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यहां महिलाएं नहीं सिर्फ पुरुष करते हैं छठ की पूजा - Chhath Puja in Banka

लोगों का कहना है कि गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है. पुरुषों के छठ करने की यह परंपरा इनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है.

छठ व्रती
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Published : Nov 1, 2019, 10:20 AM IST

बांकाः जिले के कटोरिया प्रखंड अंतर्गत पिपराडीह एक ऐसा गांव है, जहां सिर्फ पुरुष वर्ग ही छठ व्रत करते हैं. ये लोग पूरी निष्ठा के साथ यह व्रत करते हैं. पुरुष वर्ग के छठ करने की परंपरा यहां सालों से चली आ रही है.

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पूजा करते छठव्रती

आज तक किसी महिला ने नहीं किया छठ
जिले से 4 किलोमीटर दूर बसे भोरसार के पिपराडीह गांव में आज तक किसी महिला ने छठ पर्व नहीं किया है. गांव के सभी परिवार में पुरुष ही छठ व्रत करते हैं. इस पंचायत में छठ व्रत करने वालों में पुरुषों की संख्या अधिक रहती है. इस पंचायत की आबादी 5000 से अधिक है, जिसमें पिपराडीह गांव की आबादी 1000 है. इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष छठ व्रत करते हैं. छठ व्रत करने वालों का कहना है कि इस गांव में कई पीढ़ियों से पुरुष ही छठ व्रत करते आ रहे हैं.

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छठ की पूजा करते छठव्रती

अपनी परंपरा का पालन कर रहे हैं पुरूष
लोगों का कहना है कि उसी परंपरा का पालन लोग आज भी कर रहे हैं. गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है. लगातार 20 वर्षों से व्रत करने वालों में सुबोध यादव, रमेश यादव, कृष्णा यादव, विक्रम, सुरेश ने बताया कि हम लोगों के पूर्वज ही छठ व्रत की परंपरा को संभालते थे. उसी का निर्वहन हम आज तक कर रहे हैं. जब तक इस गांव की आबादी रहेगी, तब तक पुरुष छठ व्रत करते रहेंगे.

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छठ सामग्रियों से सजा बाजार

बढ़ चढ़कर सहयोग करती हैं महिलाएं
महिलाएं काफी बढ़ चढ़कर इसमें सहयोग करती हैं. इतना ही नहीं दूसरे गांव की महिलाएं भी अब धीरे-धीरे छठ व्रत करने लगी हैं. लेकिन यहां अभी भी पुरुषों की संख्या ज्यादा है. पुरुषों के छठ करने की यह परंपरा इनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है. उसी का पालन करते हुए हर घर में एक पुरुष छठ पर्व करके काफी खुशी महसूस करते हैं. उनका मानना है कि इससे गांव का कल्याण होता है.

छठ पूजा करते छठव्रती

बांकाः जिले के कटोरिया प्रखंड अंतर्गत पिपराडीह एक ऐसा गांव है, जहां सिर्फ पुरुष वर्ग ही छठ व्रत करते हैं. ये लोग पूरी निष्ठा के साथ यह व्रत करते हैं. पुरुष वर्ग के छठ करने की परंपरा यहां सालों से चली आ रही है.

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पूजा करते छठव्रती

आज तक किसी महिला ने नहीं किया छठ
जिले से 4 किलोमीटर दूर बसे भोरसार के पिपराडीह गांव में आज तक किसी महिला ने छठ पर्व नहीं किया है. गांव के सभी परिवार में पुरुष ही छठ व्रत करते हैं. इस पंचायत में छठ व्रत करने वालों में पुरुषों की संख्या अधिक रहती है. इस पंचायत की आबादी 5000 से अधिक है, जिसमें पिपराडीह गांव की आबादी 1000 है. इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष छठ व्रत करते हैं. छठ व्रत करने वालों का कहना है कि इस गांव में कई पीढ़ियों से पुरुष ही छठ व्रत करते आ रहे हैं.

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छठ की पूजा करते छठव्रती

अपनी परंपरा का पालन कर रहे हैं पुरूष
लोगों का कहना है कि उसी परंपरा का पालन लोग आज भी कर रहे हैं. गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है. लगातार 20 वर्षों से व्रत करने वालों में सुबोध यादव, रमेश यादव, कृष्णा यादव, विक्रम, सुरेश ने बताया कि हम लोगों के पूर्वज ही छठ व्रत की परंपरा को संभालते थे. उसी का निर्वहन हम आज तक कर रहे हैं. जब तक इस गांव की आबादी रहेगी, तब तक पुरुष छठ व्रत करते रहेंगे.

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छठ सामग्रियों से सजा बाजार

बढ़ चढ़कर सहयोग करती हैं महिलाएं
महिलाएं काफी बढ़ चढ़कर इसमें सहयोग करती हैं. इतना ही नहीं दूसरे गांव की महिलाएं भी अब धीरे-धीरे छठ व्रत करने लगी हैं. लेकिन यहां अभी भी पुरुषों की संख्या ज्यादा है. पुरुषों के छठ करने की यह परंपरा इनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है. उसी का पालन करते हुए हर घर में एक पुरुष छठ पर्व करके काफी खुशी महसूस करते हैं. उनका मानना है कि इससे गांव का कल्याण होता है.

छठ पूजा करते छठव्रती
Intro:बांका जिले के कटोरिया प्रखंड अंतर्गत भोरसार पंचायत का पिपराडीह एक ऐसा गांव है।जहाँ सिर्फ पुरुष वर्ग ही छठ व्रत पूरे नेम निष्ठा के साथ करता है। यह छठ करने की परंपराआ पूर्वजो से चली आ रही है।
Body:बांका जिले के कांवरिया पथ पर इनारावरण से 4 किलोमीटर दूर बसे भोरसार का पिपराडीह गांव में आज तक किसी महिला ने छठ पर्व नहीं किया है। गांव के सभी परिवार में पुरुष ही छठ व्रत करते हैं। इस पंचायत में छठ व्रत करने वालों में पुरुषों की संख्या अधिक रहती है। इस पंचायत की आबादी 5000 से अधिक है जिसमें पिपराडीह गांव की आबादी 1000 की है। इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष छठ व्रत करते हैं। छठ व्रत करने वालों का मानना है कि इस गांव में कई पीढ़ियों से यह पुरुष वर्ग के लोग ही करते आ रहे हैं। और उसी परंपरा का पालन आज भी कर रहे हैं। गांव में छठ व्रत पुरुषों के करने पर ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है। लगातार 20 वर्षों से व्रत करने वालों में सुबोध यादव, रमेश यादव, कृष्णा यादव, विक्रम, सुरेश, इत्यादि ने बताया कि हम लोगों के पूर्वज ही छठ व्रत की परंपरा को संभालते थे। उसी का निर्वहन हम आज तक कर रहे हैं ।और जब तक इस गांव की आबादी रहेगी।। तब तक पुरुष छठ व्रत करते रहेंगे। जबकि अब कई गांव में महिलाएं भी काफी बढ़ चढ़कर इसमें सहयोग करती हैं। इतना ही नहीं दूसरे गांव की महिलाएं भी अब धीरे-धीरे छठ व्रत करने लगी हैं। पर यहां अभी भी पुरुषों की संख्या सर्वाधिक है।
Conclusion:पुरुष के छठ करने की यह परंपरा पूर्वजों से मानी जा रही है। और उसी का पालन करते हुए हर घरों में एक पुरुष इस छठ पर्व को कर ,कर काफी खुशी महसूस करते हैं। उनका मानना है कि इससे गांव का कल्याण होता है।
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