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समेकित कृषि प्रणाली को अपनाकर लाखों रुपए कमाते हैं बांका के प्रदीप, किसानों के लिए बने प्रेरणा

वर्तमान समय में सीमित भूमि और अन्य प्राकृतिक संसाधन को देखते हुए समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपनाकर किसान अधिक से अधिक आमदनी पा सकते हैं. कटोरिया के रहने वाले प्रदीप कुमार गुप्ता इस विधि से खेती कर सालाना 15 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं. साथ ही रोजाना 25-30 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.

समेकित कृषि प्रणाली
समेकित कृषि प्रणाली
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Published : Sep 11, 2021, 4:11 PM IST

बांका: पारंपरिक खेती (Traditional Farming) से इतर किसान अब जैविक पद्धति का समावेश कर समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपना रहे हैं. बांका (Banka) जिले के बंजर इलाकों में शुमार कटोरिया प्रखंड के कटोरिया पंचायत के निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार गुप्ता भी उन किसानों में शामिल हैं, जो समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर न सिर्फ सलाना 15 लाख से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि आसपास के लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Banka News: हरियाली को लेकर वन विभाग की पहल, सस्ते दर पर किसानों को दे रहे पौधे

प्रदीप कुमार गुप्ता ने अपने 20 एकड़ के खेत में समेकित कृषि प्रणाली में जैविक तरीके को अपनाते हैं. उन्होंने अपने फॉर्म हाउस में महंगी लकड़ी के पौधों के साथ-साथ आम, अमरूद, पपीता नारियल सहित औषधीय और मसाले का पौधे भी लगाए हुए हैं. इसके साथ ही पशुपालन (Animal Husbandry), मुर्गी पालन (Poultry), बत्तख पालन (Duck Farming), मधुमक्खी पालन (Bee keeping) और मशरूम की खेती भी करते हैं.

देखें रिपोर्ट

कटोरिया के निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने साल 1988 में आम का बगीचा लगाकर इसकी शुरुआत की थी. इसके बाद धीरे-धीरे महोगनी, शीशम, सागवान सहित महंगे लकड़ी के पौधे भी लगाए. धीरे-धीरे हौसला बढ़ता गया और उसके बाद समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर जैविक पद्धति से खेती करने के साथ पशुपालन को भी अपनाया.

प्रदीप कहते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली से मुनाफा तो हो ही रहा है, इसके साथ-साथ जल जीवन हरियाली के थीम पर पानी की एक-एक बूंद की बचत के लिए भी उपाय किया गया है. ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) के साथ-साथ मत्स्य पालन की शुरुआत की. गाय के गोबर का सदुपयोग करने के लिए वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. साथ ही बचा अवशेष सीधे तालाब में चला जाए और मछली को चारा मिल जाए, इसकी भी व्यवस्था की गई है.

प्रदीप कहते हैं कि हाल ही में पपीता और नारियल 800 से अधिक पौधे लगाए गए हैं. रोजगार को लेकर मारामारी चल रही है, लेकिन इस फार्म हाउस में रोजाना 25 से 30 लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है. समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर सालाना 15 लाख से अधिक की बचत हो रही है. साथ ही आसपास के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं और इससे जुड़ भी रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कैसे घटेगी बेरोजगारी? उद्यमी योजना के तहत युवाओं को नहीं मिल रहा प्रशिक्षण

वहीं, स्थानीय दीपक चौधरी ने बताया कि निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार गुप्ता अपनी जमीन के हिस्से का बेहतर प्रबंधन कर बढ़िया सदुपयोग किया है. यहां आम के बगीचे के साथ-साथ पशुपालन से लेकर मधुमक्खी पालन तक हो रहा है और मशरूम उत्पादन भी हो रहा है. इससे सालाना अच्छी खासी आमदनी भी हो जा रही है. वे कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार भी लगातार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए योजनाएं चला रही है, अब यह समय की मांग है समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते है.

बांका: पारंपरिक खेती (Traditional Farming) से इतर किसान अब जैविक पद्धति का समावेश कर समेकित कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) को अपना रहे हैं. बांका (Banka) जिले के बंजर इलाकों में शुमार कटोरिया प्रखंड के कटोरिया पंचायत के निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार गुप्ता भी उन किसानों में शामिल हैं, जो समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर न सिर्फ सलाना 15 लाख से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि आसपास के लोगों को प्रेरित भी कर रहे हैं.

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प्रदीप कुमार गुप्ता ने अपने 20 एकड़ के खेत में समेकित कृषि प्रणाली में जैविक तरीके को अपनाते हैं. उन्होंने अपने फॉर्म हाउस में महंगी लकड़ी के पौधों के साथ-साथ आम, अमरूद, पपीता नारियल सहित औषधीय और मसाले का पौधे भी लगाए हुए हैं. इसके साथ ही पशुपालन (Animal Husbandry), मुर्गी पालन (Poultry), बत्तख पालन (Duck Farming), मधुमक्खी पालन (Bee keeping) और मशरूम की खेती भी करते हैं.

देखें रिपोर्ट

कटोरिया के निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने साल 1988 में आम का बगीचा लगाकर इसकी शुरुआत की थी. इसके बाद धीरे-धीरे महोगनी, शीशम, सागवान सहित महंगे लकड़ी के पौधे भी लगाए. धीरे-धीरे हौसला बढ़ता गया और उसके बाद समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर जैविक पद्धति से खेती करने के साथ पशुपालन को भी अपनाया.

प्रदीप कहते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली से मुनाफा तो हो ही रहा है, इसके साथ-साथ जल जीवन हरियाली के थीम पर पानी की एक-एक बूंद की बचत के लिए भी उपाय किया गया है. ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) के साथ-साथ मत्स्य पालन की शुरुआत की. गाय के गोबर का सदुपयोग करने के लिए वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. साथ ही बचा अवशेष सीधे तालाब में चला जाए और मछली को चारा मिल जाए, इसकी भी व्यवस्था की गई है.

प्रदीप कहते हैं कि हाल ही में पपीता और नारियल 800 से अधिक पौधे लगाए गए हैं. रोजगार को लेकर मारामारी चल रही है, लेकिन इस फार्म हाउस में रोजाना 25 से 30 लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया जा रहा है. समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर सालाना 15 लाख से अधिक की बचत हो रही है. साथ ही आसपास के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं और इससे जुड़ भी रहे हैं.

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वहीं, स्थानीय दीपक चौधरी ने बताया कि निवर्तमान मुखिया प्रदीप कुमार गुप्ता अपनी जमीन के हिस्से का बेहतर प्रबंधन कर बढ़िया सदुपयोग किया है. यहां आम के बगीचे के साथ-साथ पशुपालन से लेकर मधुमक्खी पालन तक हो रहा है और मशरूम उत्पादन भी हो रहा है. इससे सालाना अच्छी खासी आमदनी भी हो जा रही है. वे कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार भी लगातार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए योजनाएं चला रही है, अब यह समय की मांग है समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते है.

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