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बांका: लॉकडाउन के दौरान दैनिक मजदूरों को काम का इंतजार, भुखमरी की आई नौबत - migrant laborer

लॉकडाउन के दौरान दैनिक मजदूरों के लिए खाने की समस्य उत्पन्न हो गई है. दो महीनों से काम का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इस दौरान उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा है.

दैनिक मजदूर
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Published : May 20, 2020, 12:15 PM IST

Updated : May 20, 2020, 3:45 PM IST

बांका: कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में महीनों से लॉकडाउन है. इसने गरीबों और दैनिक मजदूरों की सबसे अधिक परेशानी बढ़ाई है. जिले में दर्जनों दैनिक मजदूर प्रतिदिन डीएम आवास चौक के पास काम मिलने की उम्मीद में खड़े होते हैं. लेकिन घंटों खड़े रहने के बाद भी उनको मायूसी ही हाथ लगती है. ऐसा वे पिछले 2 महीने से कर रहे हैं. उनको काम नहीं मिलने से भुखमरी की नौबत आ गई है.

जिले में 15 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर पहुंच चुके हैं. सभी प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है. लेकिन स्थानीय मजदूरों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है. स्थानीय मजदूर कन्हैया कुमार यादव ने बताया कि पिछले दो महीनों से लॉकडाउन की वजह से काम बंद है. कोर्ट परिसर में काम करते थे, वहां भी काम बंद करा दिया गया है. अब भूखे मरने की स्थिति आ गई है. इस हालात में परिवार चालाना मुश्किल हो रहा है. हम लोग को सरकारी स्तर पर भी किसी योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है.

पेश है रिपोर्ट

'कोई सरकारी मदद नहीं'
दैनिक मजदूरी करने वाले स्थानीय मो.जहांगीर अंसारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन डीएम आवास चौक पर पर सुबह से शाम तक मजदूर खड़े रहते हैं. लेकिन काम नहीं मिलता है. लॉकडाउन से जीना मुश्किल हो गया है. इस दौरान लोगों ने काम करवाना भी बंद कर दिया है. खाने के लिए भी अब पैसा नहीं बचा है. किसी भी तरह की सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है.

बांका: कोरोना महामारी को लेकर पूरे देश में महीनों से लॉकडाउन है. इसने गरीबों और दैनिक मजदूरों की सबसे अधिक परेशानी बढ़ाई है. जिले में दर्जनों दैनिक मजदूर प्रतिदिन डीएम आवास चौक के पास काम मिलने की उम्मीद में खड़े होते हैं. लेकिन घंटों खड़े रहने के बाद भी उनको मायूसी ही हाथ लगती है. ऐसा वे पिछले 2 महीने से कर रहे हैं. उनको काम नहीं मिलने से भुखमरी की नौबत आ गई है.

जिले में 15 हजार से अधिक प्रवासी मजदूर पहुंच चुके हैं. सभी प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है. लेकिन स्थानीय मजदूरों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया है. स्थानीय मजदूर कन्हैया कुमार यादव ने बताया कि पिछले दो महीनों से लॉकडाउन की वजह से काम बंद है. कोर्ट परिसर में काम करते थे, वहां भी काम बंद करा दिया गया है. अब भूखे मरने की स्थिति आ गई है. इस हालात में परिवार चालाना मुश्किल हो रहा है. हम लोग को सरकारी स्तर पर भी किसी योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है.

पेश है रिपोर्ट

'कोई सरकारी मदद नहीं'
दैनिक मजदूरी करने वाले स्थानीय मो.जहांगीर अंसारी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन डीएम आवास चौक पर पर सुबह से शाम तक मजदूर खड़े रहते हैं. लेकिन काम नहीं मिलता है. लॉकडाउन से जीना मुश्किल हो गया है. इस दौरान लोगों ने काम करवाना भी बंद कर दिया है. खाने के लिए भी अब पैसा नहीं बचा है. किसी भी तरह की सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है.

Last Updated : May 20, 2020, 3:45 PM IST
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