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पैक्स नहीं कर रहे धान की खरीद, किसान बिचौलियों के हाथों धान बेचने को मजबूर

पैक्स को कॉपरेटिव बैंक में दिए जाने वाले सिसी ऋण पर ब्याज लेने का फरमान सुनाया गया था. पैक्स अध्यक्ष इसका विरोध कर रहे हैं. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि इससे पहले सिसी ऋण की कोई राशि नहीं ली गई है. जब तक कॉपरेटिव बैंक इस फरमान को वापस नहीं लेती है, तब तक धान की अधिप्राप्ति नहीं करेंगे.

बांका
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Published : Jan 29, 2020, 9:59 AM IST

बांकाः जिले के ज्यादातर लोगों की जीविका खेती पर आधारित है. यहां की 80 फ़ीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है. ऐसे में कॉपरेटिव बैंक और पैक्स के बीच आपसी लड़ाई की वजह से किसानों को फसल की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. पैक्स की ओर से धान की अधिप्राप्ति नहीं करने पर किसान खुदरा व्यापारियों को कम दामों में फसल बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि सरकार ने साधारण धान 1835 और ग्रेड वन का 1865 रुपये समर्थन मूल्य घोषित किया है. इसके बावजूद किसानों को 1300 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचना पड़ रहा है.

इस बार मौसम नहीं रहा अनुकूल
मौसम अनुकूल नहीं रहने की वजह से इस बार खरीफ की फसल प्रभावित हुई है. इसके बावजूद किसानों ने कड़ी मेहनत और अधिक खर्च कर धान की फसल उपजाया. लेकिन कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की आपसी लड़ाई की वजह से किसान बिचौलियों के हाथों ओने पौने दाम पर धान बेचने को विवश हैं.

banka
किसान

पैक्स नहीं कर रहा धान की अधिप्राप्ति
दरअसल पैक्स को कॉपरेटिव बैंक में दिए जाने वाले सिसी ऋण पर ब्याज लेने का फरमान सुनाया गया था. पैक्स अध्यक्ष इसका विरोध कर रहे हैं. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि इससे पहले सिसी ऋण की कोई राशि नहीं ली गई है. जब तक कॉपरेटिव बैंक इस फरमान को वापस नहीं लेती है, तब तक धान की अधिप्राप्ति नहीं करेंगे.

देखें पूरी रिपोर्ट

कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में पिस रहे किसान
बहरहाल कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में किसान बुरी तरह से पिस रहे हैं. उनका कहना है कि पैक्स अध्यक्ष कहते हैं कि सरकार की नीति ने उलझा दिया है, इसलिए हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वो धान की फसल औने-पौने दाम पर खुदरा व्यापारी के यहां बेच रहे हैं. जिले में सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं, जिनके खलिहान पर अब भी धान का पुंज लगा हुआ है. उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से धान की तैयारी नहीं कर रहे हैं.

बांकाः जिले के ज्यादातर लोगों की जीविका खेती पर आधारित है. यहां की 80 फ़ीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है. ऐसे में कॉपरेटिव बैंक और पैक्स के बीच आपसी लड़ाई की वजह से किसानों को फसल की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. पैक्स की ओर से धान की अधिप्राप्ति नहीं करने पर किसान खुदरा व्यापारियों को कम दामों में फसल बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि सरकार ने साधारण धान 1835 और ग्रेड वन का 1865 रुपये समर्थन मूल्य घोषित किया है. इसके बावजूद किसानों को 1300 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचना पड़ रहा है.

इस बार मौसम नहीं रहा अनुकूल
मौसम अनुकूल नहीं रहने की वजह से इस बार खरीफ की फसल प्रभावित हुई है. इसके बावजूद किसानों ने कड़ी मेहनत और अधिक खर्च कर धान की फसल उपजाया. लेकिन कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की आपसी लड़ाई की वजह से किसान बिचौलियों के हाथों ओने पौने दाम पर धान बेचने को विवश हैं.

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किसान

पैक्स नहीं कर रहा धान की अधिप्राप्ति
दरअसल पैक्स को कॉपरेटिव बैंक में दिए जाने वाले सिसी ऋण पर ब्याज लेने का फरमान सुनाया गया था. पैक्स अध्यक्ष इसका विरोध कर रहे हैं. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि इससे पहले सिसी ऋण की कोई राशि नहीं ली गई है. जब तक कॉपरेटिव बैंक इस फरमान को वापस नहीं लेती है, तब तक धान की अधिप्राप्ति नहीं करेंगे.

