बांकाः जिले के ज्यादातर लोगों की जीविका खेती पर आधारित है. यहां की 80 फ़ीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है. ऐसे में कॉपरेटिव बैंक और पैक्स के बीच आपसी लड़ाई की वजह से किसानों को फसल की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. पैक्स की ओर से धान की अधिप्राप्ति नहीं करने पर किसान खुदरा व्यापारियों को कम दामों में फसल बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि सरकार ने साधारण धान 1835 और ग्रेड वन का 1865 रुपये समर्थन मूल्य घोषित किया है. इसके बावजूद किसानों को 1300 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचना पड़ रहा है.
इस बार मौसम नहीं रहा अनुकूल
मौसम अनुकूल नहीं रहने की वजह से इस बार खरीफ की फसल प्रभावित हुई है. इसके बावजूद किसानों ने कड़ी मेहनत और अधिक खर्च कर धान की फसल उपजाया. लेकिन कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की आपसी लड़ाई की वजह से किसान बिचौलियों के हाथों ओने पौने दाम पर धान बेचने को विवश हैं.
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पैक्स नहीं कर रहा धान की अधिप्राप्ति
दरअसल पैक्स को कॉपरेटिव बैंक में दिए जाने वाले सिसी ऋण पर ब्याज लेने का फरमान सुनाया गया था. पैक्स अध्यक्ष इसका विरोध कर रहे हैं. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि इससे पहले सिसी ऋण की कोई राशि नहीं ली गई है. जब तक कॉपरेटिव बैंक इस फरमान को वापस नहीं लेती है, तब तक धान की अधिप्राप्ति नहीं करेंगे.
कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में पिस रहे किसान
बहरहाल कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में किसान बुरी तरह से पिस रहे हैं. उनका कहना है कि पैक्स अध्यक्ष कहते हैं कि सरकार की नीति ने उलझा दिया है, इसलिए हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वो धान की फसल औने-पौने दाम पर खुदरा व्यापारी के यहां बेच रहे हैं. जिले में सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं, जिनके खलिहान पर अब भी धान का पुंज लगा हुआ है. उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से धान की तैयारी नहीं कर रहे हैं.