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आदिमानव की तरह जिंदगी गुजार रहे यहां के लोग, अब तक नहीं बना है वोटर आईडी, PM को भी नहीं जानते - बिहार न्यूज

जिले के संथाल बस्ती में लोग ट्रस्ट की जमीन पर बसे हैं, लेकिन समाज की मुख्यधारा से नहीं अब तक नहीं जुड़े हैं., ये लोग नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार या फिर राहुल गांधी के बारे में भी नहीं जानते हैं.

संथाल गांव का दृश्य
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Published : Mar 27, 2019, 1:26 PM IST

अररियाः जिले केसंथाल बस्ती में बसे लोग आदिमानव की तरह ज़िन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं. यहां के लोग अब तक समाज कीमुख्य धारा सेनहीं जुड़ सके हैं. करीब 15 से 20 साल पहले ये आकर बसे हैं. लेकिन इनकीपहचान के लिए वोटर आईडी प्रूफ तक नहीं बना है.

अररिया जिला मुख्यालय में एक ऐसीबस्ती जोअपने हकके लिए दर-दर भटक रही है. जिला मुख्यालय से महज13 किलोमीटर दूर लहना रामपुर के कोडरकट्टी वार्ड संख्या 13 है, जहां करीब 40 घर की आबादी है और वहां के लोगों को कुछ भी नहीं मिल सका है. सड़क, नाला, बिजली, पानी जैसीअन्य कई तरह की सुविधा इन लोगों को अब तक नहीं मिल सकी है.

बयान देते मुखिया और गांव के लोग

समाज कीमुख्यधारा से नहीं जुड़े लोग
ये लोग ट्रस्ट की जमीन पर बसेहैं, इस जमीन परअभी तक मुकदमा चल रहा है. यहां मां जानकी की मंदिर थी जिसमेंएक पुजारी रहते थे. जिनकी एक दासिन सेवा करती थी.किसी कारणवशदासिन ने पुजारी कोझगड़ा करके वहां से भगा दिया. तब से वहां परये लोग काबिजहैं. लेकिन समाज कीमुख्यधारा से अब तक नहीं जुड़ सके हैं. अब तक ये लोग आदिमानव की तरह जिन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं. बच्चों के पढ़ने के लिए उस बस्ती में ना ही स्कूलऔर ना ही पीने का साफपानी है. बगैर कपड़े के ये लोग रहते हैं.

मुखिया ने कराया हालात से आगाह
जैसे-जैसे वहां केहालात के बारे में लोगों को जानकारी हुई तो उसे बदलने के लिएमुखियाशहजाद आलम कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने ने जिलाअधिकारी को अवेदन देकर यहां के हालात से रूबरू करवाया है. अभी उसकी जांच चल रही है. इस बार मुखियाने उन्हें समाज से जोड़ने के लिए लोगों के कुछ दस्तावेज बना कर दिए हैं.ताकिइनलोगों को भी सरकार के द्वाराचलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके.

santhal village
संथाल गांव का दृश्य

पीएम नरेंद्रमोदी को भी नहीं जानते लोग
मुखिया शहजाद आलमने बतायाकि इसके लिए हम पंचायत प्रतिनिधि के अलावा सरकारी महकमा भी दोषी है.नेता सिर्फइन लोगों को छलावा देतेहैं. फिर वापस मुड़ के एक बार भी देखने नहीं आतेहैं. इनलोगों को अपने देश के बड़े नेताओं के बारे में भी कुछ पता नहीं है, ये लोग नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार या फिर राहुल गांधी के बारे में भी नहीं जानते हैं.

अररियाः जिले केसंथाल बस्ती में बसे लोग आदिमानव की तरह ज़िन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं. यहां के लोग अब तक समाज कीमुख्य धारा सेनहीं जुड़ सके हैं. करीब 15 से 20 साल पहले ये आकर बसे हैं. लेकिन इनकीपहचान के लिए वोटर आईडी प्रूफ तक नहीं बना है.

अररिया जिला मुख्यालय में एक ऐसीबस्ती जोअपने हकके लिए दर-दर भटक रही है. जिला मुख्यालय से महज13 किलोमीटर दूर लहना रामपुर के कोडरकट्टी वार्ड संख्या 13 है, जहां करीब 40 घर की आबादी है और वहां के लोगों को कुछ भी नहीं मिल सका है. सड़क, नाला, बिजली, पानी जैसीअन्य कई तरह की सुविधा इन लोगों को अब तक नहीं मिल सकी है.

बयान देते मुखिया और गांव के लोग

समाज कीमुख्यधारा से नहीं जुड़े लोग
ये लोग ट्रस्ट की जमीन पर बसेहैं, इस जमीन परअभी तक मुकदमा चल रहा है. यहां मां जानकी की मंदिर थी जिसमेंएक पुजारी रहते थे. जिनकी एक दासिन सेवा करती थी.किसी कारणवशदासिन ने पुजारी कोझगड़ा करके वहां से भगा दिया. तब से वहां परये लोग काबिजहैं. लेकिन समाज कीमुख्यधारा से अब तक नहीं जुड़ सके हैं. अब तक ये लोग आदिमानव की तरह जिन्दगी गुजारने पर मजबूर हैं. बच्चों के पढ़ने के लिए उस बस्ती में ना ही स्कूलऔर ना ही पीने का साफपानी है. बगैर कपड़े के ये लोग रहते हैं.

