बांका: बिहार के बांका जिले में एक बार फिर से बंदर का आतंक बढ़ गया है. अभी कुछ दिन पहले ही जिले के अमरपुर में बंदर ने एक बच्चा सहित तीन लोगों पर हमला कर दिया था. जहां से गंभीर रूप से घायल को भागलपुर रेफर कर दिया गया है. वहीं, इस बार जिले के कामदेवपुर सहित आसपास के गांवों में बंदर के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.
एक को भागलपुर रेफर किया: दरअसल, बंदर ने कामदेवपुर निवासी किरण हरिजन, सिंटू दास और उसकी पुत्री सोनाक्षी कुमारी (6 वर्ष) पर हमला कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया. बाद में परिजनों द्वारा तीनों जख्मी को प्राथमिक उपचार के लिए रेफरल अस्पताल लाया गया. वहीं, जख्मी सोनाक्षी कुमारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए भागलपुर रेफर कर दिया गया. इधर, घटना को लेकर सिंटू दास ने बताया कि वह घर के समीप खेत में मकई तोड़ रहे थे. उसकी पुत्री सोनाक्षी कुमारी भी साथ थी. इसी दौरान बंदर ने हमला कर दोनों को जख्मी कर दिया. जबकि किरण हरिजन अपने दरवाजे पर बैठा था. बंदर ने उसपर भी हमलाकर कर दिया.
"पिछले दो माह से बंदर ने कामदेवपुर, हेमराजपुर, कहारटोला सहित आसपास के टोला में लगभग तीन दर्जन से अधिक लोगों पर हमला कर जख्मी कर दिया गया है. इसके अलावा आधा दर्जन बकरी को भी जख्मी कर दिया है, इसमें तीन बकरी की मौत भी हो चुकी है. कटखने बंदर का खौफ इस कदर है कि गांव में दिन में भी कर्फ्यू सा नजारा लगा हुआ है. बंदर के भय से लोग घर से बाहर निकलने में परहेज कर रहे हैं. यहां तक कि बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भी नहीं भेज रहे हैं." - सिंटू दास, घायल
36 से अधिक लोगों पर कर चुका है हमला: उन्होंने बताया कि एक महीने पहले ही बंदर ने राजा मिश्र, संतोष पंडित, हुरो हरिजन, मनोज मिश्र, अजयकांत मिश्र, फोटारी मिश्र सहित अन्य लोगों पर हमलाकर जख्मी कर दिया था. वहीं, बंदर के आतंक को लेकर सरपंच औंकार मिश्र ने इसकी सुचना वन विभाग को दिया था. जिसपर वन विभाग की सुप्रिया कुमारी गांव पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी ली. इसके बाद वन विभाग एवं भागलपुर के वाइल्ड लाइफ रिसर्च टीम गांव पहुंच कर एक बंदर को ट्रैंक्यूलाइज कर रेस्क्यू कर अपने साथ लेकर चली गई.
तीन बंदर अभी भी घूम रहे: इधर, ग्रामीण सुशांत मिश्र, संजीव मिश्रा आदि ग्रामीणों ने बताया कि झुंड के चार बंदर ही लोगों पर हमला कर रहा है. जिसमें एक बंदर को रेस्क्यू कर वन विभाग ने अपने साथ लेकर चली गई है. लेकिन तीन बंदर अभी भी घूम रहे हैं. बंदर के आतंक से बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहा है. गांव के लोग भय के कारण बहियार भी समूह में आते-जाते हैं.
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