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जम्मू-कश्मीर की हालात से पड़घड़ी के लोग चिंतित, 80 फीसदी लोग वहां रहकर करते हैं काम

जम्मू और कश्मीर में आतंकियों द्वारा गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद कुमार साह की हत्या के बाद से पड़घड़ी को लोग अपने परिजनों के लिए चिंतित हैं. यहां के लोग अपने घर के सदस्यों को शीघ्र ही घर लौटने को कह रहे हैं.

पड़घड़ी गांव के ग्रामीण
पड़घड़ी गांव के ग्रामीण
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Published : Oct 17, 2021, 8:31 PM IST

बांका: जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में ईदगाह के समीप ठेला लगाकर 10 वर्षो से गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद कुमार साह की आतंकवादियों ने हत्या (Arvind Kumar Sah killed by Terrorists) कर दी. जिसके बाद वहां रह रहे लोगों के मन में दहशत है. वहीं, बांका के पड़घड़ी गांव का जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) से पुराना नाता है. तकरीबन 20 वर्षों से यहां के 80 फीसदी घरों के 150 से 200 लोग वहां रोजी रोजगार करते हैं. अरविंद की हत्या के बाद वहां रह रहे लोग दहशत के कारण अपने आप को घरों में बंद कर लिया है. ज्यादातर लोग घर वापसी की जुगत में हैं और कुछ लोगों ने घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ ली है.

ये भी पढ़ें- बिहार के गोलगप्पे वाले की श्रीनगर में आतंकियों ने की हत्या, CM नीतीश ने की ₹2 लाख देने की घोषणा

बता दें की पड़घड़ी के तकरीबन 200 लोग जम्मू और कश्मीर रहते हैं. कश्मीर में पड़घड़ी गांव के महेंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके परिवार का 7 सदस्य जम्मू कश्मीर में रह रहे हैं. सभी वह हलवाई से लेकर खोमचा लगाने का काम करते हैं. अरविंद की हत्या के बाद से कश्मीर में रह रहे परिवार वालों से बातचीत हुई है. वहां सभी दहशत में है. हम लोगों ने सभी को घर आने के लिए कहा है. वहां के हालात अभी ठीक नहीं है इसलिए वहां रहना किसी भी कीमत पर उचित नहीं है.

वहीं, घनश्याम साह ने बताया कि उनका बेटा, बहू और उनके बच्चे सभी कश्मीर के पुलवामा में रहते हैं. पिछले कई वर्षों से वहीं रोजगार कर रहे हैं, लेकिन हालात ऐसे बन पड़े हैं कि घर से निकलना मुश्किल हो गया है. हमारी सरकार से मांग है कि सभी को सकुशल घर भेजने की व्यवस्था करें. उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है. इससे उनको परेशानी हो रही है.

देखें वीडियो

पड़घड़ी गांव के नीरज कुमार साह ने बताया कि उनके परिवार के 12 सदस्य जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में रहकर रोजगार करते हैं. जहां कुछ लोग ठेला लगाने का काम करते हैं और कुछ हलवाई का काम करते हैं. लेकिन जिस तरह से आधार कार्ड देखकर नॉन कश्मीरी अरविंद की हत्या के बाद सभी डर गए हैं. हमारे लोगों में दहशत का माहौल है. सभी लोग वहां से निकलने की तैयारी में हैं. हमारे गांव के 15 से 20 लोग घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ लिये हैं.

समाजसेवी ओम प्रकाश यादव ने मृतक के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि जिस प्रकार से जम्मू-कश्मीर में आधार कार्ड देखकर लोगों की हत्या की जा रही है, यह बहुत ही गंभीर मसला है. जम्मू और कश्मीर की सरकार और केंद्र सरकार की विधि व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहा है. सरकार मृतक के परिजनों को 40 लाख का अविलंब मुआवजा दे और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे.

ये भी पढ़ें- आतंकी हमले में मारे गए वीरेंद्र पासवान को नसीब नहीं हुई भागलपुर की मिट्टी, क्या यही है इंसाफ?

बांका: जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में ईदगाह के समीप ठेला लगाकर 10 वर्षो से गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद कुमार साह की आतंकवादियों ने हत्या (Arvind Kumar Sah killed by Terrorists) कर दी. जिसके बाद वहां रह रहे लोगों के मन में दहशत है. वहीं, बांका के पड़घड़ी गांव का जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) से पुराना नाता है. तकरीबन 20 वर्षों से यहां के 80 फीसदी घरों के 150 से 200 लोग वहां रोजी रोजगार करते हैं. अरविंद की हत्या के बाद वहां रह रहे लोग दहशत के कारण अपने आप को घरों में बंद कर लिया है. ज्यादातर लोग घर वापसी की जुगत में हैं और कुछ लोगों ने घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ ली है.

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बता दें की पड़घड़ी के तकरीबन 200 लोग जम्मू और कश्मीर रहते हैं. कश्मीर में पड़घड़ी गांव के महेंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके परिवार का 7 सदस्य जम्मू कश्मीर में रह रहे हैं. सभी वह हलवाई से लेकर खोमचा लगाने का काम करते हैं. अरविंद की हत्या के बाद से कश्मीर में रह रहे परिवार वालों से बातचीत हुई है. वहां सभी दहशत में है. हम लोगों ने सभी को घर आने के लिए कहा है. वहां के हालात अभी ठीक नहीं है इसलिए वहां रहना किसी भी कीमत पर उचित नहीं है.

वहीं, घनश्याम साह ने बताया कि उनका बेटा, बहू और उनके बच्चे सभी कश्मीर के पुलवामा में रहते हैं. पिछले कई वर्षों से वहीं रोजगार कर रहे हैं, लेकिन हालात ऐसे बन पड़े हैं कि घर से निकलना मुश्किल हो गया है. हमारी सरकार से मांग है कि सभी को सकुशल घर भेजने की व्यवस्था करें. उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है. इससे उनको परेशानी हो रही है.

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पड़घड़ी गांव के नीरज कुमार साह ने बताया कि उनके परिवार के 12 सदस्य जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में रहकर रोजगार करते हैं. जहां कुछ लोग ठेला लगाने का काम करते हैं और कुछ हलवाई का काम करते हैं. लेकिन जिस तरह से आधार कार्ड देखकर नॉन कश्मीरी अरविंद की हत्या के बाद सभी डर गए हैं. हमारे लोगों में दहशत का माहौल है. सभी लोग वहां से निकलने की तैयारी में हैं. हमारे गांव के 15 से 20 लोग घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ लिये हैं.

समाजसेवी ओम प्रकाश यादव ने मृतक के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि जिस प्रकार से जम्मू-कश्मीर में आधार कार्ड देखकर लोगों की हत्या की जा रही है, यह बहुत ही गंभीर मसला है. जम्मू और कश्मीर की सरकार और केंद्र सरकार की विधि व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहा है. सरकार मृतक के परिजनों को 40 लाख का अविलंब मुआवजा दे और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे.

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