अररिया: कोरोना के कहर का असर त्योहारों पर भी पड़ रहा है. पटना में पहले रमजान को लेकर 100 से ज्यादा सेवई की दुकानें लगती थी लेकिन इस बार 8-10 दुकानें ही लगी हैं. दुकानदार कहते हैं कि कोरोना के डर से बहुत सारे लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं. जिसका असर व्यवसाय पर पड़ रहा है. ऊपर से नाइट कर्फ्यू का भी पालन करना है.
कोरोना को लेकर पाबंदी
रमजान में एक महीने तक सेवई की बिक्री बहुत ज्यादा होती थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. स्थायी दुकानों से ज्यादा फुटपाथी दुकानदार इन दिनों सबसे ज्यादा परेशान हैं. कोविड के बढ़ते संक्रमण को लेकर बाजार को खोलने और बंद करने का समय प्रशासन ने निर्धारित कर दिया है. इस वजह से फुटपाथ पर सिजनली दुकान लगाने वालों की आंखों में मायूसी छाई हुई है.
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सौ की जगह अब 8-10 दुकानें
फुटपाथी दुकानदारों का कहना है कि अगर दुकान लगा भी लें तो बहुत ज्यादा फायदा नहीं है क्योंकि लोग रात में ही खरीदारी के लिए आते थे इस बार नाइट कर्फ्यू की वजह से दुकानें शाम को ही बंद करनी पड़ग पड़ेगा. इसलिए इससे बेहतर है कि दुकान ना ही लगाई जाए.
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"सेवई की कीमत में भारी उछाल आया है. जिस कारण अभी बिक्री नहीं के बराबर है. जो लोग पहले दो से पांच किलो सेवई खरीदते थे, अब वे एक किलो या फिर उससे कम खरीद रहे हैं. ऐसा ही हाल रहा तो हमारा सीजन वाला रोजगार बर्बाद हो जाएगा." - सबों, फुटपाथ दुकानदार
कुछ इस प्रकार हैं सेवई की कीमत
- साधारण लच्छा 100 से लेकर 220 रुपये प्रति किलो
- देशी घी का लच्छा 400 सौ रुपये प्रति किलो
- पटना का लच्छा 140 रुपये प्रति किलो
- फेनी 150 रुपये प्रति किलो
- बनारसी लच्छा 140 रुपये प्रति किलो
- मकूती 150 रुपये प्रति किलो
- सूखा महीन बनारसी सेवई 250 रुपये प्रति किलो
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