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कोरोना से लड़ने के लिए अरवल जिला प्रशासन मुस्तैद, पंचायत स्तर पर बना गए आइसोलेशन सेंटर - कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव

अरवल जिले में लॉक डाउन का व्यापक असर दिख रहा है. जिला प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी के साथ लॉक डाउन को सफल बनाने में जुटी है. वहीं, बाहर से आ रहे लोगों को जिले की सीमा पर स्वास्थ्य जांच कराया जा रहा है.

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Published : Mar 31, 2020, 11:35 PM IST

अरवलः कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉक डाउन है. इसका असर जिले में भी दिख रहा है. दूसरी तरफ बाहर रहने वाले जिलावासी वापस अपने घर लौट रहे हैं. उन्हें पंचायत स्तर पर आइसोलेशन सेंटर में आइसोलेट किया जा रहा है.

अरवल अनुमंडल पदाधिकारी किरण सिंह ने बताया कि बाहर के लोगों को स्वास्थ्य जांच करने के बाद वाहनों से जिला प्रशासन जिले की सीमा पर छोड़ रही है. वहीं, जिले के रहने वाले लोग जो बाहर से आ रहे हैं उन्हें अपने गांव में ही पंचायत स्तर पर बने सरकारी भवनों में आइसोलेट किया जा रहा है. जहां, खाने-पीने का व्यवस्था और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था जिला प्रशासन कर रही है.

पंचायत प्रतिनिधियों की अहम जिम्मेदारी

एसडीएम ने कहा कि लोगों को कोरोना से घबराने की जरुरत नहीं है. पंचायत स्तर पर बने आइसोलेशन सेंटर में रुके. यह उनके परिवार और गांव को सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका है. एसडीएम के मुताबिक पंचायत प्रतिनिधियों को भी कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आगे आकर काम करने की जरुरत है.

इस लड़ाई में आगे आएं लोग

एसडीएम किरण सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है. इसमें केवल लोगों में जागरुकता की आवश्यकता है. कोरोना को फैलने से रोकने के लिए गांव के सामाजिक लोगों को भी आगे आना होगा. इसके लिए लोगों को समझाने की जरूरत है. लोग इसकी गंभीरता को समझें 21 दिन के लॉक डाउन को सफल बनाने का प्रयास करें.

अरवलः कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉक डाउन है. इसका असर जिले में भी दिख रहा है. दूसरी तरफ बाहर रहने वाले जिलावासी वापस अपने घर लौट रहे हैं. उन्हें पंचायत स्तर पर आइसोलेशन सेंटर में आइसोलेट किया जा रहा है.

अरवल अनुमंडल पदाधिकारी किरण सिंह ने बताया कि बाहर के लोगों को स्वास्थ्य जांच करने के बाद वाहनों से जिला प्रशासन जिले की सीमा पर छोड़ रही है. वहीं, जिले के रहने वाले लोग जो बाहर से आ रहे हैं उन्हें अपने गांव में ही पंचायत स्तर पर बने सरकारी भवनों में आइसोलेट किया जा रहा है. जहां, खाने-पीने का व्यवस्था और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था जिला प्रशासन कर रही है.

पंचायत प्रतिनिधियों की अहम जिम्मेदारी

एसडीएम ने कहा कि लोगों को कोरोना से घबराने की जरुरत नहीं है. पंचायत स्तर पर बने आइसोलेशन सेंटर में रुके. यह उनके परिवार और गांव को सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका है. एसडीएम के मुताबिक पंचायत प्रतिनिधियों को भी कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में आगे आकर काम करने की जरुरत है.

इस लड़ाई में आगे आएं लोग

एसडीएम किरण सिंह का कहना है कि जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है. इसमें केवल लोगों में जागरुकता की आवश्यकता है. कोरोना को फैलने से रोकने के लिए गांव के सामाजिक लोगों को भी आगे आना होगा. इसके लिए लोगों को समझाने की जरूरत है. लोग इसकी गंभीरता को समझें 21 दिन के लॉक डाउन को सफल बनाने का प्रयास करें.

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