बांका: बिहार विधानसभा चुनाव में जिले के अमरपुर सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है. अमरपुर विधानसभा में जमीनी स्तर पर लगातार काम करने के बावजूद भी भाजपा से मृणाल शेखर को टिकट नहीं मिल पाया है. यह सीट पहले भी जदयू के खाते में थी और इस बार भी जदयू के ही खाते में है.
बता दें कि 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ी थी, जिसमें जदयू के जनार्दन मांझी ने मृणाल शेखर को 11 हजार से अधिक वोट से हरा दिया था. क्षेत्र में लगातार काम करने के बाद भी टिकट नहीं मिलने पर नाराज मृणाल शेखर ने पार्टी से बगावत कर लोजपा में शामिल हो गए और बीते गुरुवार को अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से लोजपा के प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया.
अमरपुर के साथ छल और शंभूगंज के साथ हुआ धोखा
नामांकन दाखिल करने के उपरांत मृणाल शेखर ने बताया कि पार्टी से कोई बगावत नहीं की है. यह सीट भाजपा की नहीं हो पाई तो मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि अमरपुर के कायाकल्प के लिए काम करना है न कि किसी पद के लिए. इस विधानसभा के जो दो प्रमुख प्रतिद्वंदी हैं जदयू के जनता राज कुशवाहा और कांग्रेस के जितेंद्र सिंह दोनों ही अमरपुर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले नहीं है. अमरपुर के साथ छल और शंभूगंज के साथ धोखा हुआ है.
10 नवंबर को अमरपुर लिखेगा स्वर्णिम इतिहास
लोजपा प्रत्याशी मृणाल शेखर ने बताया कि बहुत सारे लोग प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाने पर आपत्ति जता रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो लाखों-करोड़ों लोगों के दिल में जो पोस्टर चिपकाए है उसे कैसे कोई हटा सकता है. उन्होंने कहा कि महादेव के जो अवतार बजरंगबली हुए उन्होंने तो सीना चीर कर दिखा दिया, लेकिन मैं तो एक महादेव का भक्त मात्र हूं, अगर मुझ में शक्ति होती तो मैं भी सीना चीर कर दिखा देता कि मोदी कहां बसते हैं. अमरपुर विधानसभा क्षेत्र में जो परिस्थितियां बनी है, उसके अनुसार अमरपुर विधानसभा क्षेत्र 10 नवंबर को स्वर्णिम इतिहास लिखेगा और इसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी.