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अधिक ठंड के कारण मां सरस्वती की प्रतिमा निर्माण में हो रही है परेशानी, मूर्तिकारों को अच्छी आमदनी की आस

विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा इस बार पांच फरवरी (The Goddess of Learning Maa Saraswati) को है. पूजा के लिए मां सरस्वती की प्रतिमाओं का निर्माण जारी है. लेकिन ठंड के कारण इस बार प्रतिमा निर्माण में मूर्तिकारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण इस साल अन्य सालों की अपेक्षा कम मूर्तियों का निर्माण हो पा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

प्रतिमा निर्माण
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Published : Jan 20, 2022, 5:59 PM IST

अररियाः विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja In Bihar) का दिन करीब आते ही शहर में मूर्तिकारों का जमावड़ा लगने लगा है. जिधर नजर दौड़ाएं सड़क के किनारे मां सरस्वती की प्रतिमाओं का निर्माण करते कलाकार नजर आएंगे. लेकिन इस बार ठंड अधिक होने के कारण कम संख्या में प्रतिमा का निर्माण हो रहा है. इक्का-दुक्का कलाकार ही मूर्ति बनाते नजर आ रहे हैं. धूप कम निकलने के कारण मूर्ति समय से तैयार नहीं हो पा रही है. मूर्तिकार संतोष पंडित ने बताया कि मिट्टी की प्रतिमा होने के कारण सूखने के लिए इसे धूप की आवश्यकता होती है, लेकिन धूप नहीं निकलने के कारण प्रतिमाओं को सुखाने में दिक्कत हो रही है.

ये भी पढ़ें-मां सरस्वती की प्रतिमा निर्माण पर महंगाई का असर, 500 से 15 हजार रुपये तक बिक रही हैं मूर्तियां

हर वर्ष की तरह अररिया शहर में सिकटी प्रखंड के तिरा से आने वाले मूर्तिकार संतोष पंडित और उनके सहयोगियों ने बताया कि प्रतिमा बनाना हमारा पुश्तैनी काम है. पहले हमारे पिताजी शहर आकर मूर्ति निर्माण करते थे. अब हमलोग ये काम करते हैं. संतोष पंडित ने बताया कि हम लोग बस स्टैंड रोड में बैंक के पास वर्षों से अपना तंबू लगाकर मां सरस्वती की बड़ी-छोटी प्रतिमा का निर्माण करते हैं, लेकिन इस बार ठंड अधिक होने के कारण इसमें कमी आई है.

संतोष पंडित ने आगे बताया कि पूरे साल हम सभी इसी दिन का इंतजार करते हैं कि प्रतिमा की बिक्री से हमें आमदनी होगी. लेकिन इस बार ठंड ने सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया है. ऐसे अभी समय है, इसलिए उम्मीद है कि प्रतिमा सूख जाएगी.

संतोष पंडित ने बताया कि हमारे ग्रुप के साथ और भी कई लोग सरस्वती की प्रतिमा बनाने गांव से शहर आते हैं. हमारा साल का ये एक त्योहार होता है. इस बार सरस्वती पूजा पांच फरवरी को है, उम्मीद है कि प्रतिमाओं की बिक्री हो जाएगी. हमलोग पांच सौ से दस हजार तक की प्रतिमा का निर्माण करते हैं. निर्माण में सिर्फ बांस की बत्ती, घास और मिट्टी के साथ अच्छे रंगों का उपयोग किया जाता है.

ये भी पढ़ें- पूर्णिया: बाइक चोर को लोगों ने खदेड़ा, भीड़ ने की जमकर पिटाई

सभी सामग्रियों की कीमत में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है. इसलिए प्रतिमाओं की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. संतोष ने आगे बताया कि अभी मीडियम आकार की प्रतिमाओं की ज्यादा डिमांड है. सरस्वती पूजा करने वाले युवा प्रतिमा की बुकिंग भी कराने लगे हैं. उम्मीद है कि धूप निकलने के बाद प्रतिमा तैयार करने का समय मिल जायेगा. अधूरी फिनिशिंग भी पूरी हो जायेगी.

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अररियाः विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja In Bihar) का दिन करीब आते ही शहर में मूर्तिकारों का जमावड़ा लगने लगा है. जिधर नजर दौड़ाएं सड़क के किनारे मां सरस्वती की प्रतिमाओं का निर्माण करते कलाकार नजर आएंगे. लेकिन इस बार ठंड अधिक होने के कारण कम संख्या में प्रतिमा का निर्माण हो रहा है. इक्का-दुक्का कलाकार ही मूर्ति बनाते नजर आ रहे हैं. धूप कम निकलने के कारण मूर्ति समय से तैयार नहीं हो पा रही है. मूर्तिकार संतोष पंडित ने बताया कि मिट्टी की प्रतिमा होने के कारण सूखने के लिए इसे धूप की आवश्यकता होती है, लेकिन धूप नहीं निकलने के कारण प्रतिमाओं को सुखाने में दिक्कत हो रही है.

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हर वर्ष की तरह अररिया शहर में सिकटी प्रखंड के तिरा से आने वाले मूर्तिकार संतोष पंडित और उनके सहयोगियों ने बताया कि प्रतिमा बनाना हमारा पुश्तैनी काम है. पहले हमारे पिताजी शहर आकर मूर्ति निर्माण करते थे. अब हमलोग ये काम करते हैं. संतोष पंडित ने बताया कि हम लोग बस स्टैंड रोड में बैंक के पास वर्षों से अपना तंबू लगाकर मां सरस्वती की बड़ी-छोटी प्रतिमा का निर्माण करते हैं, लेकिन इस बार ठंड अधिक होने के कारण इसमें कमी आई है.

संतोष पंडित ने आगे बताया कि पूरे साल हम सभी इसी दिन का इंतजार करते हैं कि प्रतिमा की बिक्री से हमें आमदनी होगी. लेकिन इस बार ठंड ने सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया है. ऐसे अभी समय है, इसलिए उम्मीद है कि प्रतिमा सूख जाएगी.

संतोष पंडित ने बताया कि हमारे ग्रुप के साथ और भी कई लोग सरस्वती की प्रतिमा बनाने गांव से शहर आते हैं. हमारा साल का ये एक त्योहार होता है. इस बार सरस्वती पूजा पांच फरवरी को है, उम्मीद है कि प्रतिमाओं की बिक्री हो जाएगी. हमलोग पांच सौ से दस हजार तक की प्रतिमा का निर्माण करते हैं. निर्माण में सिर्फ बांस की बत्ती, घास और मिट्टी के साथ अच्छे रंगों का उपयोग किया जाता है.

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सभी सामग्रियों की कीमत में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है. इसलिए प्रतिमाओं की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है. संतोष ने आगे बताया कि अभी मीडियम आकार की प्रतिमाओं की ज्यादा डिमांड है. सरस्वती पूजा करने वाले युवा प्रतिमा की बुकिंग भी कराने लगे हैं. उम्मीद है कि धूप निकलने के बाद प्रतिमा तैयार करने का समय मिल जायेगा. अधूरी फिनिशिंग भी पूरी हो जायेगी.

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