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अररिया: बकरा नदी के कटाव का कहर जारी, कई गांव के अस्तित्व पर संकट

बकरा नदी ने जिले में भारी तबाही मचाई है. इससे कई का गांव अस्तित्व ही खतरे में है. लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं. लेकिन प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को कोई मदद नहीं की है.

अररिया
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Published : Jul 22, 2019, 10:48 PM IST

अररिया: प्रदेश के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ से लोगों को जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है. जिले में भी बकरा नदी का कहर जारी है. इस नदी के कटाव से कई गांवों का अस्तित्व ही खतरे में है. लेकिन इस ओर प्रशासन का ध्यान तक नहीं है.

जिले के जोकीहाट के सतबीहटा गांव बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित है. इससे यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 2017 में भी इस गांव में बाढ़ से 50 घर नदी में समाहित हो गए थे. इस बार भी यहां बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. गांव के लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का बयान

प्रशासन से कोई मदद नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि मॉनसून की पहली बारिश में यह हाल है अभी तो बरसात के दो महीना बाकी है. यहां इस नदी पर बांध नहीं होने से हर साल गांव में पानी आ जाता है. इस बार बाढ़ ने गांव के फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई मदद नहीं की है. वहीं, सरकार से ग्रामीणों ने यहां बांध निर्माण कराने की मांग कर रहे हैं.

अररिया: प्रदेश के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. बाढ़ से लोगों को जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुका है. जिले में भी बकरा नदी का कहर जारी है. इस नदी के कटाव से कई गांवों का अस्तित्व ही खतरे में है. लेकिन इस ओर प्रशासन का ध्यान तक नहीं है.

जिले के जोकीहाट के सतबीहटा गांव बाढ़ से पूरी तरह से प्रभावित है. इससे यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. 2017 में भी इस गांव में बाढ़ से 50 घर नदी में समाहित हो गए थे. इस बार भी यहां बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. गांव के लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं.

ग्रामीणों का बयान

प्रशासन से कोई मदद नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि मॉनसून की पहली बारिश में यह हाल है अभी तो बरसात के दो महीना बाकी है. यहां इस नदी पर बांध नहीं होने से हर साल गांव में पानी आ जाता है. इस बार बाढ़ ने गांव के फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई मदद नहीं की है. वहीं, सरकार से ग्रामीणों ने यहां बांध निर्माण कराने की मांग कर रहे हैं.

Intro:बिहार का शोक कहा जाने वाला नदी कोसी और बकरा के धार में कई घर इस बाढ़ में बह गए हैं। लोगों ने कहा कि जब तक रिंग बांध को नहीं बनाया जाएगा तब तक यह बना रहेगा। बांध नहीं होने के कारण बकरा नदी धीरे धीरे अपना रुख बदल रहा है जहां आबादी बसा हुआ है। इससे लोगों में डर बना हुआ है काफ़ी ज़्यादा परेशान हैं और कोई दूसरा जगह भी नहीं है कि वहां जाकर बसे।


Body:अररिया के बाढ़ प्रभावित गांव का जायज़ा लेने Etv Bharat के ज़िला संवाददाता जोकीहाट के सतबीहटा गांव पहुंचा। जहां के लोगों ने इस गांव के हालात से रूबरू कराया। अगस्त 2017 में आए प्रलयंकारी बाढ़ ने 40 से 50 घर को अपने आगोश में ले लिया था जिससे काफ़ी मात्रा में जान माल के साथ कई एकड़ में उपजे घने फ़सल को नुकसान पहुंचा था। इस बार भी बाढ़ ने भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस ओर न ही प्रशासन का ध्यान है ना ही जनप्रतिनिधियों का चुनाव के वक़्त मुख्या वोट मांगने आते हैं फ़िर जीतने के बाद गांव की दशा को देखने तक नहीं आते हैं। इस मुसीबत से जाए तो कहां जाए। मॉनसून की पहली बारिश में यह हाल है तो बरसात का दो महीना बाक़ी है इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि आगे बारिश हुई तो कितनी बड़ी मुसीबत हो सकती है। हम ग्रामीणों का मांग है कि यहां बांध का निर्माण बनाया जाए नहीं तो हमें दूसरे जगह आश्रय दिया जाए ताकि अपनी जीवन यापन सही से कर सकें। अब देखना है कि ग्रामीणों को इनके मुसीबत से कौन और कब छुटकारा दिलाएगा।


Conclusion:संबंधित विसुअल
वॉक थ्रू
बाइट शम्भू जी आपदा
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