बांका: जिले के चांदन प्रखंड के आदिवासी बहुल आमगाछी गांव में सरकारी उदासीनता अपने चरम पर है. हालात ऐसे है कि यहां आज तक कोई बच्चा स्कूल नहीं गया. इलाके में ना ही स्कूल है, ना सड़क, ना बिजली और ना ही पीने के पानी की व्यवस्था की गई है.
सूअर और बकरी पालन रोजगार का साधन
आमगाछी गांव में करीब 50 आदिवासी परिवार रहते हैं. सभी घरों में सूअर और बकरी पालन ही एकमात्र रोजगार का साधन है. कुछ परिवार जंगल से दतवन और पत्तल बना कर उसे शहरों में बेचकर अपना और परिवार का पेट पालते हैं. ग्रामीणों की मानें तो यहां स्कूल, आंगनवाड़ी, चिकित्सा, पानी की कोई सुविधा नहीं है. एक स्कूल इस गांव से 2 किलोमीटर दूर बाबूकुरा गांव में है,जहां तक जाने का पूरा रास्ता जंगली है. आंगनवाड़ी केंद्र 4 किलोमीटर पर है. इस गांव का कोई भी बच्चा कभी स्कूल नहीं गया.
किसी घर में शौचालय नहीं
इस गांव की हालत यह है कि यहां किसी घर में शौचालय नहीं है. गंदगी के अंबार के बीच सारा परिवार दिन-रात सूअर के घरों के पास ही रहता है. स्थानीय लोगों के अनुसार चुनाव के वक्त यहां सभी आते हैं लेकिन चुनाव के बाद गांव की सुध लेने वाला कोई नहीं होता. कई बार स्थानीय अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई.
![बांका](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/4526351_gramin.jpg)
मुखिया ने ग्रामीणों पर फोड़ा ठीकरा
सरकार की सारी घोषणा और योजना इस गांव के लिए बेकार है. मुखिया की ओर से भी उदासीन रवैया देखने को मिलता है. वे सारा ठीकरा गांव वालों पर फोड़ते नजर आते हैं. उनका कहना है कि मेरी सारी कोशिशें बेकार गयी. कई बार जाकर स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.