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अररिया: समान काम-समान वेतन को लेकर शिक्षकों में नाराजगी, आंदोलन की दी चेतावनी - समान काम समान वेतन को लेकर शिक्षक नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने जब से नियोजित शिक्षकों की समान काम समान वेतन की मांग को खारिज किया है. तब से शिक्षकों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. शिक्षकों ने सरकार से कहा कि इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

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Published : Jun 2, 2019, 8:07 AM IST

Updated : Jun 2, 2019, 8:17 AM IST

अररिया: समान काम-समान वेतन का अधिकार शिक्षकों को नहीं मिलने के कारण उनमें काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. शिक्षकों ने इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया है. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने जिले के कुछ शिक्षकों से बातचीत की.

ससान काम समान वेतन को लेकर शिक्षकों में नाराजगी

SC ने की नाइंसाफी
बिहार के पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन के मामले में जो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था. उस फैसले पर शिक्षकों ने नाराजगी जाहिर की है. अररिया के नियोजित शिक्षकों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके साथ नाइंसाफी की है. उन्होंने कहा कि एक ही पद पर बैठे व्यक्ति को 70 हज़ार तनख्वाह मिल रहा है और उसी पद पर दूसरे व्यक्ति को 26 हज़ार दी जा रही है. शिक्षकों ने बताया कि वे लोग भी उतना ही काम करते हैं जितना कि दूसरे शिक्षक करते हैं.

सरकार पर लगाया आरोप
इस संबंध में शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जाफर रहमानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ये दूसरे के बहकावे में आकर काम कर रही है. आने वाले विधानसभा में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. जिलाध्यक्ष ने कहा कि भारत के संविधान में लिखा हुआ है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. भेदभाव होने पर सभी शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने मांग खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि अगर शिक्षकों की मांग पूरी नहीं की गई तो आंदोलन भी हो सकता है.

अररिया: समान काम-समान वेतन का अधिकार शिक्षकों को नहीं मिलने के कारण उनमें काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. शिक्षकों ने इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया है. इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने जिले के कुछ शिक्षकों से बातचीत की.

ससान काम समान वेतन को लेकर शिक्षकों में नाराजगी

SC ने की नाइंसाफी
बिहार के पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन के मामले में जो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था. उस फैसले पर शिक्षकों ने नाराजगी जाहिर की है. अररिया के नियोजित शिक्षकों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके साथ नाइंसाफी की है. उन्होंने कहा कि एक ही पद पर बैठे व्यक्ति को 70 हज़ार तनख्वाह मिल रहा है और उसी पद पर दूसरे व्यक्ति को 26 हज़ार दी जा रही है. शिक्षकों ने बताया कि वे लोग भी उतना ही काम करते हैं जितना कि दूसरे शिक्षक करते हैं.

सरकार पर लगाया आरोप
इस संबंध में शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जाफर रहमानी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ये दूसरे के बहकावे में आकर काम कर रही है. आने वाले विधानसभा में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा. जिलाध्यक्ष ने कहा कि भारत के संविधान में लिखा हुआ है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. भेदभाव होने पर सभी शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने मांग खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि अगर शिक्षकों की मांग पूरी नहीं की गई तो आंदोलन भी हो सकता है.

Intro:समान काम का समान वेतन लेकर रहेंगे, ये हमारा हक़ और अधिकार है। हमलोग स्कूल के चपरासी से भी गिरे हुए महसूस कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि जैसे किसी के घर में बेटे की मौत हो जाती है। उस तरह से ग़म में डूबे हैं बिहार के शिक्षक। इतना बड़ा पर्व रमज़ान गुज़रने वाला है पर एक रोज़ा नहीं कर सके, ईद की खरीदारी बच्चों के लिए भी नहीं कर पाएंगे। उसी जगह पर किसी को 70 हज़ार किसी को 25 या 26 हज़ार ये कैसा इंसाफ़ है।


Body:बिहार के पौने चार लाख नियोजित शिक्षक समान काम समान वेतन के मामले में जो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था उस फैसले पर नाराज़गी ज़ाहिर किया। अररिया के नियोजित शिक्षक Etv से बात करते हुए कहा कि ये कैसा और कहां का इंसाफ़ है कि एक ही पद पर बैठे व्यक्ति को 70 हज़ार तनख्वाह मिल रहा हो और उसी पद पर बैठे दूसरे व्यक्ति को 26 हज़ार वो भी चार पांच महीने की देरी से। शिक्षकों ने बताया कि हम लोग उतना ही काम करते हैं जितना कि दूसरे शिक्षक करते हैं टाइम पर जाते हैं बच्चों को शिक्षा भी देते हैं। ऐसे में आज इतना बड़ा मुबारक महीना गुज़रने वाला है दो से तीन दिन का वक़्त बचा है बच्चों का इलाज कराएं या फ़िर ईद की तैयारी करें कैसे होगा? अभी तक फुस के मकान में रहने को मजबूर हैं पक्के का मकान नहीं बना सके। हम लोग एक ज़िन्दे लाश की तरह हो गए हैं। सरकार ये काम दूसरे के इशारे पर चल कर काम कर रही है। जिसका खामियाजा आने वाले विधानसभा में भुगतना न पड़े। इसके लिए सारे संगठन के लोग अपने हक़ के लिए लड़ेंगे और लेकर रहेंगे। हम लोग इस फैसले के बाद से मानसिक बीमार संतुलन खो बैठे हैं। सरकार के पास अभी भी वक़्त है इसका कोई हल निकाले। जितना वेतन मिलता है वो पेट्रोल दवाई में ही खत्म हो जाता है। बच्चों को सही शिक्षा भी नहीं दे पा रहे हैं। इन सब बातों को लेकर पूरे बिहार में बड़े आंदोलन की तैयारी की जा रही है सभी जगह के लोग स्कूल में ताला बंदी कर एक जुट प्रदर्शन करेंगे। शिक्षक विरोधी सरकार से अपने हक़ को लेंगे।


Conclusion:बाइट शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ज़ाफ़र रहमानी
बाइट शिक्षक
विसुअल शिक्षक
Last Updated : Jun 2, 2019, 8:17 AM IST
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