बेगूसराय: जिले में खेग्रामस और ऐपवा के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न मांगों को लेकर समाहरणालय पर प्रदर्शन किया. इस दौरान नेताओं ने दिल्ली पुलिस के माध्यम से माकपा नेता सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को दिल्ली दंगा के मामले के झूठे आरोप में फंसाए जाने का आरोप भी लगाया.
विभिन्न मांगो को लेकर प्रदर्शन
इन विभिन्न मांगो में स्वयं सहायता समूह, माइक्रोफाइनेंस और जीविका से जुड़ी महिलाओं के छोटे लोन को माफ करना, 31 मार्च 200 तक वसूली पर रोक लगाना, 10,000 लॉकडाउन भत्ता देने, मनरेगा में ग्रामीण और शहरी मजदूरों को 200 दिन काम और 500 रुपये दैनिक मजदूरी देने, छुटे हुए गरीबों का नाम सूची में शामिल कर राशन कार्ड देने आदि मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया.
प्रतिरोध मार्च का आयोजन
इस दौरान भाकपा माले कार्यालय से एक प्रतिरोध मार्च निकाला गया, जो कैंटीन चौक पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. इनका आरोप है कि इस इस गंभीर परिस्थितियों में भी महिलाओं को प्रताड़ित कर उनके साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है. इसपर अविलंब रोक लगाए जाए.
कार्यकर्ताओं को फंसाने का कार्य
इस दौरान कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र और मोदी की सरकार दिल्ली पुलिस के हाथों सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेता और शिक्षाविद को प्रताड़ित करने का काम कर रही है. इनका आरोप है कि दिल्ली पुलिस भाकपा महासचिव सीताराम येचुरी, माले पोलितब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव, प्रोफेसर अपूर्वानंद, छात्र आंदोलन के नेता कंवलप्रीत कौर सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को झूठे तरीके से फंसाने का काम किया जा रहा है. इस घटना के विरोध की आवाज को दबाने की साजिश है.
सरकार के पास नहीं है मजदूरों के मौत का आंकड़ा
नेताओ ने कहा कि इस तरह का कार्य घोर निंदनीय और अलोकतांत्रिक है. इसे सरकार को वापस लेना चाहिए. नेताजी ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा सरकार के पास नहीं है, इससे स्पष्ट है कि प्रवासी मजदूरों की मौत पर मुआवजा सरकार नहीं देना चाहती है. इस मार्च में ऐपवा रसोईया कर्मी किरण देवी, किसान महासभा के बैजू सिंह , राजेश श्रीवास्तव , मोहम्मद इसराइल, मंटू पासवान, इंद्रदेव राम, अमरजीत पासवान, रामविलास रजक दीपक आनंद, दिलीप ठाकुर, सुरेश पासवान, महादेव पासवान, जयराम पासवान, पुतुल देवी, जग्गन सदा आदि शामिल रहें.