोगों की मानें तो 400 साल पूर्व गांव के काली सिंह के सपने में मां काली आई थी. स्वप्न में मां काली नें अपने साधक को गांव के बगीचे में स्थापित कर पूजा करने का आदेश दिया. जिसके बाद भक्त काली सिंह नें मां के आदेशानुसार माता काली की पिंडी स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू किया. मां काली को प्रसन्न करने के लिए इस स्थान पर 501 बकड़ो की बलि दी जाती है. बलि के बाद बकड़े कि सिर को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है. मां के इस स्थान के बारे में इलाके के जानकार व्यास देव बताते है कि यहां कई बार मां की मंदिर बनाने का प्रयास किया गया. लेकिन गांव में कई बार अनहोनी घटना हो गई, जिसके बाद इस स्थान पर मां का मंदिर बनाने का प्रयास छोड़ दिया गया.

Intro:bh_bgp_01_purvi_bihar_ki_sabse_badi_kali_pkg_7202641

पूर्वी बिहार की सबसे बड़ी बम काली की प्रतिमा को देखने उमड़े हजारों श्रद्धालु

भागलपुर के नाथनगर अंतर्गत बहबलपुर में पूर्वी बिहार की सबसे ऊंची बम काली की प्रतिमा 32 फीट को देखने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है बताया जाता है कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है कई वर्षों से यहां पर पूर्वी बिहार की सबसे बड़ी प्रतिमा जिसकी ऊंचाई करीबन 32 फीट के आसपास होती है तकरीबन 400 सालों से बलि प्रथा भी भागलपुर के बंगाली में शुरू की गई थी पूरे गांव में काली पूजा के दौरान उत्सव का माहौल रहता है ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति फरियाद लेकर बम काली के दरबार में आता है बम काली मां उसकी मुराद पूरी करते हैं।


Body:बताया जाता है कि करीबन 400 वर्ष पूर्व बहबलपुर के रहने वाले काली सिंह के सपने में काली मां आई थी जिसके बाद काली सिंह ने पेड़ के नीचे ही काली मां को स्थापित कर दिया सात सज्जा के साथ काली की प्रतिमा 35 फीट की हो जाती है जबलपुर के बम काली में करीबन 501 पार्टी की बलि दी जाती है और प्रसाद के तौर पर सिरा का वितरण किया जाता है जिसके लिए बोली लगाई जाती है जो व्यक्ति सबसे ज्यादा पैसा देता है पहला सिरा उसे ही दिया जाता है लोगों का कहना है कि कई बार काली मां का मंदिर बनाने का प्रयास भी किया लेकिन अनहोनी होने के बाद किसी ने मंदिर बनाने की कोशिश दोबारा नहीं की कई लोगों के सपने में आकर काली मां ने स्पष्ट तौर पर मंदिर नहीं बनाने की बात को बताई थी।


Conclusion:गांव के बगीचे के बीच पीपल के पेड़ के नीचे मां का स्थान स्थापित है जोकि भिंड के रूप में है इसी पीपल के पेड़ के नीचे हर वर्ष 32 फीट की बम काली की प्रतिमा बनाई जाती है जिसकी प्रसिद्धि आसपास के इलाके में दूरदराज तक फैली हुई है जिसकी वजह से कई जगह से श्रद्धालु बम काली के दर्शन को पहुंचते हैं गांव के ही लोगों के द्वारा प्रतिमा का निर्माण किया जाता है ।

बहबलपुर की काली की विसर्जन शोभायात्रा देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है लेकिन इस बार रेलवे के इलेक्ट्रिफिकेशन होने की वजह से इस बार विसर्जन मेला का लुफ्त नाथनगर बाजार के लोग नहीं उठा पाएंगे प्रतिमा की ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से बहबलपुर के बम काली के रूट को बदल दिया गया है । इस बार बम काली बाईपास होते हुए चंपा नदी तक जाएगी।

बाइट व्यास देव धार्मिक तथ्य के जानकार
बाइट सुनील सिंह अध्यक्ष बहबलपुर काली पूजा समिति
बाइट श्रद्धालु पिंक शर्ट में
Last Updated : Oct 30, 2019, 7:39 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.