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बांका: धान की फसल में लगने वाली बीमारी से किसान परेशान, कई गांव प्रभावित - धान के फसल बर्बाद

बांका में धान की फसल में लगने वाली बीमारी से किसान काफी परेशान हैं. अनेक पंचायतों में 500 एकड़ से अधिक की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है.

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धान की फसल में बीमारी
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Published : Nov 1, 2020, 4:24 PM IST

बांका: चांदन प्रखंड में इन दिनों धान में होने वाली भिनभिनिया नाम की बीमारी से किसान बुरी तरह प्रभावित हैं. इस बीमारी से धान की फसल पूरी तरह लगातार बर्बाद हो रही हैं. चांदन, बिरनिया, सिलजोरी, गौरीपुर, कोरिया सहित अनेक पंचायतों में 500 एकड़ से अधिक की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. किसानों की मानें तो, यह बीमारी किसी खेत के एक जगह पर शुरू होते ही रात भर में पूरे खेत को पूरी तरह जला देती है. सभी फसल की जड़ कमजोर होने से वह जमीन पर गिर जाती है.

कई गांव हैं प्रभावित
देखते ही देखते पूरे खेत की फसल के साथ लगातार दूसरे खेत में भी यह बीमारी फैल जाती है. इस बीमारी से लगे पुआल से जो बदबू आती है, वह काफी खराब होती है. जिस कारण जानवर भी इसे नहीं खा सकते हैं. प्रखंड मुख्यालय के सिलजोरी, पैलवा, भनरा, कसई, बियाही, गोपडीह, कदरसा, गोविंदपुर, डूमरथर, पलार, भेलगरो सहित कई गांव में अच्छी फसल होने के बाबजूद इस बीमारी ने किसानों की कमर तोड़ दी है.

किसानों को हो रही परेशानी
कुछ जगहों पर तो किसान फसल को इस बीमारी से बचाने के लिए हरे फसल की ही कटाई कर रहे हैं. किसान सीताराम यादव, बंशी यादव, वकील यादव, बासुकीनाथ दुबे और महेंद्र राय ने बताया कि अच्छी पैदावार होने से किसान काफी खुश थे. लेकिन इस बीमारी से हमलोगों की परेशानी बढ़ गई है. पूरा का पूरा खेत रातों-रात बर्बाद हो रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी
कृषि समन्वयक अशोक कुमार राय ने कहा कि इस बीमारी को ग्रामीण भाषा में भिनभिनिया कहा जाता है. जबकि इसका नाम ब्रॉउन प्लांट हॉपर (बीपीएच) है. यह दुर्गा पूजा और दीपावली के बीच मुख्य रूप से धान में लगता है. इसकी दवा प्रोफेनोफोस वन एमएल के साथ साइपर मेथ्रिन वन एमएल मिलाकर स्प्रे करने पर तुरंत रोक लग सकती है.

इस दवा का स्प्रे धान की बाली पर नहीं बल्कि बाली और जड़ के बीच वाले भाग में नॉजल रखकर स्प्रे करना पड़ता है. जो इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा और सस्ता उपाय है.

बांका: चांदन प्रखंड में इन दिनों धान में होने वाली भिनभिनिया नाम की बीमारी से किसान बुरी तरह प्रभावित हैं. इस बीमारी से धान की फसल पूरी तरह लगातार बर्बाद हो रही हैं. चांदन, बिरनिया, सिलजोरी, गौरीपुर, कोरिया सहित अनेक पंचायतों में 500 एकड़ से अधिक की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. किसानों की मानें तो, यह बीमारी किसी खेत के एक जगह पर शुरू होते ही रात भर में पूरे खेत को पूरी तरह जला देती है. सभी फसल की जड़ कमजोर होने से वह जमीन पर गिर जाती है.

कई गांव हैं प्रभावित
देखते ही देखते पूरे खेत की फसल के साथ लगातार दूसरे खेत में भी यह बीमारी फैल जाती है. इस बीमारी से लगे पुआल से जो बदबू आती है, वह काफी खराब होती है. जिस कारण जानवर भी इसे नहीं खा सकते हैं. प्रखंड मुख्यालय के सिलजोरी, पैलवा, भनरा, कसई, बियाही, गोपडीह, कदरसा, गोविंदपुर, डूमरथर, पलार, भेलगरो सहित कई गांव में अच्छी फसल होने के बाबजूद इस बीमारी ने किसानों की कमर तोड़ दी है.

किसानों को हो रही परेशानी
कुछ जगहों पर तो किसान फसल को इस बीमारी से बचाने के लिए हरे फसल की ही कटाई कर रहे हैं. किसान सीताराम यादव, बंशी यादव, वकील यादव, बासुकीनाथ दुबे और महेंद्र राय ने बताया कि अच्छी पैदावार होने से किसान काफी खुश थे. लेकिन इस बीमारी से हमलोगों की परेशानी बढ़ गई है. पूरा का पूरा खेत रातों-रात बर्बाद हो रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी
कृषि समन्वयक अशोक कुमार राय ने कहा कि इस बीमारी को ग्रामीण भाषा में भिनभिनिया कहा जाता है. जबकि इसका नाम ब्रॉउन प्लांट हॉपर (बीपीएच) है. यह दुर्गा पूजा और दीपावली के बीच मुख्य रूप से धान में लगता है. इसकी दवा प्रोफेनोफोस वन एमएल के साथ साइपर मेथ्रिन वन एमएल मिलाकर स्प्रे करने पर तुरंत रोक लग सकती है.

इस दवा का स्प्रे धान की बाली पर नहीं बल्कि बाली और जड़ के बीच वाले भाग में नॉजल रखकर स्प्रे करना पड़ता है. जो इस बीमारी से बचाव का सबसे अच्छा और सस्ता उपाय है.

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