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समाज के लिए अनूठी मिसाल हैं ये तीनों बहनें, मां-बाप की सेवा के लिए नहीं की शादी - Bihar News \

अपने मां-बाप की सेवा के लिए एक परिवार के तीन बहनों ने आजीवन शादी नहीं की. इस मिसाल के लिए इनकी पूरे क्षेत्र में लोग खूब तारीफ करते हैं.

बेगूसराय
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Published : Jun 22, 2019, 6:46 PM IST

बेगूसराय: बेटियां आज किसी भी मामले में बेटे से कम नहीं हैं. जिले के एक परिवार की तीन बेटियां अपने मां-बाप की सेवा के लिए आजीवन शादी न करने का फैसला ले लिया. तीनों बेटियां आज पूरे जिले में एक मिसाल बनी हुई हैं. वहीं, ईटीवी भारत के संवाददाता से इनकी मां ने बताया कि शादी नहीं होने का कारण परिवार की नाजुक हालात ही थे.

मामला जिले के रामदीरी अकाशपुर गांव का है. यहां रघु सिंह नाम के एक परिवार में उसके बेटे का बीमारी से मौत हो गई. इसके बाद बेटे की पत्नी और बच्चों का बोझ रघु सिंह के तीन बेटियों पर आ गया. तीनों ने आर्थिक तंगहाली के बावजूद भी इंटर और बीएससी तक की पढ़ाई भी पूरी की. इस परिवार की बड़ी बेटी की शादी तो तय हुआ. लेकिन दहेज की वजह से बड़ी बेटी ने शादी से इंकार कर दिया.

तीनों बहने बनी मिसाल

खेती से लेकर गोपालन तक करती हैं
तीनों बहन कुमारी अभिलाषा, कुमारी रूपम और कुमारी निर्मला ने आर्थिक तंगहाली और परिवार के जिम्मेवारी के वजह से आजीवन शादी नहीं करने का फैसला ले लिया. इसके बाद घर पर ही रह कर अपने बूढ़े मां-बाप की सेवा करती हैं. परिवार के जीविकोपार्जन के लिए तीनों बहन खेत में काम करती हैं, गोपालन भी करती हैं और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं. इससे अपने घर की जरूरतों को पूरा करती हैं.

बेगूसराय
पशु चारा काटती हुई

इन्हें नहीं मिलता कोई सरकारी लाभ
तीनो बहनों ने बताया कि मां और बाप के सेवा के लिए ही शादी नहीं किए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीवन का अब एक ही लक्ष्य है कि अपने मृत भाई के बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके. वहीं, सरकारी सुविधाएं के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें कोई सुविधा नहीं दी जाती है. समाज के लोग कहते हैं कि मां और बाप के साथ रहने पर कोई योजना का लाभ नहीं मिल सकता है.

बेगूसराय: बेटियां आज किसी भी मामले में बेटे से कम नहीं हैं. जिले के एक परिवार की तीन बेटियां अपने मां-बाप की सेवा के लिए आजीवन शादी न करने का फैसला ले लिया. तीनों बेटियां आज पूरे जिले में एक मिसाल बनी हुई हैं. वहीं, ईटीवी भारत के संवाददाता से इनकी मां ने बताया कि शादी नहीं होने का कारण परिवार की नाजुक हालात ही थे.

मामला जिले के रामदीरी अकाशपुर गांव का है. यहां रघु सिंह नाम के एक परिवार में उसके बेटे का बीमारी से मौत हो गई. इसके बाद बेटे की पत्नी और बच्चों का बोझ रघु सिंह के तीन बेटियों पर आ गया. तीनों ने आर्थिक तंगहाली के बावजूद भी इंटर और बीएससी तक की पढ़ाई भी पूरी की. इस परिवार की बड़ी बेटी की शादी तो तय हुआ. लेकिन दहेज की वजह से बड़ी बेटी ने शादी से इंकार कर दिया.

तीनों बहने बनी मिसाल

खेती से लेकर गोपालन तक करती हैं
तीनों बहन कुमारी अभिलाषा, कुमारी रूपम और कुमारी निर्मला ने आर्थिक तंगहाली और परिवार के जिम्मेवारी के वजह से आजीवन शादी नहीं करने का फैसला ले लिया. इसके बाद घर पर ही रह कर अपने बूढ़े मां-बाप की सेवा करती हैं. परिवार के जीविकोपार्जन के लिए तीनों बहन खेत में काम करती हैं, गोपालन भी करती हैं और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं. इससे अपने घर की जरूरतों को पूरा करती हैं.

बेगूसराय
पशु चारा काटती हुई

इन्हें नहीं मिलता कोई सरकारी लाभ
तीनो बहनों ने बताया कि मां और बाप के सेवा के लिए ही शादी नहीं किए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीवन का अब एक ही लक्ष्य है कि अपने मृत भाई के बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके. वहीं, सरकारी सुविधाएं के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें कोई सुविधा नहीं दी जाती है. समाज के लोग कहते हैं कि मां और बाप के साथ रहने पर कोई योजना का लाभ नहीं मिल सकता है.

