अररिया: वार्ड नंबर 29 का मरयाटोला कहने को तो शहरी क्षेत्र है, लेकिन सुविधा के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है. आवागमन के लिए लोग नाव का सहारा लेते हैं. जो बाढ़ के दिनों में जोखिम भरा होता है. मरयाटोला की आबादी लगभग हजार के करीब है. यहां के लोगों को रोजाना रोजी-रोटी के लिए बाजार आना-जाना पड़ता है.
बांस का चचरी पुल बना सहारा
घरेलू और छोटे-बड़े सामानों की खरीदी करने ले लिए भी बाजार आना इनकी मजबूरी है. शहर के पूर्वी छोर पर होने की वजह से ये शहरी इलाका अलग-थलग लगता है. परमान नदी में पानी कम होने पर आवाजाही के लिए बांस की चचरी का पुल बनाया जाता है. जो कुछ महीनों तक ही चलता है.
बारिश के समय आवागमन ठप
बारिश के समय परमान नदी विकराल रूप धारण कर लेती है. जलस्तर काफी बढ़ जाता है. जिसकी वजह से आवागमन लगभग ठप हो जाता है. ऐसी परिस्थिति में वहां के लोग कई किलोमीटर की दूरी तय कर शहर पहुंच पाते हैं. ग्रामीणों के अनुसार इस नदी पर पुल बनवाने के लिए विधायक और सांसद तक से गुहार लगाया गयी है. लेकिन परिणाम शून्य निकला.
बिजली की भी समस्या
लोगों ने बताया कि सबसे ज्यादा बीमारों को दिक्कत होती है. अगर रात को कोई बीमार पड़ जाए, तो इलाज कराना संभव नहीं होता है. क्योंकि जल स्तर बढ़ने से रात में नाव चलना मुश्किल होता है. यहां के लोगों का कहना है कि बिजली की भी यहां भारी किल्लत है. वहीं सरकारी किरासन तेल भी नहीं मिलता है. नगर परिषद के अनुसार मरयाटोला तक जाने के लिए नदी पर पुल बनवाना उनकी क्षमता से बाहर है. इसलिए नगर परिषद की ओर से जलस्तर कम होने पर चचरी का पुल बनवाया जाता है.