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गरीबी ऐसी भी! जुड़वा बच्ची का जन्म लेते ही दाई को सौंपा

गरीबी और लॉक डाउन की मार ने मां यशोदा और पिता सचिन यादव की ममता को नवजात जुड़वां बच्चे से मुंह मोड़ने के लिए विवश कर दिया. जिससे नवजात को जन्म देने के बाद ही बिना एक घूंट दूध पिलाए मां ने बच्चे को प्रसव कराने वाली दाई को सौंप दिया.

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Published : May 7, 2020, 12:44 PM IST

Updated : May 7, 2020, 5:33 PM IST

बांकाः जिले में गरीबी और बेबसी की मार झेल रहे एक दंपति का मामला प्रकाश में आया है. जहां एक दंपति ने प्रसव के कुछ देर बाद ही दो नवजात बच्चियों को प्रसव कराने वाली दाई के को सौंप दी. मामला चांदन प्रखंड के नक्सल प्रभावित गांव गौरा मंझलीडीह की है.

गरीबी और बेबसी की मार झेल रहे एक दंपति ने बच्चों को सौंपा दाई को
बताया जाता है गरीबी और लॉक डाउन की मार ने मां यशोदा और पिता सचिन यादव की ममता को नवजात जुड़वां बच्चे से मुंह मोड़ने के लिए विवश कर दिया. जिससे नवजात को जन्म देने के बाद ही बिना एक घूंट दूध पिलाए मां ने बच्चे को प्रसव कराने वाली दाई को सौंप दिया. वहीं, चाइल्डलाइन के हस्तक्षेप और सहयोग के आश्वासन के बाद पुनः दंपति की ओर से नवजात को अपना लिया.

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जुड़वा बच्ची का पिता

पुत्र के आश में फिर से हुई दो जुड़वां बेटियां
सचिन और यशोदा को पहले से तीन पुत्रियां हैं. इसी बीच यशोदा ने 3 मई को दो और जुड़वा बच्ची को जन्म दिया, तो मानो दंपति के ऊपर पहाड़ टूट गया. प्रसव घर में ही गांव की दाई ने कराया था. गरीबी और पहले से ही 3 बच्चों के बोझ से कराह रहे दंपति ने तत्काल ही दोनों नवजात को दाई के हवाले कर दिया.

देखें पूरी रिपोर्ट

मजदूरी के भरोसे ही होता था परिवार का भरण पोषण
5 पुत्रियों के पिता सचिन ने बताया कि मजदूरी के भरोसे ही परिवार का भरण पोषण होता था. लेकिन लॉक डाउन के चलते अब पेट भरना भी मुश्किल हो गया है. आगे बताया कि हमारा कोई सहारा नहीं है. भुखमरी की समस्या आने से ही बच्चों को दाई को सौंपने का हमने निर्णय लिया. वहीं, सचिन की पत्नी यशोदा ने बताया कि पहले से ही 3 बच्ची के बाद लड़के होने के आश में फिर से जुड़वा बच्ची के जन्म लेने के बाद बहुत परेशान हो गए थे. उनका कहना है कि केवल पति मजदूरी कर घर का खर्च चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते कोई काम नहीं मिलने से खाने पर भी आफत आ गई है.

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चाइल्ड लाइन के निदेशक चिरंजीवी सिंह

समझाने के बाद बच्ची को दंपति ने अपनाया
चाइल्ड लाइन के निदेशक चिरंजीवी सिंह ने बताया कि जैसे ही मामले की सूचना मिली, तुरंत दंपति के पास पहुंचकर समझाया और सहायता का आश्वासन दिया. आनंदपुर ओपी के पुलिस जवानों ने भी आश्वासन देते हुए दंपति को समझा-बुझाकर बच्चे को पुनः अपनाने के लिए राजी किया. सामाजिक स्तर पर मदद भी मुहैया करवाया.

