अररियाः जिले केसंथाल बस्ती में बसे लोग आदिमानव की तरह ज़िन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं. यहां के लोग अब तक समाज कीमुख्य धारा सेनहीं जुड़ सके हैं. करीब 15 से 20 साल पहले ये आकर बसे हैं. लेकिन इनकीपहचान के लिए वोटर आईडी प्रूफ तक नहीं बना है.
अररिया जिला मुख्यालय में एक ऐसीबस्ती जोअपने हकके लिए दर-दर भटक रही है. जिला मुख्यालय से महज13 किलोमीटर दूर लहना रामपुर के कोडरकट्टी वार्ड संख्या 13 है, जहां करीब 40 घर की आबादी है और वहां के लोगों को कुछ भी नहीं मिल सका है. सड़क, नाला, बिजली, पानी जैसीअन्य कई तरह की सुविधा इन लोगों को अब तक नहीं मिल सकी है.
समाज कीमुख्यधारा से नहीं जुड़े लोग
ये लोग ट्रस्ट की जमीन पर बसेहैं, इस जमीन परअभी तक मुकदमा चल रहा है. यहां मां जानकी की मंदिर थी जिसमेंएक पुजारी रहते थे. जिनकी एक दासिन सेवा करती थी.किसी कारणवशदासिन ने पुजारी कोझगड़ा करके वहां से भगा दिया. तब से वहां परये लोग काबिजहैं. लेकिन समाज कीमुख्यधारा से अब तक नहीं जुड़ सके हैं. अब तक ये लोग आदिमानव की तरह जिन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं. बच्चों के पढ़ने के लिए उस बस्ती में ना ही स्कूलऔर ना ही पीने का साफपानी है. बगैर कपड़े के ये लोग रहते हैं.
मुखिया ने कराया हालात से आगाह
जैसे-जैसे वहां केहालात के बारे में लोगों को जानकारी हुई तो उसे बदलने के लिएमुखियाशहजाद आलम कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने ने जिलाअधिकारी को अवेदन देकर यहां के हालात से रूबरू करवाया है. अभी उसकी जांच चल रही है. इस बार मुखियाने उन्हें समाज से जोड़ने के लिए लोगों के कुछ दस्तावेज बना कर दिए हैं.ताकिइनलोगों को भी सरकार के द्वाराचलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके.
पीएम नरेंद्रमोदी को भी नहीं जानते लोग
मुखिया शहजाद आलमने बतायाकि इसके लिए हम पंचायत प्रतिनिधि के अलावा सरकारी महकमा भी दोषी है.नेता सिर्फइन लोगों को छलावा देतेहैं. फिर वापस मुड़ के एक बार भी देखने नहीं आतेहैं. इनलोगों को अपने देश के बड़े नेताओं के बारे में भी कुछ पता नहीं है, ये लोग नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार या फिर राहुल गांधी के बारे में भी नहीं जानते हैं.