देखें पूरी रिपोर्ट

कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में पिस रहे किसान
बहरहाल कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में किसान बुरी तरह से पिस रहे हैं. उनका कहना है कि पैक्स अध्यक्ष कहते हैं कि सरकार की नीति ने उलझा दिया है, इसलिए हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा कि अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वो धान की फसल औने-पौने दाम पर खुदरा व्यापारी के यहां बेच रहे हैं. जिले में सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं, जिनके खलिहान पर अब भी धान का पुंज लगा हुआ है. उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से धान की तैयारी नहीं कर रहे हैं.

Intro:कॉपरेटिव बैंक और पैक्स के बीच आपसी लड़ाई की वजह से जिले के किसान पीस रहे है। किसान को फसल का वाजिब कीमत नहीं मिल पा रहा है। एक्स वाला धान अधिप्राप्ति नहीं किया कि जाने की वजह से किसान खुदरा व्यापारियों के पास ओने पौने दाम में धान बेचने को विवश हो रहे हैं।


Body:- जिले की 80 फ़ीसदी आबादी कृषि पर निर्भर

- कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई के बीच किस रहे किसान

- किसानों को नहीं मिल पा रहा है फसल की वाजिब कीमत

- औने पौने दाम पर किसान धान बेचने को है विवश

- मौसम अनुकूल नहीं रहने से किसानों को खर्च करने पड़े अधिक राशि

- पैक्स नहीं कर रहे हैं धान की अधिप्राप्ति


बांका। जिले की आजीविका खेती पर आधारित है। यहां की 80 फ़ीसदी आबादी कृषि पर ही निर्भर है। सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए लगातार प्रयासरत है। फिर भी किसानों को फसल का वाजिब कीमत नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने साधारण धान 1835 और ग्रेड वन 1865 रुपये समर्थन मूल्य घोषित किया है। इसके बावजूद किसानों को 1300 रुपए प्रति क्विंटल धान बेचना पड़ रहा है।


इस बार मौसम नहीं रहा अनुकूल
मौसम अनुकूल नहीं रहने की वजह से इस बार खरीफ की फसल प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद किसानों ने कड़ी मेहनत और अधिक खर्च कर धान की फसल तो उपजा लिया। लेकिन कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की आपसी लड़ाई की वजह से किसान बिचौलियों के हाथों ओने पौने दाम पर धान बेचने को विवश है।

पैक्स नहीं करें धान की अधिप्राप्ति
दरअसल कॉपरेटिव बैंक में पैक्स को दिए जाने वाले सिसी ऋण पर ब्याज लेने का फरमान सुनाया था। पैक्स अध्यक्ष इसका विरोध कर रहे हैं। पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि इससे पहले शिशिर इन पर कभी भी कोई राशि नहीं ली गई है जब तक कॉपरेटिव बैंक इस फरमान को वापस नहीं लेती है तो धान की अधिप्राप्ति नहीं करेंगे।

कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में पीस रहे किसान
बहरहाल कॉपरेटिव बैंक और पैक्स की लड़ाई में किसान बुरी तरह से पीस रहे हैं। किसान अरविंद शर्मा ने बताया कि पैक्स अध्यक्ष कहते हैं कि सरकार की नीति ने उलझा दिया है। इसलिए हड़ताल पर हैं। अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए खलिहान पर धान की तैयारी कर औने पौने दाम पर खुदरा व्यापारी के यहां मजबूरन धान बेच रहे है। जिले में सैकड़ों किसान अभी ऐसे हैं जिनके खलिहान पर अब भी धान का पुंज लगा हुआ है। उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से धान की तैयारी नहीं कर रहे हैं।


Conclusion:किसान रामबालक शर्मा ने बताया कि पैक्स और कॉपरेटिव बैंक की चक्की में किसान पीसे जा रहे हैं। इस बार प्रकृति भी अनुकूल नहीं रही। काफी मेहनत और खर्च कर फसल पैदा किया है। सरकारी दर किसानों को नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। बच्चों को पढ़ाने, बीमारी सहित घर खर्च के लिए पैसे की जरूरत रोजाना होती है। इसलिए मजबूरन औने पौने भाव में खुदरा व्यापारी को बेचना पड़ रहा है। सरकार सुशासन की दवा करती है और अपने आप को किसान हितैषी बताता है। सवाल यह उठता है कि सरकार और पैक्स की चक्की में किसान क्यों पीसे।

बाईट- अरविंद शर्मा, किसान
बाईट- रामबालक शर्मा, किसान
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