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अररियाः पंचायती राज में बदलाव को लेकर मुखिया संघ की बैठक, सामूहिक इस्तीफा देने की दी धमकी - पंचायती राज व्यवस्था में किए जा रहे बदलाव

मुखिया संघ के अध्यक्ष ने ये भी कहा कि स्वतंत्र निकाय को बांधने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे पंचायती राज की कल्पना को मजबूत करने की आधारशिला को गहरा धक्का पहुंच रहा है.

मुखिया संघ
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Published : Oct 19, 2019, 11:41 PM IST

अररियाः जिले में सरकार के स्तर से पंचायती राज अधिनियम में लगातार किए जा रहे बदलाव और ग्राम पंचायत के साथ-साथ मुखिया के अधिकारों को सीमित किए जाने के विरोध में अब पंचायत के जनप्रतिनिधि एकजुट होने लगे हैं. इनका कहना है कि सरकार स्वतंत्र निकाय को बांधने का प्रयास कर रही है. अगर ऐसा रहा तो हम लोग सामूहिक इस्तीफा देंगे.

स्थानीय मुखिया की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन
इसी बात को लेकर अररिया प्रखंड के तरोना भोजपुर पंचायत में स्थानीय मुखिया हर्षवर्धन नारायण सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया. जहां सभी मुखिया ने एकजुटता दिखाते हुए कहा कि सरकार अगर इसमें बदलाव नहीं करती है तो हम लोग सामूहिक इस्तीफा देंगे और सरकार का विरोध करेंगे.

मुखिया संघ ने सामूहिक इस्तीफा देने की दी धमकी

पंचायती राज व्यवस्था में किए जा रहे बदलाव
अररिया प्रखंड के मुखिया संघ अध्यक्ष अशिफुर रहमान ने आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश सरकार हमें अपमानित करने का काम कर रही है. इसलिए पंचायती राज व्यवस्था में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं. इससे निर्वाचित प्रतिनिधियों से अधिकार सीमित हो रहे हैं. मुखिया संघ के अध्यक्ष ने ये भी कहा कि स्वतंत्र निकाय को बांधने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे पंचायती राज की कल्पना को मजबूत करने की आधारशिला को गहरा धक्का पहुंच रहा है.

अररियाः जिले में सरकार के स्तर से पंचायती राज अधिनियम में लगातार किए जा रहे बदलाव और ग्राम पंचायत के साथ-साथ मुखिया के अधिकारों को सीमित किए जाने के विरोध में अब पंचायत के जनप्रतिनिधि एकजुट होने लगे हैं. इनका कहना है कि सरकार स्वतंत्र निकाय को बांधने का प्रयास कर रही है. अगर ऐसा रहा तो हम लोग सामूहिक इस्तीफा देंगे.

स्थानीय मुखिया की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन
इसी बात को लेकर अररिया प्रखंड के तरोना भोजपुर पंचायत में स्थानीय मुखिया हर्षवर्धन नारायण सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया. जहां सभी मुखिया ने एकजुटता दिखाते हुए कहा कि सरकार अगर इसमें बदलाव नहीं करती है तो हम लोग सामूहिक इस्तीफा देंगे और सरकार का विरोध करेंगे.

मुखिया संघ ने सामूहिक इस्तीफा देने की दी धमकी

पंचायती राज व्यवस्था में किए जा रहे बदलाव
अररिया प्रखंड के मुखिया संघ अध्यक्ष अशिफुर रहमान ने आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश सरकार हमें अपमानित करने का काम कर रही है. इसलिए पंचायती राज व्यवस्था में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं. इससे निर्वाचित प्रतिनिधियों से अधिकार सीमित हो रहे हैं. मुखिया संघ के अध्यक्ष ने ये भी कहा कि स्वतंत्र निकाय को बांधने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे पंचायती राज की कल्पना को मजबूत करने की आधारशिला को गहरा धक्का पहुंच रहा है.

Intro: ग्राम पंचायत के मुखिया और उनके अधिकारों को सरकार द्वारा सीमित किए जाने को लेकर जनप्रतिनिधि होने लगे हैं एकजुट इनका कहना है सरकार स्वतंत्र निकाय को बांधने का कर रही है प्रयास अगर ऐसा रहा तो देंगे सामुहिक इस्तफ़ा ।


Body:सरकार के स्तर से पंचायत राज अधिनियम में लगातार किए जा रहे बदलाव और ग्राम पंचायत के साथ-साथ मुखिया के अधिकारों को सीमित किए जाने के विरोध में अब पंचायत के जनप्रतिनिधि एकजुट होने लगे हैं । इसी बात को लेकर अररिया प्रखंड के तरोना भोजपुर पंचायत में स्थानीय मुखिया हर्षवर्धन नारायण सिंह की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया जहां सभी मुखिया ने एकजुटता दिखाते हुए कहा के सरकार अगर इसमें बदलाव नहीं करती है तो हम लोग सामूहिक इस्तीफा देंगे । और सरकार का विरोध करेंगे अररिया प्रखंड के मुखिया संघ अध्यक्ष अशिफुर रहमान ने आरोप लगाते हुए कहा के नीतीश सरकार हमें अपमानित करने का काम कर रही है इसलिए पंचायती राज व्यवस्था में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं । इससे निर्वाचित प्रतिनिधियों से अधिकार सीमित हो रहे हैं । मुखिया संघ के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि स्वतंत्र निकाय को बांधने का प्रयास किया जा रहा है जिससे पंचायती राज की कल्पना को मजबूत करने की आधारशिला को गहरा धक्का पहुंच रहा है । स्थानीय मुखिया हर्षवर्धन नारायण ने कहा कि पंचायती राज अधिनियम के तहत पंचायत को 29 विभाग दिए गए हैं । लेकिन सरकार इसमें मुखिया के अधिकार को सीमित करती जारही जो अधिकारों का हनन है ।
बाइट - अशीफुर रहमान, अध्यक्ष, प्रखंड मुखिया संघ, अररिया ।
बाइट - हर्षवर्धन नारायण, मुखिया, तरोना भोजपुर, अररिया ।


Conclusion:अगर पंचायत के मुखिया सरपंच और जो भी जनप्रतिनिधि हैं उनके अधिकारों को इसी तरह से सीमित किया जाता रहेगा तो विरोध भी उठना लाजिमी है और विकास कार्य सारे ठप होते चले जाएंगे महात्मा गांधी द्वारा देखा गया पंचायती राज का सपना अधूरा ही रह जाएगा इसलिए सरकार को इन मुखिया के बातों पर भी विचार करने की जरूरत है ।
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