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जुड़वा बच्ची की मां

हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन
इधर चांदन प्रखंड के बीडीओ दुर्गाशंकर से बात करने की कोशिश की गई. लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. उन्होंने फोन पर ही परिवार को हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया. उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर पर पता करा कर वरीयता सूची के आधार पर प्रधानमंत्री आवास और राशन कार्ड बनवाने के साथ अन्य कल्याणकारी योजना का लाभ दिया जाएगा.

बांकाः जिले में गरीबी और बेबसी की मार झेल रहे एक दंपति का मामला प्रकाश में आया है. जहां एक दंपति ने प्रसव के कुछ देर बाद ही दो नवजात बच्चियों को प्रसव कराने वाली दाई के को सौंप दी. मामला चांदन प्रखंड के नक्सल प्रभावित गांव गौरा मंझलीडीह की है.

गरीबी और बेबसी की मार झेल रहे एक दंपति ने बच्चों को सौंपा दाई को
बताया जाता है गरीबी और लॉक डाउन की मार ने मां यशोदा और पिता सचिन यादव की ममता को नवजात जुड़वां बच्चे से मुंह मोड़ने के लिए विवश कर दिया. जिससे नवजात को जन्म देने के बाद ही बिना एक घूंट दूध पिलाए मां ने बच्चे को प्रसव कराने वाली दाई को सौंप दिया. वहीं, चाइल्डलाइन के हस्तक्षेप और सहयोग के आश्वासन के बाद पुनः दंपति की ओर से नवजात को अपना लिया.

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जुड़वा बच्ची का पिता

पुत्र के आश में फिर से हुई दो जुड़वां बेटियां
सचिन और यशोदा को पहले से तीन पुत्रियां हैं. इसी बीच यशोदा ने 3 मई को दो और जुड़वा बच्ची को जन्म दिया, तो मानो दंपति के ऊपर पहाड़ टूट गया. प्रसव घर में ही गांव की दाई ने कराया था. गरीबी और पहले से ही 3 बच्चों के बोझ से कराह रहे दंपति ने तत्काल ही दोनों नवजात को दाई के हवाले कर दिया.

देखें पूरी रिपोर्ट

मजदूरी के भरोसे ही होता था परिवार का भरण पोषण
5 पुत्रियों के पिता सचिन ने बताया कि मजदूरी के भरोसे ही परिवार का भरण पोषण होता था. लेकिन लॉक डाउन के चलते अब पेट भरना भी मुश्किल हो गया है. आगे बताया कि हमारा कोई सहारा नहीं है. भुखमरी की समस्या आने से ही बच्चों को दाई को सौंपने का हमने निर्णय लिया. वहीं, सचिन की पत्नी यशोदा ने बताया कि पहले से ही 3 बच्ची के बाद लड़के होने के आश में फिर से जुड़वा बच्ची के जन्म लेने के बाद बहुत परेशान हो गए थे. उनका कहना है कि केवल पति मजदूरी कर घर का खर्च चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन के चलते कोई काम नहीं मिलने से खाने पर भी आफत आ गई है.

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चाइल्ड लाइन के निदेशक चिरंजीवी सिंह

समझाने के बाद बच्ची को दंपति ने अपनाया
चाइल्ड लाइन के निदेशक चिरंजीवी सिंह ने बताया कि जैसे ही मामले की सूचना मिली, तुरंत दंपति के पास पहुंचकर समझाया और सहायता का आश्वासन दिया. आनंदपुर ओपी के पुलिस जवानों ने भी आश्वासन देते हुए दंपति को समझा-बुझाकर बच्चे को पुनः अपनाने के लिए राजी किया. सामाजिक स्तर पर मदद भी मुहैया करवाया.

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जुड़वा बच्ची की मां

हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन
इधर चांदन प्रखंड के बीडीओ दुर्गाशंकर से बात करने की कोशिश की गई. लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई. उन्होंने फोन पर ही परिवार को हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन दिया. उन्होंने बताया कि पंचायत स्तर पर पता करा कर वरीयता सूची के आधार पर प्रधानमंत्री आवास और राशन कार्ड बनवाने के साथ अन्य कल्याणकारी योजना का लाभ दिया जाएगा.

Last Updated : May 7, 2020, 5:33 PM IST
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