बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में शराबबंदी कानून की खुलेआम (Begusarai Crime News) धज्जियां उड़ती हुई दिखाई दी. जब एक शराबी घंटों सड़क से लेकर सदर अस्पताल तक हाई वोल्टेज ड्रामा करता रहा. सूबे में लागू शराबबंदी के बीच बेगूसराय में एक शराबी घंटों सदर अस्पताल में ड्रामा कर बिहार में शराबबंदी (Liquor Prohibition Law in Bihar) की पोल खोलकर रख दी. साथ ही साथ उसने शराब कारोबारियों एवं पुलिस के बीच मिली-भगत का भी आरोप लगाया है. दरअसल बुधवार की शाम एक शराबी और ई रिक्शा चालक के बीच किसी बात को लेकर झड़प हुई, जिसके बाद ई रिक्शा चालक ने शराबी सुजीत कुमार की जमकर पिटाई कर दी. पिटाई से वो गंभीर रूप से घायल हो गया.
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शराबी ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप : घायल शराबी को बाद में उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. जहां उसने घंटों हाई वोल्टेज ड्रामा किया. साथ ही साथ उसने आरोप लगाया कि बेगूसराय में हर एक चौक-चौराहों पर शराब की खुलेआम बिक्री की जाती है. और इसके लिए पुलिस को कमीशन भी दिया जाता है. उक्त शराबी के कथनानुसार ढाई सौ में एवं 50 रुपये प्रति ग्लास की दर से महुआ शराब की बिक्री की जाती है. पुलिस की लापरवाही का आलम यह भी है कि घंटों शराबी के द्वारा उत्पात मचाने के बावजूद भी सदर अस्पताल में पुलिस नहीं पहुंच सकी और बाद में शराबी इलाज करा कर चंपत हो गया.
अप्रैल 2016 से शराबबंदी : गौरतलब है कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं. अवैध तरीके से देसी शराब उत्पादन और विदेशी शराब की बिक्री की जा रही है. ऐसे माफियाओं पर लगातार बिहार पुलिस की ओर से अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है. पुलिस मुख्यालय के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2021 में बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम के अंतर्गत बिहार के सभी जिलों में विशेष छापेमारी अभियान चलाया गया है. इस दौरान कुल 66,258 प्राथमिकी दर्ज की गई है.
शराबबंदी के लाखों केस पेंडिंग : बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून के कारण लाखों केस पेंडिंग है. जेलों में बड़ी संख्या में लोग सुनवाई के इंतजार में बंद हैं. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था और उसके बाद ही सरकार ने संशोधन भी किया और केस के निपटारे के लिए कई तरह के प्रयास भी शुरू किया जा रहा है. गौरतलब है कि विधानसभा में मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 पास कराया गया था. जिसके बाद इस संशोधित कानून के तहत कार्रवाई की जा रही थी. दरअसल शराबबंदी कानून को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था क्योंकि कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जेलों में कैदियों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा था. इन सभी चिजों को देखते हुए सरकार ने इस कानून में संशोधन किया और कानून को लचीला बनाने की कोशिश की.