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खबर का असर: खादी ग्रामोद्योग की जमीन नीलाम होने की खबर पर DM ने लिया संज्ञान, दिए जांच के आदेश

बीते 7 फरवरी को खादी ग्राम उद्योग की जमीन नीलाम होने की खबर आई थी. इसकी वजह से कर्मचारी काफी परेशान थे. जिसको लेकर ईटीवी भारत खबर दिखाई. इसके बाद डीएम ने इस मामले को संज्ञान में लिया. साथ ही जांच के आदेश भी दिए.

खादी ग्राम उद्योग की जमीन
खादी ग्राम उद्योग की जमीन
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Published : Feb 14, 2020, 1:05 PM IST

बेगूसराय: केंद्र सरकार की ओर से खादी वस्त्रों को प्रमोट करने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण शहर के कॉलेजिएट स्कूल स्थित खादी के मुख्य बिक्री केंद्र की जमीन बैंक की ओर से नीलाम हो गई है. इसको लेकर कर्मचारी काफी परेशान थे. ऐसे में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. खबर के बाद डीएम ने संज्ञान लिया और खादी ग्राम उद्योग की जमीन नीलाम होने के मामले में जांच का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि दोषी पाए गए तो लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

डीएम ने दिया जांच का आदेश
बता दें कि बीते 7 फरवरी को ईटीवी भारत की ओर से प्रसारित खबर 'खादी ग्राम उद्योग की जमीन हुई नीलाम, लोग प्रशासन से लगा रहे मदद की गुहार' पर बेगूसराय के डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने संज्ञान लिया है. डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने बताया ईटीवी भारत की खबर के जरिए इस मामले को संज्ञान में लिया गया है. जिस पर उन्होंने जांच का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करें. वह जांच कर बताएं कि किस परिस्थिति में खादी ग्राम उद्योग को अपनी जमीन मॉर्गेज करनी पड़ी और बैंक ने किस प्रक्रिया के तहत खादी ग्राम उद्योग की जमीन को नीलाम किया.

begusarai
डीएम अरविंद कुमार वर्मा

दोषियों पर होगी कार्रवाई
डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि अगर जमीन की नीलामी हुई तो फिर पूरे पैसे खादी ग्राम उद्योग को क्यों नहीं मिले. डीएम ने कहा कि क्योंकि यह मामला पहले का है और अभी संज्ञान में लाया गया है. इसलिए जांच टीम की रिपोर्ट के बाद अगर प्रक्रिया में किसी भी तरह की गलती पाई गई तो संबंधित लोगों पर अवश्य कार्रवाई की जाएगी.

ईटीवी भारत की खबर

क्या है मामला?
दरअसल, बेगूसराय में खादी ग्राम उद्योग को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई थी. जिसका प्रचार-प्रसार गांव-गांव में किया गया था. इसकी शुरुआत जिले के कई गांवों में सूत काटने से की गई थी. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण इस योजना को किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल पाया. लिहाजा, सूत काटने के कई सेंटर बंद हो गए. जिससे वहां कार्यरत कर्मचारी बेरोजगार हो गए. हालांकि अपने दम पर कर्मचारियों ने किसी तरह इसे जिंदा रखने की कोशिश की. लेकिन कर्ज नहीं चुका पाने के कारण बैंक ने दुकान की जमीन को नीलाम कर दिया. जिसकी वजह से कर्मी काफी परेशान थे और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे थे.

बेगूसराय: केंद्र सरकार की ओर से खादी वस्त्रों को प्रमोट करने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण शहर के कॉलेजिएट स्कूल स्थित खादी के मुख्य बिक्री केंद्र की जमीन बैंक की ओर से नीलाम हो गई है. इसको लेकर कर्मचारी काफी परेशान थे. ऐसे में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. खबर के बाद डीएम ने संज्ञान लिया और खादी ग्राम उद्योग की जमीन नीलाम होने के मामले में जांच का आदेश दिया है. साथ ही कहा कि दोषी पाए गए तो लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

डीएम ने दिया जांच का आदेश
बता दें कि बीते 7 फरवरी को ईटीवी भारत की ओर से प्रसारित खबर 'खादी ग्राम उद्योग की जमीन हुई नीलाम, लोग प्रशासन से लगा रहे मदद की गुहार' पर बेगूसराय के डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने संज्ञान लिया है. डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने बताया ईटीवी भारत की खबर के जरिए इस मामले को संज्ञान में लिया गया है. जिस पर उन्होंने जांच का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करें. वह जांच कर बताएं कि किस परिस्थिति में खादी ग्राम उद्योग को अपनी जमीन मॉर्गेज करनी पड़ी और बैंक ने किस प्रक्रिया के तहत खादी ग्राम उद्योग की जमीन को नीलाम किया.

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डीएम अरविंद कुमार वर्मा

दोषियों पर होगी कार्रवाई
डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि अगर जमीन की नीलामी हुई तो फिर पूरे पैसे खादी ग्राम उद्योग को क्यों नहीं मिले. डीएम ने कहा कि क्योंकि यह मामला पहले का है और अभी संज्ञान में लाया गया है. इसलिए जांच टीम की रिपोर्ट के बाद अगर प्रक्रिया में किसी भी तरह की गलती पाई गई तो संबंधित लोगों पर अवश्य कार्रवाई की जाएगी.

ईटीवी भारत की खबर

क्या है मामला?
दरअसल, बेगूसराय में खादी ग्राम उद्योग को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई थी. जिसका प्रचार-प्रसार गांव-गांव में किया गया था. इसकी शुरुआत जिले के कई गांवों में सूत काटने से की गई थी. लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण इस योजना को किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल पाया. लिहाजा, सूत काटने के कई सेंटर बंद हो गए. जिससे वहां कार्यरत कर्मचारी बेरोजगार हो गए. हालांकि अपने दम पर कर्मचारियों ने किसी तरह इसे जिंदा रखने की कोशिश की. लेकिन कर्ज नहीं चुका पाने के कारण बैंक ने दुकान की जमीन को नीलाम कर दिया. जिसकी वजह से कर्मी काफी परेशान थे और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे थे.

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