बेगूसराय: संक्रमण के बाद भले ही चाइनीज सामानों के विरोध के सुर निकल रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है. चाइनीस सामानों के विरोध के सुर सुनने के बाद स्थानीय स्तर पर कुंभ कारों ने बड़ी मात्रा में दीप एवं चुक्के का निर्माण किया था. लेकिन बाजारों में आने के बाद यह सारे सामान धरे के धरे रह गए.
लोग चाइनीज का बहिष्कार सिर्फ चौंक चौराहों पर पुराने बेमतलब के सामानों को जरूर जला देते हैं. लेकिन जब बाजार किसी भी सामान लेने का रूख करते हैं तो चाईनीज सामानों के चकाचौंध में खो जाते हैं.
आलम यह है कि लोग परंपरागत दीप एवं दीपावली में उपयोग होने वाले मिट्टी के बने दीयों से कोषों दूर होतो जा रहे हैं. वहीं हाल के दशकों में चाइनीज सामानों की ओर लोगों का झुकाव अधिक दिखा रहा है. यही वजह है की मिट्टी के समान तैयार करने वाले कारीगरों की हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है. आज बाजारों में मिट्टी के बने बर्तन के खरीदार नहीं है. जिस कारण दिवाली के दिन घर को रौशन करना तो दूर मजदूरी भी निकलना मुश्किल साबित हो रहा है.