मुखिया ने कराया हालात से आगाह
जैसे-जैसे वहां केहालात के बारे में लोगों को जानकारी हुई तो उसे बदलने के लिएमुखियाशहजाद आलम कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने ने जिलाअधिकारी को अवेदन देकर यहां के हालात से रूबरू करवाया है. अभी उसकी जांच चल रही है. इस बार मुखियाने उन्हें समाज से जोड़ने के लिए लोगों के कुछ दस्तावेज बना कर दिए हैं.ताकिइनलोगों को भी सरकार के द्वाराचलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके.

santhal village
संथाल गांव का दृश्य

पीएम नरेंद्रमोदी को भी नहीं जानते लोग
मुखिया शहजाद आलमने बतायाकि इसके लिए हम पंचायत प्रतिनिधि के अलावा सरकारी महकमा भी दोषी है.नेता सिर्फइन लोगों को छलावा देतेहैं. फिर वापस मुड़ के एक बार भी देखने नहीं आतेहैं. इनलोगों को अपने देश के बड़े नेताओं के बारे में भी कुछ पता नहीं है, ये लोग नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार या फिर राहुल गांधी के बारे में भी नहीं जानते हैं.

Intro:आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी नहीं बदला संथाल बस्ती में बसे लोगों की ज़िंदगी, अभी तक पहचान के लिए वोटर आईडी प्रूफ तक बना नहीं है यहां के लोग अभी तक समाज के मुख्य धारा से भी नहीं जुड़ सके हैं ये लोग क़रीब 15 से 20 साल पहले आकर बसे हैं आज भी आदिमानव की तरह ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं। चुनावी वायदे से परेशान इन लोगों ने मांगा अपना हक़।


Body:अररिया ज़िला मुख्यालय में एक ऐसा बस्ती जो एक अदद से अपने हक़ के दर दर भटक रही है। ज़िला मुख्यालय से महज़ 13 किलोमीटर दूर लहना रामपुर के कोडरकट्टी वार्ड संख्या 13 है, जहां क़रीब 40 घर की आबादी है और वहां के लोगों को कुछ भी नहीं मिल सका है सड़क, नाला, बिजली, पानी जैसे अन्य कई तरह की सुविधा की चीज़ है जो इन लोगों को अब तक नहीं पहुंच सकी है। यहां की दासिन टुड्डू रामजानकी मंदिर के पुजारी के सेवा करती थी ये ट्रस्ट की ज़मीन पर बसे लोग हैं जो अभी तक मुक़दमा चल रहा है किसी तरह से दासिन ने झगड़ा कर मंदिर के पुजारी को वहां से भगा दिया फ़िर तबसे वहां पर काबिज़ है ये लोग समाज के मुख धारा से अब तक नहीं जुड़ सके हैं अब तक ये लोग आदिमानव की तरह ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं बच्चों के पढ़ने के लिए उस बस्ती में ना ही स्कूल ना ही पीने का साफ़ पानी है बग़ैर कपड़े के ये लोग रहते हैं जैसे जैसे वहां की हालात के बारे में लोगों को जानकारी हुई तो उसे बदलने की धीरे धीरे वहां के मुख्या शहज़ाद आलम कोशिश कर रहे हैं साथ ही उन्होंने ने ज़िलापदधिकारी को अवेदन देकर यहां के हालात से रूबरू करवाया है अभी उसकी जांच चल रही है इस बार मुख्या समाज से जोड़ने के लिए लोगों के कुछ दस्तावेज बना कर दिए हैं एवं इनलोगों को भी सरकार के दुवारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके। मुख्या ने कहा कि इसके लिए हम पंचायत प्रतिनिधि के अलावा सरकारी महकमा भी दोषी है। नेता सिर्फ़ इन लोगों को झलवा देती है फ़िर वापस मुड़ के एक बार भी देखने नहीं आई है। इनलोगों को पता भी नहीं है कि मोदी, नीतीश या फ़िर राहुल गांधी के बारे में जानते ही नहीं हैं।


Conclusion:जब इस बस्ती में Etv के जिला संवाददाता देखने पहुंची तो आप लोग उस विसुअल से अंदाज़ लगा सकते हैं कि डिजिटल इंडिया का ये मज़ाक है या नहीं। अब देखना यह होगा कि सरकार का किस तरह की पहल कर इन्हें भी नागरिकता प्राप्त हो और समाज की मुख्य धारा से जुड़ सके।
बाइट मुख्या मोहम्मद शहज़ाद
बाइट संथाली दासिन और भी ग्रामीण
विसुअल बाइट पटीसी के साथ
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