अररिया: फारबिसगंज कॉलेज में 11वीं और 12वीं की टेस्ट परीक्षा के दौरान जो तस्वीर सामने आई, वह शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है. दरअसल, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ग्यारहवीं और बारहवीं की टेस्ट परीक्षा वाली उत्तर पुस्तिका और प्रश्नपत्र बांटा जाना था. स्थिति ऐसी हो गई कि कॉलेज प्रशासन को ये सामग्री पेड़ पर चढ़कर बांटनी पड़ी, जबकि प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका का वितरण क्लास रूम में छात्रों के बीच किया जाता है. इन छात्रों को ये दोनों सामग्री लेने के लिए पेड़ के पास जाना पड़ा. कॉलेज के कर्मचारियों ने पेड़ पर से छात्र-छात्राओं को सामग्री वितरित की.
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परीक्षा के दौरान पेड़ पर चढ़कर बांटे गए प्रश्नपत्र: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से सत्र 2022-24 और 2023-25 के छात्रों की 11वीं और 12वीं का टेस्ट पिछले 24 सितंबर 2023 से चल रहा है. परीक्षा शुरू होने से पहले फारबिसगंज कॉलेज प्रशासन को प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिका वितरण करना था. कॉलेज के कर्मचारी उसे क्लास रूम में नहीं बांटकर बगीचे में लेकर चले गए. छात्रों की भीड़ इतनी हो गई कि बांटने के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़ा.
वीडियो पर प्रिंसिपल ने क्या सफाई दी?: इस पूरी घटना का किसी छात्र ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. शिक्षाकर्मी के द्वारा बिहार के कॉलेज में पेड़ पर चढ़कर प्रश्न पत्र वितरण किया जाना अपने आप में सवाल खड़ा करता है. हालांकि प्रिंसिपल डाक्टर सुधांशु शेखर झा ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि वीडियो परीक्षा शुरू होने से पहले का है. उन्होंने कहा कि 11वीं में 1653 विद्यार्थी और बारहवीं में 1740 विद्यार्थी थे. यानी कुल 3393 विद्यार्थी आए थे, जबकि हमारे कॉलेज की क्षमता सिर्फ 1200 छात्रों की है. इसीलिए बाकी छात्रों को बाहर चबूतरे पर भेजा गया था. ये वायरल वीडियो शुक्रवार के दिन का है.
"असल में हमारे कॉलेज में क्षमता से अधिक स्टूडेंट आ गए थे. हम लोगों ने पहले छात्राओं को प्राथमिकता देकर कमरे के अंदर बिठाया था और उनकी परीक्षा ली गई. वहीं जब छात्रों की संख्या ज्यादा हो गई तो महाविद्यालय के शिक्षकों ने उन्हें पेड़ के चबूतरे के पास बुलाया और वहां उनको उत्तर पुस्तिका दी और कहा कि यहीं बैठकर परीक्षा दे दीजिए. लेकिन उस पर भी कुछ उपद्रवी लोगों ने छात्रों को भड़काने की कोशिश की. उसके बाद कुछ छात्रों ने हंगामा भी किया, जबकि हम लोगों ने सभी परीक्षा को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न कराने की कोशिश की"- डॉ. सुधांशु शेखर झा, प्रिंसिपल, फारबिसगंज कॉलेज, अररिया