बेगूसरायः "कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो " यही संदेश बेगूसराय के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक दे रहे हैं. जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर स्थित प्राथमिक विद्यालय सिंघोल डीह सीमित संसाधनों में बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर मिशाल पेश कर रहा है.
स्कूल में महज दो कमरे
स्कूल में 160 बच्चे और 5 शिक्षक हैं. यहां महज दो कमरों में 5 वर्ग को संचालित किया जाता है. इसकी फर्श से लेकर दीवार तक एक किताब है. जहां पेंटिंग के जरिये बच्चों को ए से जेड तक का ज्ञान और 26 तरह के जानवरों की पहचान कराई जाती है.
फर्श पर खेलने के लिए बनाया गया सांप सीढ़ी
फर्श पर खेलने के लिए सांप सीढ़ी बनाया गया है. जहां बच्चों को अच्छे और बुरे का नैतिक ज्ञान दिया जाता है. यह कुछ इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि अंकों के बीच सांप और सीढ़ी मौजूद रहता है. अगर 80 के अंक पर किसी को सांप ने काट लिया तो वह सीधे 8 नंबर पर पहुंच जाता है. हर सांप और सीढ़ी के पास कोई मैसेज रहता है.
चित्रकला के साथ अन्य विधाओं में हो रहे दक्ष
स्कूल की दीवारों पर किताब के अध्याय से जुड़ी कहानियों को चित्रकला के जरिए उकेरा गया है. बच्चे नई तकनीक से पढ़ाई कर काफी उतसाहित हैं. साथ ही वो चित्रकला से लेकर अन्य विधाओं में दक्ष हो रहे हैं.
इच्छाशक्ति बुलंद हो तो सारे काम संभव
स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि के बच्चों को तकनीकी शिक्षा के साथ नैतिक ज्ञान देना भी आवश्यक है. बहरहाल, यह कहा जा सकता है कि इच्छाशक्ति बुलंद हो तो कोई भी काम असंभव नहीं है. योग्य शिक्षक सरकारी स्कूलों में भी सीमित संसाधन के बावजूद बेहतर शिक्षा देकर निजी स्कूलों को चुनौती दे सकते हैं.