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बाढ़ और बारिश के बीच खाद की कमी से किसान परेशान, परिवार चलाना हो रहा मुश्किल

बेगूसराय में किसानों की परेशानी काफी बढ़ती जा रही है. बिहार में जिस तरह से बाढ़ और बारिश ने तबाही मचाई है, उससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है. इसके साथ ही खाद नहीं मिलने से फसल नष्ट हो रहे हैं.

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Published : Aug 28, 2020, 5:28 PM IST

बेगूसराय: जिले में बाढ़ और भारी बारिश का सबसे ज्यादा खामियाजा किसानों को उठाना पड़ा है. बाढ़ के कारण जहा किसानों के सैकड़ों एकड़ की फसल पानी मे डुब गई, वहीं भारी बारिश से फसल बर्बाद हो गए हैं. हद तो तब हो गई जब इनदोनों के बाद मक्के की जो फसल होने की उम्मीद किसान पाले हुए थे, उसमें दाना ही नहीं हुआ.

इन परेशानियों से जूझ रहे किसानों को इस वक्त एक और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिससे उनकी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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फसलों को नहीं मिल रहा खाद

खोखले साबित हो रहे सरकारी दावे
किसानों को अन्नदाता कहा जाता है. लेकिन किसान की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ और सुखाड़ के अलावा फसलों में दाना नहीं होना अब आम बात ही गई है. जिससे किसान परेशान और हताश हैं. किसानों के इस नुकसान की भरपाई सरकार के एजेंडे में नहीं है. वहीं, सरकार के सभी दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं.

'नहीं उपलब्ध हो रहे खाद'
सरकार किसानों को सस्ते दाम पर खाद बीज उपलब्ध कराने की बात कर रही है. लेकिन हकीकत यह है कि सोयाबीन, मकई और दूसरे फसलों के लिए किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. अगर खाद की उपलब्धता हो भी जाए तो किसानों को इसके लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. किसानों के मुताविक इस बार किसान त्राहिमाम में हैं. किसानों की मानें तो खाद दुकानदार उन्हें खाद दे ही नहीं रहे हैं. जिससे खेती की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है.

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बाढ़ से फसलें हुई नष्ट

किसानों ने बताई समस्या
अन्य किसानों का कहना है कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण इस बार उनके लिए क्षेत्र काफी नुकसानदायक साबित हुआ है. पीड़ित किसान ने बताया कि इस बार फसल की बर्बादी को देखते हुए उन लोगों ने खेत को यूं ही छोड़ दिया है. वहीं लगी हुई मक्के की फसल को काट कर गिर रहे है या फिर उसे मबेशियों के चारे के रूप में यूज कर रहे हैं.

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मक्के का फसल

खाद दुकानदार ने दी जानकारी
वहीं, खाद दुकानदारों का कहना है कि उन्हें 266 रुपये की जगह 300 रुपये में खाद उपलब्ध कराई जा रही है. जिसकी शिकायत वो कई बार प्रशासन से कर चुके हैं. लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला. दुकानदारों का यह भी कहना है कि 300 के अलावा उन्हें 10 रुपये बोरा भाड़ा और 4 रुपया मोटिया खर्च लग रहा है. जबकि सरकार उन्हें 266 रुपया प्रति बोरा खाद बेचने की बात कह रही है.

बेगूसराय: जिले में बाढ़ और भारी बारिश का सबसे ज्यादा खामियाजा किसानों को उठाना पड़ा है. बाढ़ के कारण जहा किसानों के सैकड़ों एकड़ की फसल पानी मे डुब गई, वहीं भारी बारिश से फसल बर्बाद हो गए हैं. हद तो तब हो गई जब इनदोनों के बाद मक्के की जो फसल होने की उम्मीद किसान पाले हुए थे, उसमें दाना ही नहीं हुआ.

इन परेशानियों से जूझ रहे किसानों को इस वक्त एक और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिससे उनकी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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फसलों को नहीं मिल रहा खाद

खोखले साबित हो रहे सरकारी दावे
किसानों को अन्नदाता कहा जाता है. लेकिन किसान की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ और सुखाड़ के अलावा फसलों में दाना नहीं होना अब आम बात ही गई है. जिससे किसान परेशान और हताश हैं. किसानों के इस नुकसान की भरपाई सरकार के एजेंडे में नहीं है. वहीं, सरकार के सभी दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं.

'नहीं उपलब्ध हो रहे खाद'
सरकार किसानों को सस्ते दाम पर खाद बीज उपलब्ध कराने की बात कर रही है. लेकिन हकीकत यह है कि सोयाबीन, मकई और दूसरे फसलों के लिए किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. अगर खाद की उपलब्धता हो भी जाए तो किसानों को इसके लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है. किसानों के मुताविक इस बार किसान त्राहिमाम में हैं. किसानों की मानें तो खाद दुकानदार उन्हें खाद दे ही नहीं रहे हैं. जिससे खेती की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है.

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बाढ़ से फसलें हुई नष्ट

किसानों ने बताई समस्या
अन्य किसानों का कहना है कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण इस बार उनके लिए क्षेत्र काफी नुकसानदायक साबित हुआ है. पीड़ित किसान ने बताया कि इस बार फसल की बर्बादी को देखते हुए उन लोगों ने खेत को यूं ही छोड़ दिया है. वहीं लगी हुई मक्के की फसल को काट कर गिर रहे है या फिर उसे मबेशियों के चारे के रूप में यूज कर रहे हैं.

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मक्के का फसल

खाद दुकानदार ने दी जानकारी
वहीं, खाद दुकानदारों का कहना है कि उन्हें 266 रुपये की जगह 300 रुपये में खाद उपलब्ध कराई जा रही है. जिसकी शिकायत वो कई बार प्रशासन से कर चुके हैं. लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला. दुकानदारों का यह भी कहना है कि 300 के अलावा उन्हें 10 रुपये बोरा भाड़ा और 4 रुपया मोटिया खर्च लग रहा है. जबकि सरकार उन्हें 266 रुपया प्रति बोरा खाद बेचने की बात कह रही है.

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