Intro:एंकर-भाई की मौत के बाद आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे परिवार के बेटियों की शादी के लिए जब लड़के वालों ने दहेज की मांग की तो तीनों बहनों ने जीवन भर शादी न करने का फैसला लिया।तीनों कुमारी बहनों के जीवन का एकमात्र उद्देश्य बूढ़े मां बाप की सेवा करना और अपने भाई के बच्चों को अच्छी तालीम देना है।शादी नही करने के कारण स्थानीय मुखिया और समाज के ठेकेदार इस परिवार के दुश्मन बन बैठे हैं और एक तरह से इनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया है।गरीब होने के बाबजूद भी इन्हें किसी तरह की सरकारी सहायता नही लेने दे रहे दबंग।


Body:vo-बेगूसराय जिला के रामदीरी अकाशपुर गाँव की रहने वाली तीन सगी बहनों की कहानी अपने आप मे अनोखी और बेमिशाल है।पुरुष प्रधान इस समाज मे पुरुषों की मनमानी,दहेजप्रथा और महिलाएं कमजोर होती है ऐसी धारणा के खिलाफ इन तीन बहनों ने विरोध का बिगुल फंक दिया है।दहेज की मांग पर जहां इन तीन बहनों ने जीवन भर शादी नही करने का एलान कर दिया वहीं ये मिथक भी तोड़ दिया कि बेटियां पराई होती हैं वो मां बाप के बुढ़ापे का सहारा नही हो सकती ।
दरअसल रामदीरी अकाशपुर गांव के रघु सिंह को एक पुत्र और उनसे छोटी तीन बेटियां थी।भाई बड़े थे तीनो बहनों की जब शादी की उम्र हुई तो बीमाड़ी के कारण भाई की मौत हो गयी।भाई अपने पीछे पत्नी और दो बेटों को छोड़ गए।इस बीच बड़ी बहन ने बीए और दोनों छोटी बहनों ने आईएससी तक की पढ़ाई पूरी कर ली।आर्थिक तंगहाली के बाबजूद भी मां बाप ने शादी का प्रयाश किया लड़की सुंदर और पढ़ी लिखी देख लड़के वालों ने शादी के लिए हाँ कह दिया लेकिन साथ ही दहेज की मांग भी रख दिया, जिससे बड़ी बेटी ने शादी नही करने का एलान कर दिया जिसके बाद अन्य छोटी बहनों ने भी इसी तरह जीवन भर शादी नही करने का निर्णय लिया।तीनो बहने मिलजुलकर अपने छोटे से खेत मे खेती करती है,गौ पालन करती हैं और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर न सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा कर रही है बल्कि अपने बूढ़े मां बाप की सेवा और देखभाल के साथ साथ अपने मृतक भाई की पत्नी और बच्चों का भी भरण पोषण कर रही हैं।तीनो बहनों के जीवन का एक मात्र उद्देश्य मां बाप की सेवा करना और अपने दोनो भतीजों को अच्छी तालीम देना है।
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान वैसे तो इन्होने दहेज के मुद्दे पर कुछ नही कहा लेकिन आर्थिक तंगी,बूढ़े मां बाप की सेवा और भतीजो की परवरिश की जबाबदेही निभाने के लिए शादी से इनकार की बात कही ।
वन टू वन विथ 1-कुमारी अभिलाषा
2-कुमारी रूपम
3-कुमारी निर्मला
vo-बातचीत के क्रम में तीनो बहनों ने बताया कि समाज के ठेकेदार उन्हें शादी नही करने के कारण परेशान करते रहते हैं हमेशा अपने माँ बाप से अलग होकर रहने की हिदायत देते है और चेलेंज करते हैं कि जब तक तूमलोग साथ मे रहोगी तब तक न मां बाप को वृद्धावस्था पेंशन मिलेगा न इंदिरा आवास मिलेगा किसी भी तरह की सरकारी सहायता नही मिलेगी।इनकी मां तीनो बहनों के शादी नही होने का कारण दहेज की मांग और आर्थिक तंगी बताती है इसके साथ ही उन्होने बताया कि तीनों बहनों के शादी नही होने के कारण समाज के लोग दुश्मन बन बैठे है और हर तरीके से परेशान कर रहे हैं।किसी भी प्रकार की सरकारी सहायता नही मिलने के कारण वो काफी आहत दिखीं लेकिन तीनो बहनों के शादी नही करने के फैसले को उन्होनें तीनो बहनों का फैसला बताया।
बाइट- प्रभा देवी, मां


Conclusion:fvo-तीन बहनों का ये जज्बा वाकई काबिले तारीफ है।जिस तरीके से तीनों बहनों ने अपने वैवाहिक खुशहाल जिंदगी के सपने को तिलांजलि देकर अपने बूढ़े माँ बाप की सेवा और दहेज की मांग के विरोध में जीवन भर अविवाहित रहने का निर्णय लिया ये उनके अदम्य साहस को दर्शाता है।
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