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बदहाली की मार झेल रहे लोग बोले- नेताओं ने हमें ठगा, बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है मयस्सर - नेता ने ठगा

ना गांव में बिजली है ना ही पीने का साफ पानी है. गांव के ज्यादातर युवा बेरोजगार हैं. उन्हें नौकरी नहीं मिल रही, वे खेती कर जिन्दगी गुजारने को मजबूर हैं. किसानों को अनाज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.

नदारद सड़कें
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Published : Apr 20, 2019, 10:47 AM IST

अररिया: लोकतंत्र का पर्व नजदीक आते ही नेताओं के दौरे गली-कस्बों में तेज होने लगते हैं. तमाम वादे करते और सपने दिखाते नेता अंत में लोगों को केवल निराशा थमा देते हैं. सालों से कुछ ऐसी ही निराशा अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड के भोड़हा पंचायत के लोग झेल रहे हैं.
इनका कहना है कि हम अपनी जिम्मेवारी समझते हुए हर चुनाव में मतदान करते हैं. लेकिन, उससे हमें कुछ हासिल नहीं हो रहा है. ये लोग मानते हैं कि नेता इन्हें जाति-धर्म के नाम पर बांट रहे हैं. वास्तविक मुद्दे नेताओं के भाषणों से गायब हैं.

आक्रोशित ग्रामीण

बद से बदत्तर हैं हालात
बता दें कि जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर रानीगंज प्रखंड के भोड़हा पंचायत के सैकड़ों परिवारों में लड़कियों की शादी नहीं हो रही है. बरसात के मौसम में बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है. ना गांव में बिजली है ना ही पीने का साफ पानी है. गांव के ज्यादातर युवा बेरोजगार हैं. उन्हें नौकरी नहीं मिल रही, वे खेती कर जिन्दगी गुजारने को मजबूर हैं. किसानों को अनाज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.

इस चुनाव में सबक सिखाएंगे
गांव वासी नेताओं से काफी आक्रोशित हैं. यहां के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. इन्हें जीने के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं. ऐसे में यहां की जनता ने इस बार इन प्रतिनिधियों को सबक ठिकाने की ठानी है. उन्होंने कहा है कि इस महीने के 23 अप्रैल को वोट कर हम जनप्रतिनिधियों के होश ठिकाने लाएंगे.

अररिया: लोकतंत्र का पर्व नजदीक आते ही नेताओं के दौरे गली-कस्बों में तेज होने लगते हैं. तमाम वादे करते और सपने दिखाते नेता अंत में लोगों को केवल निराशा थमा देते हैं. सालों से कुछ ऐसी ही निराशा अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड के भोड़हा पंचायत के लोग झेल रहे हैं.
इनका कहना है कि हम अपनी जिम्मेवारी समझते हुए हर चुनाव में मतदान करते हैं. लेकिन, उससे हमें कुछ हासिल नहीं हो रहा है. ये लोग मानते हैं कि नेता इन्हें जाति-धर्म के नाम पर बांट रहे हैं. वास्तविक मुद्दे नेताओं के भाषणों से गायब हैं.

आक्रोशित ग्रामीण

बद से बदत्तर हैं हालात
बता दें कि जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर रानीगंज प्रखंड के भोड़हा पंचायत के सैकड़ों परिवारों में लड़कियों की शादी नहीं हो रही है. बरसात के मौसम में बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है. ना गांव में बिजली है ना ही पीने का साफ पानी है. गांव के ज्यादातर युवा बेरोजगार हैं. उन्हें नौकरी नहीं मिल रही, वे खेती कर जिन्दगी गुजारने को मजबूर हैं. किसानों को अनाज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है.

इस चुनाव में सबक सिखाएंगे
गांव वासी नेताओं से काफी आक्रोशित हैं. यहां के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं. इन्हें जीने के लिए बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं. ऐसे में यहां की जनता ने इस बार इन प्रतिनिधियों को सबक ठिकाने की ठानी है. उन्होंने कहा है कि इस महीने के 23 अप्रैल को वोट कर हम जनप्रतिनिधियों के होश ठिकाने लाएंगे.

Intro:70 साल के बाद भी नहीं हुआ इस गांव का विकास, यहां के लोगों के साथ जनप्रतिनिधियों ने धोखा देने का काम किया है। निराशा ग्रामीण ने कहा कि वोट के वक़्त नेता गांव आते हैं एक से दो बार उसके ना जीते हुए प्रतिनिधि नज़र आते ना ही हारे हुए कैसे होगा विकास? भारतीय नागरिक होने के नाते फ़र्ज़ अदा करता हूँ चुनाव में वोट देकर वरना नहीं तो नाम काट दिया जाएगा और किसी भी तरह के सरकारी लाभ से वंचित रखा जा सकता है।


Body:लोकतंत्र के इस महापर्व लोकसभा चुनाव जैसे 2 क़रीब आता जा रहा है वैसे ही जनता को जात धर्म के नाम पर वोट के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है मुद्दा विकास और रोज़गार का होना चाहिए तो बात हिन्दू मुस्लिम कर बांटने की पुरज़ोर कोशिश हो रही है पर अररिया की जनता समझदारी से काम ले रही है और अपना हक़ लेने के लिए अपने लोकसभा क्षेत्र से जनप्रतिनिधियों से बख़ूबी तैयार हो चुकी है और वो इस महीने के 23 अप्रैल को वोट कर जनप्रतिनिधियों को सबक़ सीखाने का बात कह रहे हैं। बता दें कि जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर रानीगंज प्रखंड के भोड़हा पंचायत के आठ, नॉ और दस के सैकड़ों परिवार के तक लड़की की शादी नहीं हो रही है स्कूल जाने के लिए बच्चे का बरसात के मौसम में मुश्किल हो जाता है। ना गांव में बिजली है ना ही पीने का साफ़ पानी गांव के युवा बेरोजगार हैं उन्हें नौकरी नहीं मिल रहा खेती कर ज़िन्दगी गुज़ारने पर मजबूर हैं फ़िर भी और किसान का अनाज का उचित मूल पर बिक्री नहीं होता है।


Conclusion:अब देखना यह होगा कि ग्रामीण क्या ग्रामीण जिस आस से इस लोकसभा चूनाव में जनप्रतिनिधियों को वोट करेगी फ़िर वो पहले की तरह वादा कर भूल जाएंगे या ग्रामीण के बात को मानेंगे।
बाइट ग्रामीण
विसुअल
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