बांका: बौंसी वासियों को पिछले 25 वर्षों से सुखनिया पंप से पेयजल नहीं मिल रहा है. इस कारण बौंसी वासी 15 से 20 रुपये में पानी खरीदकर पीने को विवश हैं. इस पंप को पुनर्जीवित करने के लिए टेंडर भी निकाला गया है, लेकिन आज तक कार्य पूरा नहीं किया जा सका है.
बाढ़ में टूटा सुखनिया पंप
दरअसल, 1995 में आई बाढ़ के बाद सुखनिया पंप पूरी तरह से बर्बाद हो गया. बाढ़ की चपेट में आने की वजह से पाइपलाइन भी उखड़ गया था. तभी से बौंसी वासी गंभीर पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. गंदा पानी पीने के कारण लोग बीमार पड़ने लगे हैं. लेकिन प्रशासन के तरफ से अभी तक उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं प्रदान की गई है.
पानी खरीद कर पीने को मजबूर लोग
बौंसी वासी लगातार पेयजल मुहैया कराने का मांग करते रहे हैं. लेकिन 25 वर्ष बाद भी बौंसी वासियों को 15 से 20 रुपए में पानी खरीद कर ही पीना पड़ रहा है. हरिनारायण सिंह और शंकर मित्रा के अनुसार 6 करोड़ से सुखनिया पंप को पुनर्जीवित करने टेंडर निकाला गया था. लेकिन इसके बावजूद भी काम पूरा नहीं हो सका. स्थानीय लोगों ने बताया कि संवेदक काम करने के लिए आया भी था, लेकिन एक बार जो सामान गिराया उसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई. बौंसी में सड़क निर्माण के क्रम में पथ निर्माण विभाग द्वारा पाइप निकाल दिया गया.
कार्य मे संवेदक दिखा रहे हैं सुस्ती
पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता डेविड कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि सुखनिया पंप को पुनर्जीवित करने के लिए 6 करोड़ का टेंडर हुआ है. नदी में इंटेक वेल बनाकर लोगों को पेयजल मुहैया कराया जाना है. इस मामले में संवेदक सुस्ती दिखा रहे हैं. पटना की कंपनी जीएलआर ट्रेडर्स समय रहते कार्य को पूरा नहीं किया गया तो संवेदक के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी. साथ ही निविदा भी रद्द कर दी जाएगी और उनको ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा, ताकि किसी भी टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले सके.