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बेगूसरायः 25 फरवरी को CAA और NRC के खिलाफ CPI माले करेगी असेंबली मार्च - बेगूसराय में कबिता कृष्णन

भाकपा माले 25 फरवरी को बिहार में एसेंबली मार्च करेगी. गांव-गांव से लोगों को इसमें जोड़ने के लिए पार्टी तमाम कार्यक्रम कर रही है. इस सिलसिले में भाकपा माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन बेगूसराय के दौरे पर हैं.

बेगूसराय
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Published : Feb 15, 2020, 1:11 PM IST

बेगूसरायः भाकपा माले 25 फरवरी को बिहार में एसेंबली मार्च करेगी. प्रदेशभर से लोगों को इसमें शामिल होने की अपील की जा रही है. इस मार्च के माध्यम पार्टी सरकार पर दबाव बनाना चाहती है कि प्रदेश में सीएए और एनआरसी लागू नहीं किया जाए. इसके लिए गांव-गांव से लोगों को जोड़ने के लिए पार्टी अभियान चला रही है.

इस सिलसिले में भाकपा माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन बेगूसराय पहुंचीं. उन्होंने कहा कि पार्टी तमाम कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण गरीबों को एनआरसी और सीएए के खतरे के बारे में बता रही है. क्योंकि अभी तक हो रहे विरोध में शहर के लोग शामिल होते रहे हैं. जरूरी है कि गांव के गरीब भी इस आंदोलन से जुड़ें.

पेश है रिपोर्ट

'झूठ बोल रही है सरकार'
कबिता कृष्णन ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है कि लोगों को एनआरसी, एनपीआर और सीएए से उन्हें कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय जरूर इससे सीधे निशाने पर हैं लेकिन सबसे ज्यादा खतरा ग्रामीण गरीबों को है. ऐसे में जरूरी है कि गरीबों को हकीकत का पता चले.

बेगूसरायः भाकपा माले 25 फरवरी को बिहार में एसेंबली मार्च करेगी. प्रदेशभर से लोगों को इसमें शामिल होने की अपील की जा रही है. इस मार्च के माध्यम पार्टी सरकार पर दबाव बनाना चाहती है कि प्रदेश में सीएए और एनआरसी लागू नहीं किया जाए. इसके लिए गांव-गांव से लोगों को जोड़ने के लिए पार्टी अभियान चला रही है.

इस सिलसिले में भाकपा माले की पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन बेगूसराय पहुंचीं. उन्होंने कहा कि पार्टी तमाम कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण गरीबों को एनआरसी और सीएए के खतरे के बारे में बता रही है. क्योंकि अभी तक हो रहे विरोध में शहर के लोग शामिल होते रहे हैं. जरूरी है कि गांव के गरीब भी इस आंदोलन से जुड़ें.

पेश है रिपोर्ट

'झूठ बोल रही है सरकार'
कबिता कृष्णन ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है कि लोगों को एनआरसी, एनपीआर और सीएए से उन्हें कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय जरूर इससे सीधे निशाने पर हैं लेकिन सबसे ज्यादा खतरा ग्रामीण गरीबों को है. ऐसे में जरूरी है कि गरीबों को हकीकत का पता चले.

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